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महावीर की है आज उपयोगिता: महाश्रमण
बाड़मेर। (द्रावा-संजय मेहता)
अगर आज अणुव्रत व महाव्रत की उपयोगिता है तो जैन आर्षवाणी की उपयोगिता है और उससे जुड़े भगवान महावीर की उपयोगिता है। महाव्रत अपने आप में विशिष्ट, महान और कुछ कठिन व्रत है। अणुव्रत सुसाध्य व मध्यम मार्ग है। महाव्रत साधु धर्म है और अणुव्रत मृहस्थ धर्म है। यह बात आचार्य महाश्रमण ने अहिंसा समवसरण में आज के युग में महावीर की उपयोगिता विषय पर प्रवचन के दौरान कही। उन्होंने कहा कि अणुव्रत, बारहव्रत की उपयोगिता है तो महावीर की भी उपयोगिता है। कोई भी व्यक्ति अणुव्रत की आचार संहिता को स्वीकार कर सकता है।
आचार्य ने दिल्ली में चलती बस में मेडिकल छात्रा के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना को निदंनीय बताते हुए कहा कि स्वदार संतोष के अभाव होने पर सामूहिक दुष्कर्म जैसी घटनाएं होती है। व्यक्ति द्वारा असंयम द्वारा महिला शक्ति की अवमानना कर दी जाती है। स्वदार संतोष होने से ऎसी घटनाएं नहीं घटती। समाज की सुव्यवस्था की दृष्टि से स्वदार संतोषव्रत, स्वपति संतोष व्रत बड़ा उपयोगी है।
आचार्य ने कहा कि अध्यात्म की दृष्टि से भगवान महावीर से बढ़कर इस दुनिया में कोई नहीं हुआ है। दुनिया का सौभाग्य है कि यदा कदा से महापुरूष पैदा होते रहते हैं जो पथदर्शन देते हैं और उनका पथ प्रदर्शन लम्बे काल तक काम आता है। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि त्रकालदर्शी भगवान महावीर ने जो एकता, त्याग का संदेश दिया, वह हमेशा के लिए उपयोगी है।
अलंकरण- कार्यक्रम में मुनि जितेन्द्र कुमार के संसारपक्षीय पिताजी हनुमानमल छाजेड़ (रासीसर) को श्रद्धानिष्ठ श्रावक व मातुश्री गोरांदेवी छाजेड़ को श्रद्धा की प्रतिमूर्ति श्राविका मुनि उदितकुमार के संसारपक्षीय पिताजी माणकचंद बैद (सरदारशहर) को श्रद्धानिष्ठ श्रावक, साध्वी महिमा श्री के संसारपक्षीय पिता जवेरीलाल रांका को श्रद्धा की प्रतिमूर्ति श्राविका, साध्वी मार्दवश्री के संसारपक्षीय पिताजी खींवराज सालेचा को श्रद्धानिष्ठ श्रावक व मातुश्री बेबीदेवी को श्रद्धा की प्रतिमूर्ति श्राविका, मुनि हेमन्त कुमार के संसारपक्षीय पिताजी मांगीलाल सिंघवी (असाढ़ा) को श्रद्धानिष्ठ श्रावक व मातुश्री अनितादेवी सिंघवी को श्रद्धा की प्रतिमूर्ति श्राविका सम्बोधन से अलंकृत किया। आचार्य ने श्रावक गुलाबचन्द चौपड़ा (बाड़मेर) को श्रद्धानिष्ठ श्रावक अलंकरण से अलंकृत किया। कार्यक्रम में प्रतापगढ़ से आई 250 बालिकाओं के समूह ने आचार्य के दर्शन किए। आचार्य ने बालिकाओं को ज्ञान व सद्संस्कार के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। जिला शिक्षा अधिकारी भेरूलाल व ओमप्रकाश जैन ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया।