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Character Building by Pratikraman► Acharya Mahashraman: 13.07.2012
Acharya Mahashraman said to all Upasak to learn Pratikraman. Upasak should memorize it. Pratikraman is part of Swadhayay too. Character building can be done by Pratikraman.
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प्रतिक्रमण से चारित्र निर्माण: आचार्य श्री महाश्रमण
जसोल १३ जुलाई २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
जैन तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने प्रतिक्रमण के लाभों को वर्णित करते हुए कहा कि प्रतिक्रमण करने से आश्रव निरुद्ध हो जाता है। चारित्र निर्मल बनता है। जैन साधना पद्धति में प्रतिक्रमण का विधान है। आलोचना के रूप में जो स्तुति व अनुष्ठान निर्धारित समय पर किया जाता है वह प्रतिक्रमण कहलाता है। प्रतिक्रमण का शाब्दिक अर्थ है लौटना। साधक द्वारा प्रमाद वाली स्थिति से वापिस स्व स्थिति में आना प्रतिक्रमण हो जाता है। आचार्य गुरुवार को चातुर्मास प्रवचन के दौरान धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे।
आचार्य ने कहा कि हम भगवान महावीर की परंपरा के साधु -साध्वी है। इसलिए हमें दोनों समय सुबह व शाम प्रतिक्रमण करना चाहिए। बीमार साधु को दूसरा साधु प्रतिक्रमण सुनाता है। उन्होंने कहा कि प्रतिक्रमण एक प्रकार का स्नान है। श्रावक समाज के लिए भी प्रतिक्रमण की विधि है। प्रतिक्रमण में स्वाध्याय भी होता है। प्रतिक्रमण को तल्लीनता के साथ करने पर आत्मिक आनंद आता है। श्रावक-श्राविकाओं को भी श्रावक प्रतिक्रमण कंठस्थ करने का प्रयास करना चाहिए। आचार्य ने कहा कि उपासकों को प्रतिक्रमण याद होना ही चाहिए। घरों में पक्खी का प्रतिक्रमण हो ही जाना चाहिए। प्रतिक्रमण को याद करने के साथ उसका अर्थ बोध भी ज्ञात होना चाहिए। अर्थ बोध होने के बाद प्रतिक्रमण करते समय अर्थ हमारे दिमाग में आता रहता है तो प्रतिक्रमण का लाभ ज्यादा होता है। उन्होंने कहा कि प्रतिक्रमण करते-करते हमारा ध्यान इसमें रहे तो अध्यवसाय व पर्यव निर्मल बन सकता है। प्रतिक्रमण के साथ भाव बनी रहे। प्रतिक्रमण में शुद्ध उच्चारण करना चाहिए। बारह व्रत में जो दोष है उस ओर ध्यान भी जा सकता है और एक शुद्धि का रास्ता भी बनता है। जैन शासन में प्रतिक्रमण एक सुंदर अनुष्ठान है। इसको जितना संभव हो सके तो इसका अभ्यास करना चाहिए।
कार्यक्रम में मंत्री मुनि सुमेरमल का उद्बोधन हुआ। कन्या मंडल की बहनों ने चौबीसी का संगान किया। चेन्नई से समागत संघ की ओर से चेन्नई महिला मंडल की मंत्री प्रेमलता सुराणा ने विचार व्यक्त किए। महिला मंडल की ओर से मन की प्रभु आश पुराएं गीत का संगान किया गया। साध्वी संगीत की प्रेरणा से भरे गए संकल्प पत्र महिला मंडल की ओर से आचार्य को सकलश उपहृत किए गए। कार्यक्रम का संचालन मुनि हिमांशु कुमार ने किया।