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विराटनगर (नेपाल): आज के प्रवचन कालीन कुछ मनोरम दृश्य..
दिनांक: 31/10/2015
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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आज की प्रेरणा......
प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण......
विषय - आगे के बारे में भी सोचें.....
प्रवचनस्थल - विराटनगर, ३०.१०.१५.......
प्रस्तुति - अमृतवाणी.......
संप्रसारण - संस्कार चेनेल के माध्यम से --
आर्हत वाड्मय के अनुसार - आत्मा का शाश्वत कालमान है जबकि शरीर अस्थाई | आदमी आगे के बारे में भी सोचे| इस जीवन काल का समय सीमित है और आगे का काल अनंत है| अतः आगे को अच्छा बनाने पर विचार करते रहें | मेरे कषाय पतले पड़ें, अहंकार, गुस्सा, लोभ व कपट में मेरा कौन सा कषाय प्रबल है, उसे मैं सबसे पहले छोडूं | हालांकि छोड़ने तो चारों कषाय ही है | हम यदि चारों का एक साथ मुकाबला न कर सकें तो एक एक करके मुकाबला करें | हम अपना आत्म गवेषण करें कि कहीं हमारे व्यवहार में उत्तेजना तो नहीं होती| यदि हमारा कषाय मंद है तो व्यवहार अच्छा होगा| अच्छा व्यवहार शांति का प्रतीक होता है | जिस समूह में हम रहते हैं वह परिवार का रूप बन जाता है | समूह में समूह बद्ध ज्ञान की आराधना व उपासना हो सकती है| शास्त्रकार ने कहा - मोक्ष का अंतिम लक्ष्य पाने के लिए साधना की आवश्यकता है और उसके लिए सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान व सम्यक चारित्र को मोक्ष का मार्ग बतलाया गया है | कार्य का जन्म कारण से होता है | अतः हम कारण की खोज करें व सम्यक दर्शन, ज्ञान व चारित्र की आराधना करें| सम्यक हमारे हर कार्य के साथ जुड़ा रहे | हम केवल ज्ञान प्राप्ति का लक्ष्य रक्खें, बाकी सारे ज्ञान उसमें विलीन हो सकते हैं| अतः केवल ज्ञान को प्राप्त कर हम देह मुक्ति की साधना करें|
दिनांक - ३१अक्टूबर, २०१५
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आज की प्रेरणा......
प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण......
विषय - आगे के बारे में भी सोचें.....
प्रवचनस्थल - विराटनगर, ३०.१०.१५.......
प्रस्तुति - अमृतवाणी.......
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आर्हत वाड्मय के अनुसार - आत्मा का शाश्वत कालमान है जबकि शरीर अस्थाई | आदमी आगे के बारे में भी सोचे| इस जीवन काल का समय सीमित है और आगे का काल अनंत है| अतः आगे को अच्छा बनाने पर विचार करते रहें | मेरे कषाय पतले पड़ें, अहंकार, गुस्सा, लोभ व कपट में मेरा कौन सा कषाय प्रबल है, उसे मैं सबसे पहले छोडूं | हालांकि छोड़ने तो चारों कषाय ही है | हम यदि चारों का एक साथ मुकाबला न कर सकें तो एक एक करके मुकाबला करें | हम अपना आत्म गवेषण करें कि कहीं हमारे व्यवहार में उत्तेजना तो नहीं होती| यदि हमारा कषाय मंद है तो व्यवहार अच्छा होगा| अच्छा व्यवहार शांति का प्रतीक होता है | जिस समूह में हम रहते हैं वह परिवार का रूप बन जाता है | समूह में समूह बद्ध ज्ञान की आराधना व उपासना हो सकती है| शास्त्रकार ने कहा - मोक्ष का अंतिम लक्ष्य पाने के लिए साधना की आवश्यकता है और उसके लिए सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान व सम्यक चारित्र को मोक्ष का मार्ग बतलाया गया है | कार्य का जन्म कारण से होता है | अतः हम कारण की खोज करें व सम्यक दर्शन, ज्ञान व चारित्र की आराधना करें| सम्यक हमारे हर कार्य के साथ जुड़ा रहे | हम केवल ज्ञान प्राप्ति का लक्ष्य रक्खें, बाकी सारे ज्ञान उसमें विलीन हो सकते हैं| अतः केवल ज्ञान को प्राप्त कर हम देह मुक्ति की साधना करें|
दिनांक - ३१अक्टूबर, २०१५
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