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Performer: Babita Gunecha
Title: Chaitya Purush Jag Jaye
Composed by: Acharya Mahapragya
चैत्य पुरुष
चैत्य पुरुष जग जाए।
देव! तुम्हारा पुण्य नाम मेरे मन में रम जाए ।।
1..ऊँ ऊँ ऊँ ऊँ ऊँ ऊँ ऊँ ऊँ, ऊँ ऊँ ऊँ
उद्गाता
अर्हं अर्हं अर्हं अर्हं, अर्हं अर्हं त्राता ।
ऊँ ह्रीं श्रीं जय ह्रीं श्रीं जय, विजय ध्वजा लहराए ।
2..ऊँ जय भिक्षु, भिक्षु जय ऊँ ऊँ ह्रीं श्रीं ह्रीं श्रीं ह्रीं श्रीं,
विघ्न शमन ऊँ, व्याधि शमन ऊँ, क्लीं क्लीं क्लीं क्लीं क्लीं क्लीं ।
नाम मंत्र तव व्रण - संरोहण सतत अमृत बरसाए ।।
3...मिटे विषमता तन की, मन की, अनुभव की, चिंतन की ।
पल - पल, पग - पग मिले सफलता, तन्मयता चेतन की ।
नाम मंत्र तव भयहर विषहर, साम्य सिंधु गहराए।।
4...आत्मा भिन्न शरीर भिन्न है, तुमने मंत्र पढ़ाया,
आत्मा अचल अरुज शिव शाश्वत, नश्वर है काया ।
आत्मा आत्मा के द्वारा ही, आत्मा में लय पाए।।
5..तुम निरुपद्रव, हम निरुपद्रव, तुम हम सब है आत्माा,
तव जागृत आत्मा से हम सब, बन जाएं परमात्मा।
ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रं ह्र: अन्तर्मल धुल जाए।।