20.10.2013 ►Jahaj Mandir ►Palitana News

Published: 22.10.2013
Updated: 08.01.2018

Jahaj Mandir Mandawala


लक्ष्य के अनुसार हो मन का निर्माण
- उपाध्याय मणिप्रभसागर
पालीताणा, 18 अक्टूबर!
जैन श्वे. खरतरगच्छ संघ के उपाध्याय प्रवर पूज्य गुरूदेव मरूध्ार मणि श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. ने आज श्री जिन हरि विहार ध्ार्मशाला में उपधान तप की आराधना के अंतर्गत प्रवचन फरमाते हुए कहा- हमें मन के अनुसार जीवन का निर्माण नहीं करना है। बल्कि जीवन के लक्ष्य के अनुसार अपने मन का निर्माण करना है।

यह तो तय है कि मन की दिशा के अनुसार ही हमारा आचरण  होता है। मन मुख्य है। मन यदि सम्यक् है तो जीवन सम्यक् है! मन यदि विकृत है तो जीवन विकृत है।

मन के अधीन जो जीता है, वह हार जाता है। जो मन को अपने अधीन बनाता है, वह जीत जाता है। मन को अपना मालिक मत बनने दो! वह तो मालिक होने के लिये कमर कस कर तैयार है। वह छिद्र खोजता है। छोटा-सा भी छिद्र मिला नहीं कि उसने प्रवेश किया नहीं! प्रवेश होने के बाद वह राजा भोज बन जाता है।

फिर हमें नचाता है! उलटे सीधे सब काम करवाता है। क्योंकि उसे किसकी परवाह है। वह किसी के प्रति जवाबदेह भी नहीं है। उसे परिणाम भोगने की चिंता भी नहीं है।

वह तो थप्पड मार कर अलग हो जाता है। दूर खडा परिणाम को और परिणाम भोगते तन या चेतन को देखता रहता है। उसे किसी से लगाव भी तो नहीं है। तन का क्या होगा, उसे चिंता नहीं है। चेतना का क्या होगा, उसे कोई परवाह नहीं है। उसे तो केवल अपना मजा लेना है। और सच यह भी है कि हाथ उसके भी कुछ नहीं आता! न पाता है, न खोता है, न रोता है, न सोता है! जैसा था, वैसा ही रहता है।

सुप्रसिद्ध योगीराज श्री आनंदघनजी महाराज कुंथुनाथ परमात्मा की स्तुति करते हुए अपने हृदय को खोलते हैं! मन को समझाते हैं! मन की सही व्याख्या करते हैं! और मन से ऊपर उठकर चेतना के साथ जीने का पुरूषार्थ भी करते हैं, प्रेरणा भी देते हैं!
उन्होंने मन के लिये सांप का उदाहरण दिया है-

सांप खाय ने मुखडुं थोथुं, एह उखाणो  न्याय!
सांप किसी को खाता है, तो उसके मुँह में क्या आता है? मुख तो खाली का खाली रहता है। इसी प्रकार का मन है। उसे मिलता कुछ नहीं है। पर दूसरों का बहुत कुछ छीन लेता है। वह रोता नहीं है, परन्तु रूलाने में माहिर है।

जीना है पर मन के अनुसार नहीं! मन को मनाना है, इन्दि्रयों के अनुसार नहीं! अपने लक्ष्य के आधार पर! अपनी चेतना के आधार पर!

जोधपुर से पधारे डाँ. श्री रमेश  सेठिया व डाँ श्रीमती उर्वशी  सेठिया का उपधान आयोजक श्री बाबुलाल लुणिया ने अभिनंदन किया।


प्रेषक
दिलीप दायमा


डुठारिया में प्रतिष्ठा 11 मई को

डुठारिया सकल श्री संघ ने पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी .सा. से गांव में जीर्णोद्धार कृत श्री आदिनाथ जिन मंदिर की अंजनशलाका प्रतिष्ठा कराने की भावभीनी विनंती की। और प्रतिष्ठा का शुभ मुहूत्र्त प्रदान करने का निवेदन किया। पूज्यश्री ने प्रतिष्ठा की विनंती स्वीकार करते हुए 11 मई 2014 का शुभ मुहूत्र्त प्रदान किया। इसे श्रवण कर सकल संघ में आनन्द की लहर छा गई। नृत्य के द्वारा अपने हर्ष को व्यक्त किया। मुहूत्र्त झेलने का लाभ श्रीमती प्यारी देवी पन्नालालजी छाजेड परिवार ने लिया।

Sources
Jahaj Mandir.com
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