🌸 जैन शासन में भिन्नता के साथ अभिन्नता – आचार्य महाश्रमण🌸
- जैनम जयतु शासनम् का समायोजन
- जैविभा द्वारा संघ सेवा पुरस्कार सम्मान समारोह
- 22 वें अंतर्राष्ट्रीय प्रेक्षा ध्यान शिविर का शुभारंभ
01.11.2023, बुधवार, घोड़बंदर रोड, मुंबई (महाराष्ट्र)
अणुव्रत द्वारा जीवन में सदाचरण की प्रेरणा देने वाले जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के पावन सान्निध्य में आज जैन विश्व भारती द्वारा संघ सेवा पुरस्कार समारोह आयोजित हुआ। साथ ही इस अवसर पर तेरापंथ महिला मंडल मुंबई द्वारा 'जैनम जयतु शासनम्' कार्यक्रम समायोजित हुआ। जिसमें मुंबई सकल जैन समाज की दो हजार से अधिक महिलाओं ने भाग लिया। आचार्यप्रवर एवं साध्वीप्रमुखा श्री विश्रुतविभा जी ने 'वर्तमान में भगवान महावीर के सिद्धांतों की प्रासंगिकता’ विषय पर प्रेरणा पाथेय प्रदान किया।
गुरुदेव ने मंगल प्रवचन में कहा– जीव के दो प्रकार है, सिद्ध व संसारी। सिद्ध मोक्ष में विराजमान हैं, जहाँ जन्म व मरण की कोई बात नहीं होती। सिद्ध भगवान अरूपी है, वे अमूर्त होते है। चौदहवें गुणस्थान में आत्मा का जो स्वरूप उजागर होता है वह सिर्फ सिद्धों के ही होता है। जीव चार गतियों में भ्रमण रहता है– नरक, तीर्यंच, मनुष्य व देव। इन चारों गतियों से छूटकारा व कर्मों का क्षय हो जाता है तब मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। इस मानव जीवन में हमें दुःख मुक्ति की साधना करनी चाहिए व मोक्ष का लक्ष्य रखना चाहिए।
आचार्य श्री ने आगे बताया कि जैन दर्शन में आत्मवाद व कर्मवाद का सूक्ष्म दर्शन उपलब्ध है। बाईस तीर्थकरों के समय चातुर्याम व पहले ऋषभ प्रभु व अंतिम भगवान महावीर के समय पांच महाव्रत की अवधारणा थी। जैन शासन में भिन्नता है तो अभिन्नता भी है, भेद के साथ अभेद भी है। नमस्कार महामंत्र, भक्तामर व तत्वार्थ सूत्र सभी जैन सम्प्रदायों को मान्य है। आगे भगवान महावीर की २५५० वां निर्वाण दिवस आ रहा है, जिसे सब जैन मनाना चाहेंगे। २५०० वां निर्वाण दिवस भी सबने मिलकर मनाया। सब में सदा मैत्री भाव का विकास होता रहे व जैन समाज के लोग अशांति, परस्पर कलह तथा नॉनवेज आदि अखाद्य के सेवन से बचते रहे। अनेकान्त के महत्व को समझें व यथार्थ को प्राथमिकता दे यह आवश्यक है।
इस अवसर पर मुंबई महिला मंडल की ओर से श्री तरुणा बोहरा ने अपने विचार प्रस्तुत किए। महिला मंडल की बहनों ने गीत का संगान किया।
जैविभा द्वारा संघ सेवा पुरस्कार
कार्यक्रम में जैन विश्व भारती, लाडनूं द्वारा सन् 2020 के लिए श्री ख्यालीलाल तातेड़ एवं सन् 2021 के लिए श्री किशनलाल डागलिया को संघ सेवा पुरस्कार प्रदान किया गया। श्री नेमचंद जेसराज सेखानी चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा प्रायोजित इस पुरस्कार को श्री जैसराज सेखानी, जैन विश्व भारती के अध्यक्ष श्री अमरचंद लुंकड़ सहित संस्था के पदाधिकारियों ने गुरुदेव के समक्ष पुरस्कार प्राप्त कर्ताओं को प्रदान किया। जैविभा के मंत्री श्री सलिल लोढ़ा ने परिचय प्रस्तुत किया। श्री रमेश सुतरिया ने प्रशस्ति पत्र का वाचन किया। सम्मान प्राप्त कर्ताओं ने भी अपनी भावाभिव्यक्ति दी।
22 वें अंतर्राष्ट्रीय प्रेक्षा ध्यान शिविर का शुभारंभ
प्रेक्षा प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमण जी की पावन सन्निधि में नंदनवन परिसर में अंतर्राष्ट्रीय प्रेक्षा ध्यान शिविर का आज शुभारंभ हुआ। आचार्य प्रवर ने शिविरार्थियों को ध्यान के प्रयोग करवाया। शिविर में रशिया, यूक्रेन, जापान, अमेरिका, ब्रिटेन, वियतनाम आदि से संभागी ध्यान हेतु पहुंचे है।
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01.11.2023, बुधवार, घोड़बंदर रोड, मुंबई (महाराष्ट्र)
अणुव्रत द्वारा जीवन में सदाचरण की प्रेरणा देने वाले जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के पावन सान्निध्य में आज जैन विश्व भारती द्वारा संघ सेवा पुरस्कार समारोह आयोजित हुआ। साथ ही इस अवसर पर तेरापंथ महिला मंडल मुंबई द्वारा 'जैनम जयतु शासनम्' कार्यक्रम समायोजित हुआ। जिसमें मुंबई सकल जैन समाज की दो हजार से अधिक महिलाओं ने भाग लिया। आचार्यप्रवर एवं साध्वीप्रमुखा श्री विश्रुतविभा जी ने 'वर्तमान में भगवान महावीर के सिद्धांतों की प्रासंगिकता’ विषय पर प्रेरणा पाथेय प्रदान किया।
गुरुदेव ने मंगल प्रवचन में कहा– जीव के दो प्रकार है, सिद्ध व संसारी। सिद्ध मोक्ष में विराजमान हैं, जहाँ जन्म व मरण की कोई बात नहीं होती। सिद्ध भगवान अरूपी है, वे अमूर्त होते है। चौदहवें गुणस्थान में आत्मा का जो स्वरूप उजागर होता है वह सिर्फ सिद्धों के ही होता है। जीव चार गतियों में भ्रमण रहता है– नरक, तीर्यंच, मनुष्य व देव। इन चारों गतियों से छूटकारा व कर्मों का क्षय हो जाता है तब मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। इस मानव जीवन में हमें दुःख मुक्ति की साधना करनी चाहिए व मोक्ष का लक्ष्य रखना चाहिए।
आचार्य श्री ने आगे बताया कि जैन दर्शन में आत्मवाद व कर्मवाद का सूक्ष्म दर्शन उपलब्ध है। बाईस तीर्थकरों के समय चातुर्याम व पहले ऋषभ प्रभु व अंतिम भगवान महावीर के समय पांच महाव्रत की अवधारणा थी। जैन शासन में भिन्नता है तो अभिन्नता भी है, भेद के साथ अभेद भी है। नमस्कार महामंत्र, भक्तामर व तत्वार्थ सूत्र सभी जैन सम्प्रदायों को मान्य है। आगे भगवान महावीर की २५५० वां निर्वाण दिवस आ रहा है, जिसे सब जैन मनाना चाहेंगे। २५०० वां निर्वाण दिवस भी सबने मिलकर मनाया। सब में सदा मैत्री भाव का विकास होता रहे व जैन समाज के लोग अशांति, परस्पर कलह तथा नॉनवेज आदि अखाद्य के सेवन से बचते रहे। अनेकान्त के महत्व को समझें व यथार्थ को प्राथमिकता दे यह आवश्यक है।
इस अवसर पर मुंबई महिला मंडल की ओर से श्री तरुणा बोहरा ने अपने विचार प्रस्तुत किए। महिला मंडल की बहनों ने गीत का संगान किया।
जैविभा द्वारा संघ सेवा पुरस्कार
कार्यक्रम में जैन विश्व भारती, लाडनूं द्वारा सन् 2020 के लिए श्री ख्यालीलाल तातेड़ एवं सन् 2021 के लिए श्री किशनलाल डागलिया को संघ सेवा पुरस्कार प्रदान किया गया। श्री नेमचंद जेसराज सेखानी चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा प्रायोजित इस पुरस्कार को श्री जैसराज सेखानी, जैन विश्व भारती के अध्यक्ष श्री अमरचंद लुंकड़ सहित संस्था के पदाधिकारियों ने गुरुदेव के समक्ष पुरस्कार प्राप्त कर्ताओं को प्रदान किया। जैविभा के मंत्री श्री सलिल लोढ़ा ने परिचय प्रस्तुत किया। श्री रमेश सुतरिया ने प्रशस्ति पत्र का वाचन किया। सम्मान प्राप्त कर्ताओं ने भी अपनी भावाभिव्यक्ति दी।
22 वें अंतर्राष्ट्रीय प्रेक्षा ध्यान शिविर का शुभारंभ
प्रेक्षा प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमण जी की पावन सन्निधि में नंदनवन परिसर में अंतर्राष्ट्रीय प्रेक्षा ध्यान शिविर का आज शुभारंभ हुआ। आचार्य प्रवर ने शिविरार्थियों को ध्यान के प्रयोग करवाया। शिविर में रशिया, यूक्रेन, जापान, अमेरिका, ब्रिटेन, वियतनाम आदि से संभागी ध्यान हेतु पहुंचे है।
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