07.08.2017 ►Article about Muni Rakesh Kumar Ji by Muni Anushasan Kumar Ji.

Published: 10.08.2017
Updated: 14.08.2017

विनम्रता की जीवंत प्रेरणा: "शासन गौरव" मुनि श्री राकेश कुमार जी स्वामी

"शासन गौरव" मुनि श्री राकेश कुमार की स्वामी का जीवन प्रेरणादायी जीवन था। वे अनेक गुणों के धनी थे। मैं एक गुण का उल्लेख करना चाहूंगा जिसने मुझे हमेशा प्रेरणा प्रदान की; और वह है विनम्रता। विनम्रता सिर्फ बड़ों के प्रति ही नहीं होती वह अगर व्यक्ति के जीवन में आत्मसात हो जाये तो उसके हर व्यवहार में विनम्रता परिलक्षित होने लगती है।

मुझे याद है जब कभी में उनके पास दर्शन करने, सेवा करने या किसी कार्यवश जाता तो वो मुझे अनुशासन जी कह कर संबोधित करते। जहां मुनि श्री इतने बड़े मैं तो उनके सामने बालमुनि था। उनके इस प्रकार संबोधित करने से हमे प्रेरणा मिलती की बड़ों के साथ-साथ अपने से छोटो का या समवयस्क का भी समान आदर करना चाहिए, विनम्रता के भाव रखने चाहिए।

मुनि श्री बालमुनियों के प्रति बहुत स्नेह भाव रखते थे। उनकी वाणी में एक तरह का आकर्षण था जो किसी को भी अपनी ओर खींच लेता। मुनि श्री के साथ अनेकों बार रहने का अवसर मिला। आमेट मर्यादा महोत्सव, लाडनूं चातुर्मास से पूर्व और सन 2014 में दिल्ली प्रवास में भी जब कभी साथ में रहना होता मुनि श्री सतत अध्ययन के लिए प्रेरित करते। फरमाते कि यही उम्र है जितना हो सके इसे पढ़ाई में लगाओ खूब सीखना करो और संस्कृत के विद्वान बनों। मुनि श्री स्वयं तो संस्कृत के महान विद्वान थे ही। एक दिन में हजार श्लोकों की रचना करके उन्होंने नव इतिहास गढ़ दिया था। वें मुझे फरमाते- तुमको सुमेरमल जी स्वामी (सुदर्शन) के पास रहने का अवसर मिला है, उसका भरपूर फायदा उठाओ और मुनि श्री से जितना प्राप्त कर सको करो। कुछ ऐसा करो जिससे मुनिश्री गौरवान्वित हो सके।

आज राकेश कुमार जी स्वामी हमारे बीच उपस्थित नहीं है। परंतु उनके गुणों की सौरभ चारों ओर फैली हुई है। यही कामना करूँगा कि उन्होंने जो प्रेरणाएं प्रदान की मैं उन्हें और दृढ़ता के साथ अपने जीवन में उतारने का प्रयास करू। उनकी पवित्र आत्मा जहा कहीं भी रहे मेरी साधना में सहयोगी बने और स्वयं भी अपने साध्य को शीघ्र प्राप्त करे। अंत में लिखना चाहूंगा:-

धर्म संघ की प्रभावना में था आपका अनूठा योगदान।
संस्कृत के महाधुरन्धर, करते सुमधुर गीतों का संगान।।
हे मुनिवर! रिक्त स्थान आपका अब कैसे भर पायेगा।
किये जो कार्य अतुलनीय, कोई उन्हें कैसे भूल पायेगा..कोई उन्हें कैसे भूल पायेगा।।

- "नचिकेता" मुनि अनुशासन कुमार

Sources

Terapanth Media


Muni Rakesh Kumar  expired on 30.07.2017 at Ahmedabad.
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