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बालोतरा. जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय की परीक्षा देते परीक्षार्थी।
ध्यात्मिक शक्ति से होता है व्यक्तित्व का विकास
बालोतरा जै त स ब्योरो के लिए स्वरूपचंद दाति
आज की शिक्षा पद्धति में जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय का अभूतपूर्व व महत्वपूर्ण योगदान है। जहां आज की शिक्षा पद्धति में केवल कागजी व बौद्धिक विकास है, जो आगे जाकर विद्यार्थियों को संपूर्ण मानवीय व्यवहार तथा नैतिकता से जीवन यापन में दुविधा उत्पन्न करता है। यह बात जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित परीक्षाओं के समापन पर स्थानीय तेरापंथ भवन में राजस्थान युवा वैश्य महासम्मेलन के प्रदेश उपाध्यक्ष रमेश भंसाली ने कही।
उन्होंने कहा कि जैन विश्व भारती की ओर से संचालित पाठ्यक्रमों में बौद्धिक विकास के साथ शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक विकास को भी महत्व दिया गया है। इसके प्रशिक्षण से विद्यार्थी नैतिकता, आदर्शों के साथ तनावमुक्त जीवन यापन करता है। बालोतरा केंद्र के प्रभारी घेवरचंद मेहता ने बताया कि बालोतरा से करीब 80 विद्यार्थियों ने बीए, एमए, एमएससी की परीक्षाएं दी। वर्ष 2005 से संचालित केंद्र में हर वर्ष विद्यार्थियों की संख्या में इजाफा हुआ है, जिसमें सभी वर्ग के लोग शामिल हैं। उन्होंने बताया कि दसवीं फैल भी पत्राचार के माध्यम से डिग्री पाठ्यक्रम कर सकता है। इस दौरान केंद्र के पर्यवेक्षक जयप्रकाश शर्मा, बालकिशन, हुकमी चंद कंसारा, शिवकुमार ढेलडिय़ा सहित परीक्षार्थी मौजूद थे।