Posted on 04.06.2023 16:54
🌸 शरीर की सक्षमता में ही कर लें धर्म का समाचरण: महातपस्वी महाश्रमण 🌸-सफाले की धरा पर हुआ युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण का मंगल पदार्पण
-स्वागत में उमड़े श्रद्धालु, भव्य स्वागत जुलूस संग आचार्यश्री पहुंचे एच.एम. पंडित हाईस्कूल
-गुरुदर्शन कर हर्षाए संत, गुरु के समक्ष दी अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति
04.06.2023, रविवार, सफाले, पालघर (महाराष्ट्र):
हजारों हजारों किलोमीटर की पदयात्रा कर मानव जीवन को सद्गुणों से भावित कर सफल बनाने की प्रेरणा प्रदान करने वाले युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी का आज सफाला में मंगल पदार्पण हुआ। सन् 2023 के मुंबई चातुर्मास हेतु गतिमान ज्योतिचरण की मंगल सन्निधि से महाराष्ट्रवासी नित नव्य आध्यात्मिक आभा को प्राप्त कर रहे है। प्रातः गुरुदेव ने केलवा रोड से प्रस्थान किया। स्थानीय जैन उपाश्रय में पधार कर आचार्यश्री ने स्थानीय जैन समाज को आशीर्वाद प्रदान किया। प्रातः हल्की बारिश होने से मौसम में कुछ ठंडक थी किंतु जैसे जैसे धूप बढ़ने लगी वातावरण में उमस व्याप्त हो गई। उबड़-खाबड़ मार्ग, पसीने से तरबतर तन की चिंता से भी विरत शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण गंतव्य की ओर अविचल रूप से गतिमान थे। गुरुदेव के सफाला आगमन से श्रावक समाज में अतिशय उल्लास छाया हुआ था। पूज्य प्रवर ने महती कृपा कर क्षेत्र से संबंधित मुनि प्रिंस कुमार जी के ज्ञातिजनों के निवास पर पधार कर उन्हें उपासना का अवसर प्रदान किया। मार्ग में स्थानीय जैन उपाश्रय एवं जैन स्थानक के समक्ष भी आचार्य श्री ने मगलपाठ प्रदान कर आशीष प्रदान किया। इस दौरान स्थानकवासी साध्वी विरागसाधनाश्री आदि साध्वियों ने आचार्य श्री ने दर्शन कर सुखपृच्छा की।
गुरुदेव का सफाला प्रवास अनेक दृष्टियों से महत्वपूर्ण बन गया। लगभग 08 वर्षों पश्चात आगम मनीषी मुनि श्री महेंद्र कुमार जी के सहवर्ती मुनि अजीत कुमार जी, मुनि जंबू कुमार जी, मुनि अभिजीत कुमार जी आदि संतों ने पूज्य प्रवर के दर्शन किए। मुनि मोहजीत कुमार जी आदि मुनिवृंद भी आज गुरु सन्निधि में पहुंचे। गुरु शिष्य मिलन अद्भुत पलों को देख हर कोई स्वयं को धन्य महसूस कर रहा था। लगभग 8.5 किमी विहार कर गुरुदेव का एच. एम. पंडित हाईस्कूल में प्रवास हेतु पावन पदार्पण हुआ।
भिक्षु समवसरण में आयोजित मंगल प्रवचन कार्यक्रम में आचार्यश्री ने समुपस्थित विशाल जनमेदिनी को पावन संबोध प्रदान करते हुए कहा कि दसवेआलियं में एक जागृति का एक संदेश दिया गया है कि शरीर की सक्षमता के रहते-रहते आदमी को धर्म का समाचरण कर लेना चाहिए। शरीर सक्षम होता है तो धर्म के समाचरण में सहयोग मिल सकता है। शरीर असक्षम हो जाए तो धर्म के कार्य करने में बाधा उत्पन्न हो जाती है। जब आदमी को बुढ़ापा पीड़ित करने लग जाए तो आदमी कोई कार्य कैसे कर सकता है। जब तक बुढ़ापा पीड़ित न करे आदमी को धर्म का समाचरण कर लेना चाहिए। दूसरी बात कि जब तक शरीर में व्याधि न आए, तब-तक धर्म कर लेना चाहिए। शरीर वृद्धावस्था में नहीं पहुंचा और किसी को कोई बीमारी लग जाए, शरीर में कष्ट हो जाए तो फिर धर्म का समाचरण भी कठिन हो जाता है।
तीसरी बात है कि इन्द्रियहीनता न आए, तब तक धर्म कर लेना चाहिए। इन्द्रियहीनता अर्थात् आंखों से दिखाई देना बन्द हो जाए, कानों से सुनाई न दे और भी इन्द्रियां कमजोर हो जाएं तो भी धर्माराधना में बाधा उत्पन्न हो सकता है। शरीर सक्षम हो तो सेवाकार्य भी हो सकता है। सेवा कार्य और अच्छे कार्य के लिए शरीर की सक्षमता अपेक्षित होता है। किसी की पवित्र सेवा, गोचरी-पानी के लिए, धर्म के प्रचार-प्रसार के कहीं आने जाने की स्थिति हो तो अच्छा कार्य हो सकता है और यदि शरीर अक्षम हो जाए तो धर्म का कार्य करने में बाधा उत्पन्न हो जाती है। इसलिए आदमी को शरीर की सक्षमता की स्थिति में ही अपनी आत्मा के कल्याण के लिए धर्म का समाचरण कर लेना चाहिए। शरीर में आश्रवों को आने से रोकने का प्रयास हो और संवर और निर्जरा के द्वारा पूर्व कर्मों को नष्ट करने का प्रयास हो तो आत्मा इस भव सागर से पार हो सकती है और मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। इस दुर्लभ मानव जीवन का अच्छा उपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। जो आदमी साधु बन जाता है, मानों वह अपने शरीर का कितना अच्छा उपयोग कर लेता है। अक्षम, रुग्ण और सेवासापेक्ष की सेवा करना बहुत अच्छी साधना होती है। इसलिए आदमी को शरीर को सक्षम रहते हुए ही धर्माचरण कर अपने जीवन का कल्याण करने का प्रयास करना चाहिए।
कार्यक्रम में उपस्थित जनता को साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने उद्बोधित किया। स्थानकवासी समाज की साध्वी विरागसाधनाजी ने भी अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया। तदुपरान्त आचार्यश्री के आज दर्शन करने वाले मुनि अजितकुमारजी व संसारपक्ष में सफाले से संबद्ध बालयोगी मुनि प्रिंसकुमारजी, मुनि जम्बूकुमारजी, मुनि अभिजीतकुमारजी, मुनि जागृतकुमारजी व मुनि सिद्धकुमारजी ने गुरुचरणों में अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए। गुरुदर्शन करने वाले संतों ने गीत का संगान किया। स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री राजेश चोरड़िया, श्रीमती ममता परमार, श्री नरेश माण्डोत, स्कूल के ट्रस्टी श्री कांतिलाल दोशी ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल ने स्वागत गीत का संगान किया। तेरापंथ कन्या मण्डल व ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी-अपनी भावपूर्ण प्रस्तुतियों के माध्यम से आचार्यश्री की अभिवंदना की। दो साध्वियों के जीवनी ‘तेजस्विता और शीतलता का संगम’ नामक पुस्तक जैन विश्व भारती के पदाधिकारियों द्वारा श्रीचरणों में लोकार्पित की गई।
यूट्यूब पर Terapanth चैनल को सब्सक्राइब करें
https://www.youtube.com/c/terapanth
यूट्यूब पर आज का वीडियो ऑनलाइन देखने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें
https://www.youtube.com/live/RaLUdfONwr0?feature=share
फेसबुक पेज पर प्रतिदिन न्यूज़ पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें और पेज को लाइक करे, फॉलो करें।
तेरापंथ
https://www.facebook.com/jain.terapanth/
🙏 संप्रसारक🙏
जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा
आचार्यश्री महाश्रमण जी एवं तेरापंथ धर्मसंघ आदि के नवीनतम समाचार पाने के लिए--
♦ 7044774444 पर join एवं अपने शहर का नाम लिखकर whatsapp करें।
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook