27.08.2014 ►Jahaj Mandir ►News

Published: 27.08.2014
Updated: 08.01.2018

Jahaj Mandir Mandawala


News in Hindi:

इचलकरंजी श्री मणिधारी जिनचन्द्रसूरि जैन श्वेताम्बर संघ में पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी ने श्री सुखसागर प्रवचन मंडप में पर्युषण महापर्व के छठे दिन विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा- परमात्मा महावीर के जीवन की सबसे बडी विशिष्टता है कि उनका आचार पक्ष व विचार पक्ष एक समान था। मात्र उपदेश देने वाले तो हजारों हैं, पर उनका अपना जीवन अपने ही उपदेशों के विपरीत होता है। ऐसे व्यक्ति पूज्य नहीं हुआ करते। पूज्य तो वे ही होते हैं, जिनकी कथनी करणी एक समान हो।

ऐसे समय में परमात्मा महावीर के अजर अमर और समय निरपेक्ष सिद्धान्त ही हमारी रक्षा कर सकते हैं। आज अहिंसा, अनेकांत और अपरिग्रह इन तीन सिद्धान्तों को अपनाने की अपेक्षा है। ये तीन सिद्धान्तों के आधार पर पूरे विश्व में शांति और आनन्द का वातावरण छा सकता है।

उन्होंने परमात्मा महावीर के साढे बारह वर्षों में साधना काल की विवेचना करते हुए कहा- परमात्मा महावीर ने क्रोध, मान, माया, लोभ, राग, द्वेष इन भावों को तिलांजलि देकर मौन साधना का प्रारंभ किया। क्रोध की स्थितियों में भी वे पूर्ण करूणा के भावों से भर जाते थे। उनके जीवन की व्याख्या सुनते हुए जब उन्हें मिले कष्टों का विशद विवेचन सुनते हैं तो हमारी आंखों में अश्रु धारा बहने लगती है। संगम देव और कटपूतना के द्वारा दिये गये उपसर्गों को जब सुनते हैं तो हमारे रोंगटे खडे हो जाते हैं। परन्तु परमात्मा महावीर तो करूणा की साक्षात् मूर्ति थे। चण्डकौशिक को उपदेश देने के लिये स्वयं चल कर उसकी बाबी तक पहुँचे थे।

उन्होंने परमात्मा महावीर और गौतम स्वामी के संबंधों की व्याख्या करते हुए कहा- गुरू गौतम स्वामी के हृदय में परमात्मा महावीर के प्रति अपार प्रेम था। यही कारण था कि वे स्वयं चार ज्ञान के स्वामी होने पर भी हर सवाल परमात्मा से पूछते थे। ताकि सारी जनता को परमात्मा से उत्तर प्राप्त हो।

उन्होंने कहा- हम सभी परमात्मा महावीर के अनुयायी हैं। हमें संकल्प लेना है कि हम परमात्मा जैसे भले नहीं बन पाये परन्तु परमात्मा के अनुयायी तो अवश्य बनेंगे।

Sources
Jahaj Mandir.com
Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Jaina Sanghas
    • Shvetambar
      • Murtipujaka
        • Jahaj Mandir [Khartar Gaccha]
          • Share this page on:
            Page glossary
            Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
            1. Jahaj Mandir
            2. Jahaj Mandir Mandawala
            3. Jahaj Mandir.com
            4. Mandawala
            5. Mandir
            6. ज्ञान
            7. महावीर
            Page statistics
            This page has been viewed 721 times.
            © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
            Home
            About
            Contact us
            Disclaimer
            Social Networking

            HN4U Deutsche Version
            Today's Counter: