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स्वयं की समीक्षा करने का पर्व है संवत्सरी'
मंडी गोबिंदगढ़ पंजाब २३ अगस्त २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
पर्युषण पर्व अंतरग की दूषित परतों को खोलने का पर्व है, उन परतों को उतार डालने का पर्व है जो आत्मा पर आवरण की तरह बनी हुई है, उन दीवारों को गिराने का पर्व है, जो आत्म विकास की राह में बाधक बनी हुई है। यह शब्द मुनिश्री विनय कुमार जी ने महापर्व संवत्सरी के दिन अर्हम सदन, शास्त्री नगर में सभा को संबोधित करते हुए कहे।
मुनिश्री ने कहा कि पर्युषण पर्व सच्चाई की राह में अवरोध बने तत्वों को नाश करने का पर्व है। यह पर्व दूसरों की प्रवृत्तियो का नहीं, स्वयं की समीक्षा करने का पर्व है। हम स्वयं सिद्धातो को आचरण में लाएं। ऐसा न हो की दूसरों को बदलने की प्रेरणा देते-देते स्वयं वहीं के वहीं रह जाएं। संवत्सरी महापर्व जैन धर्म का प्रमुख पर्व है। इस दिन पूरे देश में लाखों श्रद्धालु उपवासी होते हैं और तप, जप, स्वाध्याय के द्वारा इस दिन को मनाते है। वर्षो से मनाया जाने वाला यह महापर्व आज भी अपनी चमक-दमक को बनाए हुए है। आज का दिन प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रेरणा का दिन है।