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अनमोल जीवन का मूल्यांकन रत्न पारखी जौहरी की तरह का अल्पायु जीवन को आनन्द, उल्लास एवं शांति से परिपूर्ण करने के लिए मन, वचन और काया से परिवार में भाषा कर्म और व्यवहार को विवेक पूर्ण प्रयोग करने की पे्ररणा देते हुए दुर्ग में प्रवचन में आचार्यश्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी ने कहा कि हमारा आचरण परिवार की सुख-शांति का आधार है। आनन्द पाने से अधिक सुख आनन्द बांटने में है। घर को स्वर्ग या नरक बनाना हमारे हाथ में है।