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#Surprising #Amazing #News ❖ अफगानिस्तान में मिला पांच हज़ार साल पुराना हवाई 'जहाज़' -इस जानकारी में सबसे बड़ी बात हैं की NEWS-24 चैनल ने ये पिक्चर शेयर की हैं जिसमे से एक पिक्चर जो पत्थर पर जैन प्रतिमा जैसी आकृति खुदी हैं!! ये रिसर्च का विषय हैं.. किसी के पास जानकारी हो तोह शेयर करे इस बारे में!!
सबसे पहले इस अंजान सी चीज़ को अमेरिकी सैनिकों ने देखा और पेंटागन को रिपोर्ट भेजी। उन्हें संस्कृत में कुछ शिलालेख भी मिले जिनसे उन्होंने अनुमान लगाया कि ये भारतीय संस्कृति से संबंधित है गुफा के भीतर रखी विशालकाय चीज़ को उन्होंने उसी समय का हवाई जहाज़ बताया। इसके बाद ये टीम वापस आ गयी। गुफा की निगरानी के लिए आठ लोगों की टीम बनायी गयी। इन लोगों ने उस अंजान सी चीज़ के साथ छेड़छाड़ की और लापता हो गये। उनके लापता होने की खबर मिलने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा सहित, डेविड कैमरून, एंजेला मर्केल और निकोलस सरकोजी गुप्त अभियान पर अफगानिस्तान पहुंचे थे। 'कंट्रोवर्शियल फाइल डॉट नेट'ने कहा है कि ये सभी जानकारी ज्वाइंट फोर्सेस की लीक्ड इंफोर्मेशन से मिली हैं। ❖ If these are Jain rock carving, which certainly looks, than it is a stamp of glorious history of Jainism:) share this maximum.
Source: http://www.jagrukindian.com/2016/02/blog-post_27.html?m=1
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***संस्कृति की रक्षा***
🙏🏻ॐ ह्रीं श्री सौरभसागर गुरुवे नमः🙏🏻
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#आदिनाथ भगवान @ mangi tungi:) jay ho
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गौशला - जैन तीर्थ
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✿ देश का नाम भारत ही लिखा एवं बोला जाना चाहिए: आचार्य विद्यासागर जी
विश्व विख्यात जैन संत आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने देश का नाम इंडिया बोलने के ऊपर सवाल उठाया है। अत: भारत और इंडिया को लेकर एक बार फिर विवाद शुरू हो गया है। उन्होंने जानना चाहा कि इंडिया कहां से आया और भारत कहां विलुप्त हो गया? आचार्य ने इंडियन्स की परिषाभा बताते हुए कहा कि इंडियन का मतलब है ऑल्ड फैशन्ड एंड क्रिमिनल पिपल। यानी पिछड़े और घिसे-पिटे विचारों वाले अपराधी लोग। आचार्य ने अपने उद्बोधन से इंडिया का नाम भारत करने के लिए आवाज उठाई है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, भूटान और पाकिस्तान जैसे सभी देशों का प्रत्येक भाषा में एक ही नाम बोला और लिखा जाता है तो भारत को इंडिया क्यों? इस मुददे पर आचार्य कहते हैं कि इंडियन शब्द हमें पाश्चात्य संस्कृति की ओर खींचना है और हमें हमारी अपनी संस्कृति से दूर करता है। उन्होंने उदाहरण स्वरूप बताया कि जब छोटा सा देश सीलोन से अपना नाम बदलकर श्रीलंका कर सकता है तो इंडिया का नाम भारत क्यों नहीं हो सकता?
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✿ देश का नाम भारत ही लिखा एवं बोला जाना चाहिए: आचार्य विद्यासागर जी
विश्व विख्यात जैन संत आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने देश का नाम इंडिया बोलने के ऊपर सवाल उठाया है। अत: भारत और इंडिया को लेकर एक बार फिर विवाद शुरू हो गया है। उन्होंने जानना चाहा कि इंडिया कहां से आया और भारत कहां विलुप्त हो गया? आचार्य ने इंडियन्स की परिषाभा बताते हुए कहा कि इंडियन का मतलब है ऑल्ड फैशन्ड एंड क्रिमिनल पिपल। यानी पिछड़े और घिसे-पिटे विचारों वाले अपराधी लोग। आचार्य ने अपने उद्बोधन से इंडिया का नाम भारत करने के लिए आवाज उठाई है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, भूटान और पाकिस्तान जैसे सभी देशों का प्रत्येक भाषा में एक ही नाम बोला और लिखा जाता है तो भारत को इंडिया क्यों? इस मुददे पर आचार्य कहते हैं कि इंडियन शब्द हमें पाश्चात्य संस्कृति की ओर खींचना है और हमें हमारी अपनी संस्कृति से दूर करता है। उन्होंने उदाहरण स्वरूप बताया कि जब छोटा सा देश सीलोन से अपना नाम बदलकर श्रीलंका कर सकता है तो इंडिया का नाम भारत क्यों नहीं हो सकता?
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सभी को सादर जय जिनेंद्र। शुक्रवार २७ मई २०१६:
दूसरों के दोष देखने की प्रवृत्ति से अथवा किसी के गुणों को ढांकने के भाव से हमारी अपनी दृष्टि की निर्मलता तो खोती ही है, हमारा अपना जीवन भी मलिन बनता है। किसी और के अवगुण देखने में सबसे पहले हमारा अपना मन ही दूषित होता है। दूसरों के दोष देखने की आदत हमारे लिए किस प्रकार घातक सिद्ध हो सकती है और हम इस प्रवृत्ति से कैसे अपने को बचा सकते हैं, एक कहानी के माध्यम से मुनिश्री क्षमासागर जी महाराज हम सभी को समझा रहे हैं। हम Whatsapp के माध्यम से मुनिश्री क्षमासागर जी महाराज के प्रवचनों के अंश को नियमित रूप से आप तक पहुँचाने का प्रयास कर रहे है| अगर आप भी इन संदेशो को नियमित रूप से प्राप्त करना चाहते है तो हमारा नंबर 9827440301 अपने फ़ोन में save करें एवं इस नंबर पर " Join MS" का मैसेज भेजे।
The tendency to find faults in others while ignoring our own shortcomings hinders clarity of vision in our life. In today's clip Munishri Kshamasagarji explains how looking for the good qualities in the world around us can elevate our life and thoughts to higher level.
मैत्री समूह
9827440301
#मुनि_श्री_क्षमासागरजी
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मुनि श्री क्षमासागरजी - शुक्रवार २7 मई २०१६ - पड़ोसी के दोष
सभी को सादर जय जिनेंद्र। शुक्रवार २७ मई २०१६: दूसरों के दोष देखने की प्रवृत्ति से अथवा किसी के गुणों को ढांकने के भाव से हमारी अपनी दृष्टि की निर्मलता तो खोती ही है, हमारा अपना जीवन भी मलिन बनता है।
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✿ जैन धर्म की सर्वोच्च साध्वी गणिनी प्रमुख आर्यिका शिरोमणि श्री ज्ञानमती माता जी ध्यानमुद्रा में...
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✿ समयसार, आज से लगभग दो हजार वर्ष पूर्व आचार्य श्री कुंदकुंद स्वामी द्वारा रचित समयसार ग्रन्थ अध्यात्म जगत् का सर्वोपरि ग्रन्थ माना जाता है । इसमें 444 गाथाएँ प्राकृत भाषा में हैं । उन गाथाओं पर आचार्य श्री अमृतचंद्रसूरि ने आत्मख्याति नाम से संस्कृत टीका लिखी एवं आचार्य श्री जयसेन स्वामी ने तात्पर्यवृत्ति नाम की संस्कृत टीका लिखी है ।
इसके दस अध्यायों में जीव की प्रकृति, कर्म बन्धन, तथा मोक्ष की चर्चा की गयी है। इस समयसार के कुल नौ अध्याय है जो क्रमश: इस प्रकार हैं
* जीवाजीव अधिकार
* कर्तृ-कर्म अधिकार
* पुण्य–पाप अधिकार
* आस्रव अधिकार
* संवर अधिकार
* निर्जरा अधिकार
* बंध अधिकार
* मोक्ष अधिकार
* सर्वविशुद्ध ज्ञान अधिकार
इन नौ अध्यायों में प्रवेश करने से पहले एक आमुख है जिसे वे पूर्वरंग कहते हैं। यह मानों समयसार का प्रवेशद्वार है। यह चर्चा बड़ी अर्थपूर्ण, अर्थगर्भित है।
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