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Tapara: 18.02.2013 Acharya Mahashraman is Addressing to Public during 149th Maryada Mahotsav.
News in Hindi
संसार रूपी समुंद्र से पार पाने की दिशा में बढ़ें'
'संसार रूपी समुंद्र से पार पाने की दिशा में बढ़ें'
टापरा में १४९ वां मर्यादा महोत्सव समारोहपूर्वक मनाया, महोत्सव के दौरान हुईं कई घोषणाएं
टापरा (बालोतरा) 18 जनवरी 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
चतुर्विध धर्मसंघ होता है, जिसमें साधु-साध्वियां, श्रावक-श्राविकाएं होती हैं। हमारा जैन शासन, जो परमात्मा से महावीर से जुड़ा हुआ है। जो अपने आप में एक अध्यात्म से ओतप्रोत शासन है। उसी शासन का एक आयाम भैक्षव शासन है। हम भैक्षव शासन की जहाज में बैठे हैं और उस जहाज के माध्यम से हम संसार रूपी समुंद्र से पार पाने की दिशा में आगे बढ़ सकें, ऐसी कामना है। यह वक्तव्य तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने १४९ वें मर्यादा महोत्सव के अवसर पर व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि भैक्षव शासन में व्यवस्था, मर्यादा व अनुशासन है। आचार संबंधी निर्देश आगम वाड़मय से भी होती है और हमारी संघीय मर्यादाएं भी हैं। मर्यादा महोत्सव मर्यादा के आधार पर मनाया जाता है। आचार्य भिक्षु ने मर्यादाओं का निर्माण किया।
यह मर्यादा पत्र लगभग २१० वर्ष पूर्व लिखा गया है। यह महामहिम पत्र है। आचार्य ने यह कहते हुए मर्यादा पत्र लोगों को दिखाया। आचार्य ने कहा कि पत्र तो अपने आप में जड़ है, पर जो मर्यादाएं हैं और मर्यादा के प्रति जो निष्ठा है। वह आदमी को ठीक रास्ते पर चलाती है। आचार्य ने इस अवसर पर प्रभुवर भिक्षु स्वामी का शासन सबल सहारा है गीत का संगान किया। कार्यक्रम में साध्वी प्रमुखा व मंत्री मुनि प्रवर का प्रेरक उद्बोधन हुआ।
मंगल महामंत्रोच्चारण से हुआ शुभारंभ
१४९ वें मर्यादा महोत्सव का शुभारंभ मर्यादा पुरुष आचार्य महाश्रमण के मंगल महामंत्रोच्चारण के साथ हुआ। मर्यादा घोष से पूरा जय समवसरण गूंजायमान हो गया। मुनि दिनेश कुमार ने भिखणजी स्वामी भारी मर्यादा बांधी संघ में गीत का संगान किया और इसके साथ संपूर्ण जनमेदनी भी समवेत स्वर में गा रही थी। समणीवृंद ने मर्यादा है शान संघ की साध्वी वृंद ने मर्यादा के महात्म्य को बताने वाले गीत का संगान किया। संतों के द्वारा ये कदम बढ़ते रहेंगे भिक्षु गण तेरे लिए गीत का संगान किया। कार्यक्रम में आचार्य ने साधु-साध्वी समाज, समण श्रेणी के लिए मर्यादाओं का अनिश्चितकालीन के लिए नियम लागू किया। श्रावक-श्राविकाओं के लिए मर्यादा से संबंधित सुझाव दिए। आचार्य ने साधु-साध्वियों के लिए 2013 के चातुर्मास की घोषणा की और समणी केंद्र के लिए घोषणा की।
आचार्य ने मुनि विश्रुत कुमार व मुनि कीर्ति कुमार की सेवा भावना का उल्लेख करते हुए दोनों को साझ के अग्रणी की वंदना करवाई और दोनों संतों को स्थायी रूप से समुच्चय के कार्य की बक्शीश दी। आचार्य ने साध्वी शुभयशा को साझ के अग्रणी की वंदना करवाई। आचार्य ने मुनि विमल कुमार की सेवा व समर्पण का उल्लेख करते हुए उन्हें शासन श्री के संबोधन से संबोधित किया। आचार्य ने समणी अमितप्रज्ञा व समणी गौरव प्रज्ञा को साध्वी प्रतिक्रमण सीखने की आज्ञा प्रदान की। आचार्य ने साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा के लिए कहा कि इनका मुझे अच्छा योगदान प्राप्त है। साध्वियों की दृष्टि से बड़ा सहयोग देती है। मंत्री मुनि सुमेरमल के लिए कहा कि ये हमारे वरिष्ठतम मुनि है। मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुतविभा के लिए कहा कि समणियों के संदर्भ में इनका बड़ा सहयोग रहता है। ये प्रमुद्ध व समर्पित है। इनसें सहयोग की शृंखला में एक कड़ी और जुड़ गई है।
आचार्य ने साधु-साध्वियों व समणियों के लिए विशेष मर्यादा कहते हुए कहा कि आलू, मूला, शकरकंद, गाजर, लहसून, प्याज के प्रयोग को निषेध बताते हुए कहा कि विशेष परिस्थिति के सिवाय साधु-साध्वी इन्हें गोचरी में न लाए। आलू से निर्मित चीजें जैसे आलू चिप्स, आलू का पराठा भी न लें। किसी चीज में प्याज मिला हो तो वह भी प्रयोग में न लें। गाजर का हलवा भी न लें। विशेष परिस्थिति में आचार्य से अनापत्ति स्वीकृति ले ले तथा बाद में निवेदन कर दें। यह नियम समण श्रेणी के लिए भी है। कार्यक्रम में हाजरी का वाचन किया गया। सभी साधुओं, साध्वियों व समणियों ने पक्तिबद्ध होकर हाजरी का वाचन किया। इसके बाद आचार्य ने श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन किया। आचार्य के साथ श्रावक समाज ने श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन किया। कार्यक्रम के अंत में संघ गान किया गया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया।