02.07.2023: Acharya Shiv Muni

Published: 02.07.2023
Updated: 02.07.2023

Updated on 02.07.2023 18:03

आत्म जागृति का सुनहरा अवसर है चातुर्मास - आचार्य श्री शिवमुनि जी
प्रकृति के दिव्य वातावरण में हुआ भव्य चातुर्मास प्रवेश
प्रस्तोता प्रवचन प्रभाकर श्री शमित मुनि जी म.सा.
आत्मज्ञानी सद्गुरूदेव युगप्रधान आचार्य सम्राट पूज्य डॉ. श्री शिवमुनि जी म.सा. ने अपने वर्ष 2023 के चातुर्मास प्रवेश पर दिनांक 29 जून 2023 को अपने मंगलमय उदबोधन में फरमाया कि -
चातुर्मास अध्यात्म की यात्रा प्रारम्भ कर अपने भीतर प्रवेश करने का सुअवसर है। सद्गुणों की वृद्धि करने का अवसर है। अनंत सुख का अनुभव करने का। अस्तित्व बोध् द्वारा कर्मक्षय करके सिद्धालय की ओर जाने का। मिथ्यात्व से सम्यक्त्व की ओर जाने का। कषाय पर विजय पाने का अवसर है।
साधु चर्या का एक अंग है चातुर्मास। इस बार पाँच माह का चातुर्मास है। साधु-साध्वी अपनी साधना करते है, श्रावक-श्राविका धर्म की आराधना करते है। साधना और आराधना से ही धर्म की प्रभावना होती है। बरसात के मौसम में त्रस जीवों की उत्पत्ति अधिक होती है अहिंसा को ध्यान में रखते हुए आप एक जगह रहकर अपनी धर्म आराधना करके कर्मनिर्जरा करते हुए मोक्ष मार्ग की ओर अपनी यात्रा बढ़ा सकते हैं।
भगवान ने साधु-साध्वी जी के लिए अणगार धर्म बताया है, श्रावक-श्राविका के लिए आगार धर्म बताया है।
इसलिए भगवान ने भेद-विज्ञान की साधना बताई है। भेद-विज्ञान आधार है जैन धर्म का, मोक्ष मार्ग का, कर्मक्षय करने का, अनंतसुख पाने का, अन्तरात्मा को जागृत करने का।
भेद-विज्ञान के बारे में हम भी सुनते थे, पढ़ते थे, बोलते थे, इतने मात्र से कुछ नहीं होगा। जब तक आप स्वयं अनुभव नहीं करोंगे, उसमें उतरोंगे नहीं, गहराई में नहीं जाओंगे, भेद-विज्ञान को नहीं समझ पाओंगे। भेद-विज्ञान क्या है?
शरीर और आत्मा को अलग-अलग करने का नाम है भेद-विज्ञान। नाम तो शरीर का है, शरीर के भीतर जो आत्मा है वह महत्वपूर्ण है। आप किसको महत्व देते है, शरीर और आत्मा को अलग-अलग जानकर, समझकर जो आत्मा सार है उसमें गहरे उतर जाओ, यही साधना है। आत्मा केवल शब्द नहीं है आत्मा को जानना, समझना और भीतर ठहरना ही साधना है। आत्मा निराकार है सबसे शक्तिशाली है।
धर्म की आराधना से शाश्वत सुख मिलता है किन्तु अज्ञान दशा में आप सुख बाहर ढूंढ रहे है, सुखाभास को सुख मानकर बैठे है। वास्तविक सुख निज आत्मा में है। आत्मा को आँखों से देख नहीं सकते है केवल अनुभव कर सकते है।
जीव की सबसे बड़ी भूल यह है कि उसने आत्मा को नहीं जाना और देह को अपना माना। इसलिए जीव चार गति चैरासी लाख जीवायोनि में भ्रमण कर रहा है।
जैन कॉन्फ्रेंस के वर्तमान अध्यक्ष श्री आनंद जी छल्लाणी ने घोषणा कि है कि जैन कॉन्फ्रेंस भवन, दिल्ली में श्रमणसंघ का राष्ट्रीय कार्यालय एवं आत्म ध्यान धर्म यज्ञ शिविर लगाने का संकल्प किया है। मैं जैन कॉन्फ्रेंस के लोगों से कहुंगा पूरी जैन कॉन्फ्रेंस के सदस्य एवं देश-विदेश से साधक आकर वीतराग धर्म का प्रशिक्षण प्राप्त करें।
चातुर्मास में कम से कम श्रावक दो घंटे अपने लिए निकाले और साधना करें, सामायिक करें आपका जीवन सफल हो जायेगा।
क्षमा, संतोष, सरलता और विनय ये धर्म के चार द्वार है। सबको क्षमा करों, संतोष जैसा सुख नहीं है, सरलता से जीव जल्दी मोक्ष जाता है और विनय के बिना जीव जीवन में कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकता।
इस वर्ष श्रमणसंघ के 360 चातुर्मास है, मैं समस्त साधु-साध्वीवृंदों के चातुर्मास की मंगल कामना करता हूँ। आपका चातुर्मास आध्यात्मिकता से परिपूर्ण हो। स्वाध्याय, ध्यान, तप की आराधना हो। प्रत्येक साधक खुद से जुड़ने का प्रयास और पुरूषार्थ करें। जैन कॉन्फ्रेंस ने आचार्य सम्राट पूज्य श्री आनंदऋषि जी म.सा. के जन्म महोत्सव के उपलक्ष्य में 17 अगस्त 2023 को एक लाख आठ हजार आयम्बिल का लक्ष्य रखा हैं, उस दिन अधिक से अधिक आयम्बिल हो।
दिनांक 29 जून 2023 को प्रातः 9.15 बजे शुभ मुहुर्त में प्रकृति की दिव्य छटा में आचार्य भगवन् अपने अन्तेवासी शिष्यवृंद के साथ श्री तुलसीराम चपलोत के निवास स्थान बंगला नम्बर 98 से शोभा यात्रा के रूप में श्रावक-श्राविका, श्रद्धालु, गुरू भक्तों के द्वारा जयकारों के शंखनाद के साथ आत्म भवन बंगला नम्बर 416-417 पधारे।
नवकार मंत्र की पावन पवित्र धुन के साथ मधुर गायक युवामनीषी श्री शुभम मुनि जी म.सा. ने प्रवचन सभा का आरम्भ किया। श्रीमती मनीषा संचेती, सुश्री ज्योति मेहता, श्रीमती मीना रांका ने सुन्दर एवं मधुर स्वागत गीत गाएं। जैन कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष श्री आनंद छल्लाणी, श्रावक समीति के अध्यक्ष श्री रवीन्द्रनाथ जैन, श्री सज्जनराज तालेड़ा, श्री गजेन्द्र चण्डालिया, श्री दिनेश संचेती, श्री सुरेश चोपड़ा, श्री धर्मीचंद चोपड़ा आदि ने इस अवसर पर अपनी मंगल कामनाएं प्रस्तुत की।
प्रवेश के इस अवसर पर आनंद आगम अमृतम स्वाध्याय की पुस्तक एवं आचार्य सम्राट पूज्य श्री आत्माराम जी म.सा. द्वारा टीकाकृत एवं श्री धर्मीचंद चोपड़ा द्वारा पद्यमय प्रस्तुति श्रीमद् अन्तकृतदशांग सूत्र का विमोचन हुआ। मंच का सुन्दर संचालन जैन कॉन्फ्रेंस के कार्याध्यक्ष श्री अशोक मेहता ने किया। शिवाचार्य आत्म ध्यान फाउण्डेशन के द्वारा इस चातुर्मास की सारी व्यवस्थाएं आयोजित की जा रही है।

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Posted on 02.07.2023 14:57

चातुर्मासिक पक्खी एवं गुरू पूर्णिमा पर करें शिवाचार्य दर्शन एवं सुने मंगल प्रवचन
आत्मज्ञानी सदगुरुदेव युगप्रधान आचार्य सम्राट पूज्य श्री शिवमुनि जी महाराज आदि ठाणा के मंगलमय सान्निध्य में शिवाचार्य आध्यात्मिक वर्षावास के अन्तर्गत निम्न कार्यक्रम आत्म भवन अवध संगरीला बलेश्वर सूरत गुजरात में आयोजित हो रहा है।
दिनांक 2 जुलाई 2023 को
प्रातः 9:30 बजे से संतवाणी, शिवाचार्य अमृतवाणी, ध्यान, प्रत्याख्यान एवं मंगलपाठ होगा।
दिनांक 3 जुलाई 2023
प्रातः 9 बजे से गुरुपूर्णिमा पर आचार्य श्री जी एवं संतवृन्द के मंगल दर्शन प्रवचन का लाभ मिलेगा।
उपरोक्त सभी कार्यक्रम का सीधा प्रसारण ( Live Telecast) www.youtube.com/jainacharyaji
www.facebook.Com/shivmuni
पर होगा।

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अन्य ध्यान पद्धतियां कहती हैं-‘पहले ज्ञान, फिर ध्यान’। ध्यान योगी डॉ. शिवाचार्य कहते हैं कि ध्यान के बिना अर्जित ज.....


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