06.04.2017 ►Jahaj Mandir ►Navpad Oli

Published: 06.04.2017
Updated: 08.01.2018


News in Hindi

नवपद ओलीजी का आज चौथा दिन।
उपाध्याय पद की आराधना का दिन।
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तपस्वियों के शाता हो ऐसी दादा गुरुदेव से प्रार्थना।।
उपाध्याय यानि शिष्यों के पठन पाठन की जिम्मेदारी, विनय की प्रतिमूर्ति, निश्रावर्ति सभी साधुओ को संयम मार्ग में स्थिर करने का महान कार्य।।
आचार्य शासन को चलाता है तो उपाध्याय संघ को।।
जिस वाणी को तीर्थंकरो ने कहा है उस वाणी को उपाध्याय पदधारी हमे सुनाते है।।
योग्य आत्मा को वात्सल्य, समझ, स्नेह देकर उसे धर्म में रत करना - यह उनकी जिम्मेदारी है।
जैसे पंच परमेष्ठी में बीच में आचार्य बिराजित है, वैसे गुरु तत्त्व के बीच उपाध्याय बिराजित है।।
साधू और आचार्य के बीच पुल का कार्य उपाध्याय करते है।
आचार्य जिनशासन के राजा है तो उपाध्याय जिनशासन के युवराज है।
और आने वाले समय में वो आचार्य बनकर शासन को मार्ग दिखाते है।
आचार्य को तीर्थंकर की उपमा दी गयी है तो उपाध्याय को गणधर की उपमा दी गयी है।।
तीर्थंकर अर्थ का उपदेश देते है। आचार्य भी वही अर्थ का उपदेश देते है।
 गणधर सुत्रों आगमों की रचना करते है।
उपाध्याय उन आगमों का अर्थ सिखाते है।
उपाध्याय भगवंत गच्छ की जिम्मेदारी सँभालते है।
जिससे आचार्य भगवंत गच्छ के साथ शासन को चला सकते है
मुमुक्षु को दीक्षा आचार्य देते है।
उपाध्याय उसे संभालते है।
आचार्य पिता जैसे है
उपाध्याय माता के समान।।
उपाध्याय पदधारी से हमे विनय गुण की याचना करनी है।
गौतम स्वामी को उपाध्याय पद धारी कहा जाता है।
उनके 25 गुण होते है
ऐसे विनय की मूर्ति, आचार्य की आज्ञा को शिरोधार्य करने वाले, उपाध्याय पद को हमारी वंदना।।
उनको किया गया नमन हमे विनय गुण ।
ऐसी आंतरिक प्रार्थना
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