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अभिषेक करे सुख मिलता है, भवि कर्म मैल सब धुलता है..
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अंग्रेजो के काल में जारी किए गए भगवान पार्श्वनाथ जी के सिक्के:))
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देश का नाम भारत ही लिखा एवं बोला जाना चाहिए: आचार्य विद्यासागर जी
विश्व विख्यात जैन संत आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने देश का नाम इंडिया बोलने के ऊपर सवाल उठाया है। अत: भारत और इंडिया को लेकर एक बार फिर विवाद शुरू हो गया है। उन्होंने जानना चाहा कि इंडिया कहां से आया और भारत कहां विलुप्त हो गया? आचार्य ने इंडियन्स की परिषाभा बताते हुए कहा कि इंडियन का मतलब है ऑल्ड फैशन्ड एंड क्रिमिनल पिपल। यानी पिछड़े और घिसे-पिटे विचारों वाले अपराधी लोग। आचार्य ने अपने उद्बोधन से इंडिया का नाम भारत करने के लिए आवाज उठाई है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, भूटान और पाकिस्तान जैसे सभी देशों का प्रत्येक भाषा में एक ही नाम बोला और लिखा जाता है तो भारत को इंडिया क्यों? इस मुददे पर आचार्य कहते हैं कि इंडियन शब्द हमें पाश्चात्य संस्कृति की ओर खींचना है और हमें हमारी अपनी संस्कृति से दूर करता है। उन्होंने उदाहरण स्वरूप बताया कि जब छोटा सा देश सीलोन से अपना नाम बदलकर श्रीलंका कर सकता है तो इंडिया का नाम भारत क्यों नहीं हो सकता?
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हर बार सोचता हूँ कुछ और सोचूँ..
मगर सोचता हूँ आपके सिवा क्या सोचूँ मेरे गुरूवर...
मेरे तो भगवंत तुम..
प्रारम्भ मेरा और अंत तुम..
कोई कुछ भी समझे भले
भगवान हो संत तुम...
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Acharya shri exclusive aahar charya ko jaate hue jivant mahavir:))
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अपनी इच्छाओं के पूरा ना होने पर दुःखी नहीं होना,
जमानें में कई है, जिनकी जरूरतें भी पूरी नहीं होती!
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Acharya shri exclusive kundalpur
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kya baat kahi..
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आचार्य श्री विशुद्धसागर जी सासंघ एक पेड़ के नीचे विराजमान:) osam scene