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📣 #ओडिशा में #अहिंसा_यात्रा
#शांतिदूत गुरुदेव #आचार्य_श्री_महाश्रमण जी आज कोलीमाटी पधारे। गुरुवर के पावन सान्निध्य से #मनोरम दृश्य एवं प्रेरणा #पाथेय। 📺
02.01.2018
प्रस्तुति> तेरापंथ मीडिया सेंटर
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ॐ अर्हम
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News in Hindi
🙏 #जय_जिनेन्द्र सा 🙏
दिनांक- 02-01-2018
तिथि: - #पौष शुक्ल #पूर्णिमा (15)
#मंगलवार त्याग/#पचखाण
★आज #पिज्ज़ा खाने का त्याग करे।
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जय जिनेन्द्र
#प्रतिदिन जो त्याग करवाया जाता हैं। सभी से #निवेदन है की आप स्वेच्छा से त्याग अवश्य करे। छोटे छोटे #त्याग करके भी हम मोक्ष मार्ग की #आराधना कर सकते हैं। त्याग अपने आप में आध्यात्म का मार्ग हैं।
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🙏तेरापंथ मीडिया सेंटर🙏
🔯 गुरुवर की अमृत वाणी 🔯
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#श्रीमुख से उच्चरित बृहत #मंगलपाठ से हुआ नूतन #वर्षाभिनन्दन
-सुदूर गांव बालीजोड़ी में #महातपस्वी के सन्निधि में उमड़ा #श्रद्धालुओं का सैलाब
-लगभग #7_किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री पधारे बालीजोड़ी एमई विद्यालय
-कई कार्यक्रमों के #साक्षी बन श्रद्धालु हुए निहाल
-#आचार्य_श्री_महाश्रमण जी ने अहिंसा, संयम तप द्वारा जीवन को मंगलमय बनाने की दी पावन प्रेरणा
01.01.2018 बालीजोड़ी, क्योंझर ($ओड़िशा):- एक जनवरी 2018 का सूर्य मानों ओड़िशा की धरती पर एक स्वर्णिम बिहान लेकर आया। क्योंकि इसी ओड़िशा की धरती पर जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के देदीप्यमान महासूर्य, अहिंसा यात्रा के प्रणेता, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना व अहिंसा यात्रा के साथ यात्रायित हैं। जब ऐसे महापुरुष जिस धरती पर गतिमान हों और मौका हो नूतन वर्ष 2018 के अभिनन्दन का तो भला कौन ऐसे स्वर्णिम पल को गुजर जाने देगा। महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में ओड़िशा के क्योंझर जिले के बालीजोड़ी एमई विद्यालय के इस सुदूर इलाके में श्रद्धालुओं की विशाल उपस्थिति तो शायद कुछ ऐसा ही बयां कर रही थी। मानों इस सुअवसर को संपूर्ण लाभ उठाने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालुओं एक सैलाब आ गया था अपने आराध्य के चरणों की वंदना करने।
सोमवार को सूर्योदय के पूर्व ही ओड़िशा राज्य के ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न राज्यों व क्षेत्रों से लोग आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में नववर्ष का बृहत मंगलपाठ का श्रवण करने को उपस्थित हो गए थे। हालांकि आचार्यश्री का बृहत मंगलपाठ का कार्यक्रम बालीजोड़ी एम.ई. स्कूल में ग्यारह बजे से होना था, किन्तु गुरु सन्निधि में पहुंचने के उतावलेपन में सूर्योदय से पूर्व ही पहुंच गए। हालांकि सूर्योदय के आसपास होने वाला अर्हतवन्दना के कार्यक्रम में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इसके उपरान्त निर्धारित समयानुसार आचार्यश्री अपनी धवल सेना के साथ घटगांव स्थित तरनी ठकुरानी महाविद्यालय प्रांगण से नूतन वर्ष 2018 का पहला चरणन्यास किया तो मानों यह उत्कल धरा और इसके वासी ऐस सुअवसर प्राप्त कर आह्लादित हो उठे। लगभग सात किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री बालीजोड़ी स्थित बालीजोड़ी एमई स्कूल में पधारे।
श्रद्धालुओं की विराट उपस्थिति में बना बड़ा पंडाल भी आज छोटा महसूस हो रहा था। पूरा खुला मैदान चारों ओर से श्रद्धालुओं से पटा हुआ था। लगभग दस बजे आचार्यश्री कार्यक्रम स्थल में मंचासीन हुए तो आज चतुर्दशी तिथि होने के कारण समस्त साधु-साध्वियों की उपस्थिति भी सुन्दर दृश्य उत्पन्न कर रही थी। सर्वप्रथम तेरापंथ धर्मसंघ की दो साध्वियों साध्वीश्री प्रकाशवतीजी और साध्वी श्री भाग्यवतीजी के प्रयाण के संदर्भ में स्मृति सभा का आयोजन हुआ। इसमें आचार्यश्री ने दोनों साध्वियों के जीवनवृत्त की संक्षिप्त जानकारी दी और दोनों साध्वियों के आत्माओं के निरंतर आगे बढ़ते रहने की मंगलभावना व्यक्त की तथा चतुर्विध धर्मसंघ के साथ चार लोगस्स का ध्यान किया। इसके उपरान्त आचार्यश्री ने चतुर्दशी तिथि होने के कारण हाजरी पत्र का वाचन किया तो उपस्थित समस्त चारित्रात्माओं ने लेखपत्र उच्चरित किया।
जैसे ही घड़ी ने ग्यारह बजाए आचार्यश्री ने श्रीमुख से नूतन #वर्ष_2018 के संदर्भ में बृहत मंगलपाठ के शुभारम्भ की घोषणा करते हुए ‘प्रभो तुम्हारे पावन पथ पर’ गीत का संगान किया। लगभग 11.11 बजे आचार्यश्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं व बेंगलुरु गत दिनों आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में उपस्थित ज्ञानार्थियों को सम्यक्त्व दीक्षा प्रदान की।
उसके उपरान्त जब आचार्यश्री ने पूरे शरीर को स्थिर कर नववर्ष के मंगलपाठ का उच्चारण आरम्भ किया तो उपस्थित विशाल जनमेदिनी खड़े होकर मंगलपाठ का श्रवण करने लगी। मानों वे इसी सुअवसर का लाभ लेने के लिए तो यहां उपस्थित थे। ओड़िशा की धरा पर एक बहुत सुन्दर दृश्य उपस्थित हो गया। मंगलपाठ उच्चारण के पश्चात आचार्यश्री ने श्रद्धालुओं पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि इस वर्ष के लिए कोई भी एक अच्छा संकल्प स्वीकार किया जा सकता है। सुझाव के तौर पर आचार्यश्री ने आज से लेकर 31 दिसम्बर 2018 तक के लिए दस मिनट का समय स्वाध्याय में लगाने की पावन प्रेरणा प्रदान की और श्रद्धालुओं को उनके लिए संकल्पों के त्याग ग्रहण करवाया।
मंगलपाठ व संकल्प की प्रेरणा के पश्चात तेरापंथ धर्मसंघ की असाधारण साध्वीप्रमुखाजी ने वर्ष 2018 के अपने प्रथम संबोधन में श्रद्धालुओं को जीवन में कुछ नया करने के लिए उत्प्रेरित किया और सफलता प्राप्ति के लिए धैर्य धारण करने की सीख प्रदान की। इस अवसर पर स्वरचित कविता का पाठ भी महाश्रमणी साध्वीप्रमुखाजी ने किया।
इसके उपरान्त तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने वर्ष 2018 के अपने प्रथम मंगल प्रवच में उपस्थित श्रद्धालुओं को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि आदमी के मन में मंगल की कामना होती है। आदमी स्वयं के लिए भी मंगल की कामना करता है और समय-समय पर दूसरों को भी मंगल शुभकामना देता है। भौतिक मंगल में आध्यात्मिक मंगल जुड़ा हुआ है। मानों भौतिक मंगल की पृष्ठभूमि में आध्यात्मिक मंगल ही कार्य करता है। आध्यात्मिक मंगलों में उत्कृष्ट मंगल धर्म को कहा गया है। इस धर्म रूपी मंगल के तीन आयाम बताए गए हैं-अहिंसा, संयम और तप। आदमी के भीतर करुणा की भावना होनी चाहिए। अहिंसा को परम धर्म कहा गया है। आदमी को अपने जीवन में संयम रखने का प्रयास करना चाहिए। संयम एक ऐसा सुरक्षा कवच है जो आत्मा को पापों से बचाता है। इसलिए आदमी को संयम की साधना करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को मन, वाणी और इन्द्रियों का संयम करने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री ने लोगों को अपने जीवन में तपबल की साधना को भी पुष्ट करने की प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि स्वाध्याय, तप, ध्यान के द्वारा आपनी के जीवन में तप की प्रबलता हो तो जीवन मंगलमय हो सकता है। आचार्यश्री ने लोगों को वर्ष 2018 को सुफल बनाने की भी पावन प्रेरणा दी। वहीं बेंगलुरु के उपस्थित ज्ञानार्थियों को पावन प्रेरणा प्रदान की। आचार्यश्री ने इस दौरान प्रसंगवश ‘यह है जगने की बेला’ गीत का भी संगान किया।
आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में जैन विश्व भारती और प्रेक्षा इंटरनेशल की ओर श्री अमरचंद लुंकड़, श्री विोद लूणिया व श्री पुखराज बड़ोला, श्री मूलचंद नाहर द्वारा नववर्ष का कैलेंडर लोकार्पित किया गया। अखिल भारती महिला मंडल की अध्यक्ष श्रीमती कुमुद कच्छारा व महामंत्री श्रीमती नीलम सेठिया द्वारा भी मोबाइल एप आदि भी आचार्यश्री के चरणों में लोकार्पित किया गया।
जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा
01.01.2018
प्रेषक > #तेरापंथ मीडिया सेंटर
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