23.10.2012 ►Jasol ►Three Day Seminar on Jain Philosophy and Science Started in Presence of Acharya Mahashraman

Published: 23.10.2012
Updated: 08.09.2015

ShortNews in English

Jasol: 23.10.2012

National Symposium on Jain Philosophy, Science And Scriptures

Acharya Mahashraman said that Bhagvati Sutra contains all branches of knowledge. He was speaking in three day seminar on Jain Philosophy and Science. Event was organized by Jain Vishva Bharati and Vigyan Samity. Acharya Mahashraman said that Jain Philosophy is great philosophy. Acharya Tulsi and Acharya Mahaprajna did commendable job to spread knowledge. He advised new students to do proper research of Jain scripture. Muni Mahendra Kumar and Mantri Muni Sumermal also spoke on occasion. Dr. N.L. Kachhara also spoke in function. Function was compeered by Dr. Sohanraj Tater.

News in Hindi

जसोल(बालोतरा) २३ अक्तूबर २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरों
समृद्ध है जैन विद्या: आचार्य महाश्रमण
जैन दर्शन व विज्ञान पर त्रिदिवसीय संगोष्ठी का शुभारंभ
भारतीय विद्याओं में एक विद्या है जैन विद्या। जो अध्यात्म विद्या से संबंधित है। जैन आगमों के अध्ययन से पता चलता है कि जैन विद्या भी बहुत समृद्ध विद्या है। यह मंगल वक्तव्य तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने जैन दर्शन, विज्ञान व साहित्य पर आयोजित त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के शुभारंभ पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भगवती सूत्र ऐसा आगम है, जिसमें सभी विषयों का स्पर्श हो जाता है। भगवती भाग्य लिखने व भगवती सूत्र के अनुवाद में आचार्य महाप्रज्ञ ने श्लाध्य श्रम किया था। आचार्य ने कहा कि आचार्य तुलसी व आचार्य महाप्रज्ञ ने जैन विद्या के प्रसार में बहुत श्रम किया था। उन्होंने कहा कि चातुर्मास के दौरान जैन विद्या पर एक संगोष्ठी हो जाए तो यह जैन विद्या का अच्छा कार्य हो सकता है। यह भी जैन विद्या की एक सेवा है। आचार्य ने कहा कि जैन विश्व भारती एक महत्वपूर्ण व समृद्ध संस्था है। जैन विश्व भारती विश्व विद्यालय में जैन विद्या का सर्वोपरि महत्व होता है। आचार्य ने शोधार्थियों को प्रेरणा देते हुए कहा कि शोध ऐसा हो, जिसमें स्वयं का चिंतन, दिमाग व प्रज्ञा लगे। ऐसे शोध ग्रंथ अधिक महत्वपूर्ण होता है। ऐसे शोध में प्राणकता भी आ सकती है। मंत्री मुनि सुमेरमल ने जैन दर्शन में शोध की प्रेरणा दी। बहुश्रुत परिषद के सदस्य प्रो. मुनि महेंद्रकुमार ने जैन दर्शन व जैन विज्ञान के संदर्भ में अपनी विचाराभिव्यक्ति दी। जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय की कुलपति समणी चारित्र प्रज्ञा ने अपने विचार व्यक्त किए। संगोष्ठी के संयोजक कानपुर आईआईटी के रिटायर्ड प्रो. डॉ. नारायणलाल कच्छारा ने विचाराभिव्यक्ति दी। संचालन प्रो. सोहन राज तातेड़ ने किया। कार्यक्रम में आचार्य को चिंतन नामक शोध स्मारिका उपहार की गई।

जीवन विज्ञान प्रशिक्षक प्रशिक्षण शिविर 29 से: आचार्य महाश्रमण की सन्निधि में 29 अक्टूबर से 2 नवंबर तक जीवन विज्ञान अकादमी जैन विश्व भारती की ओर से प्रशिक्षक प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया जाएगा।

जसोल. धर्मसभा में उपस्थित श्रावक-श्राविकाएं व साधु (इनसेट) संबोधित करते आचार्य।

Sources

ShortNews in English:
Sushil Bafana

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