04.01.2013 ►Jain Terapanth News 03

Published: 04.01.2013
Updated: 08.09.2015

News in Hindi

राग द्वेष में नहीं जाए: आचार्य श्री

कवास 04 जनवरी 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो

राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कवास में गुरुवार सुबह आचार्य श्री महाश्रमण ने प्रवचन दिए। आचार्य ने कहा कि मनुष्य को दुनिया में दुख-सुख दोनों मिलते हैं। दुख का कारण कर्म है। पाप कर्मों के उदय में आने से आदमी दुखी रहता है। राग-द्वेष के भाव आदमी में आने पर पाप कर्म का बंधन होता है। उन्होंने कहा कि राग-द्वेष से आदमी का मध्यस्थ रहना साधना है। मनुष्य राग व द्वेष में न जाने का अभ्यास करें।

उन्होंने कहा कि आदमी प्रियता व अप्रियता के बिना तटस्थ भाव से देखें, जो क्षण बिना राग-द्वेष के गुजरता है उस समय पूर्णतया पाप कर्म के बंधन से मुक्त होते हैं। मनुष्य के जीवन में राग-द्वेष नहीं है तो आदमी दुख से मुक्त हो जाएगा। राग-द्वेष पर विजय पाना दुख मुक्ति का उपाय है। गृहस्थ भी काफी ऊंची साधना कर सकता है। अनेक गृहस्थों की साधना भिक्षुओं से ज्यादा होती है। व्यक्ति धर्म का पाथेय साथ में रखने का प्रयास करें।

ईमानदारी,भावना, संयम आदि पाथेय है। कार्यक्रम में महिला मंडल द्वारा स्वागत गीत व धीरज छाजेड़ ने म्हारा नाथ पधार्या गीत की प्रस्तुति दी।

रमेश कुमार, ओमप्रकाश वेद मूथा, महावीर छाजेड़ ने अपने विचार व्यक्त किए। अंत में विधायक मेवाराम जैन, रूपचंद चौपड़ा, रमेश कुमार गोलिया, दीपचंद द्वारा ग्राम पंचायत की ओर से आचार्य महाश्रमण को अभिनंदन-पत्र दिया गया जिसका वाचन अरिहंत छाजेड़ ने किया। इस दौरान चौथमल राठी, तगाराम गोदारा, गोरधन राम परिहार, किस्तुरमल, शंकरलाल माली, सुरेश कुमार राठी, विद्यार्थी सहित श्रोता उपस्थित थे।

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