16.02.2024: Jain Swetambar Terapanthi Mahasabha

Published: 16.02.2024
Updated: 16.02.2024

Updated on 16.02.2024 20:05

2025 की अक्षय तृतीया डीसा में घोषित

Watch video on Facebook.com


परम पूज्य गुरुदेव के मुखारविंद से दीक्षाओं की घोषणा

Watch video on Facebook.com


🌸 आचार, विचार, आचार्य, विधान व शिष्य एकता से धर्मसंघ बनता है प्रभावशाली : महातपस्वी महाश्रमण 🌸

-160वें मर्यादा महोत्सव के शिखर दिवस पर धर्मसंघ के शिखर पुरुष ने धर्मसंघ को दिया पावन संदेश

-साधु, साध्वियों के विहार-चतुर्मास व समणियों सेंटर्स व उपकेन्द्रों की हुई घोषणा

-मर्यादा महोत्सव के अवसर पर स्वरचित गीत का आचार्यश्री ने किया संगान

-सूरत चतुर्मास के दौरान होंगे दो दीक्षा समारोहों में 7 दीक्षाएं

16.02.2024, शुक्रवार, वाशी, नवी मुम्बई (महाराष्ट्र) :

अरब सागर की खाड़ी के पास बसे नवी मुम्बई के वाशी में आस्था, भक्ति, उत्साह, उमंग, श्रद्धा का उमड़ता ज्वार से आप्लावित होता जन-जन का मन। मर्यादा, व्यवस्था, निष्ठा, समर्पण के महाकुम्भ जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के 160वें मर्यादा महोत्सव का शिखर दिवस। आसमान के मध्य में विराजमान सूर्य तो शुक्रवार को निर्धारित समयानुसार लगभग 12 बजे मर्यादा समवसरण के भव्य प्रवचन पण्डाल के मंच के मध्य देदीप्यमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान महासूर्य आचार्यश्री महाश्रमण। आसपास विराजित शिष्य संपदा। समक्ष उपस्थित विशाल जनमेदिनी।

महामंत्रोच्चार से शिखर दिवस के कार्यक्रम का शुभारम्भ

ठीक सवा बारह बजे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मंगल महामंत्रोच्चार कर आज के शिखर दिवस का कार्यक्रम प्रारम्भ किया। आचार्यश्री ने उपस्थित चतुर्विध धर्मसंघ ‘भीखणजी स्वामी! भारी मर्यादा बांधी संघ में’ का संगान करने का आह्वान करते हुए स्वयं पट्ट से नीचे उतरकर खड़े हुए तो पूरी जनमेदिनी अपने स्थान पर खड़े होकर अपने सुगुरु के स्वरों में इस मर्यादा गीत का संगान किया।

समणीवृंद, साध्वीवृंद व मुनिवृंद ने अपने-अपने गीतों का किया संगान

मर्यादा के इस महामहोत्सव पर सर्वप्रथम समणीवृंद, साध्वीवृंद व मुनिवृंद ने पृथक्-पृथक् गीत का संगान करते हुए संघ-संघपति के प्रति अपनी विनयांजलि अर्पित की।

साध्वीप्रमुखाजी ने जनता को किया उद्बोधित

तेरापंथ धर्मसंघ की नवमी साध्वीप्रमुखा साध्वी विश्रुतविभाजी ने जनता को उद्बोधित करते हुए कहा कि मर्यादा और अनुशासन के कारण ही तेरापंथ धर्मसंघ का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है। आचार्यप्रवर संघ की सार-संभाल व सारणा-वारणा करते हैं। हमें भी आचार्यश्री से प्रेरणा प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।

तेरापंथाधिशास्ता का मर्यादा के शिखर दिवस पर मंगल संदेश

तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मर्यादा महोत्सव के शिखर दिवस पर पावन संदेश प्रदान करते हुए कहा कि धर्म को उत्कृष्ट मंगल कहा गया है। अहिंसा, संयम और तप से समन्वित धर्म को उत्कृष्ट मंगल कहा गया है। आज हम धर्म से जुड़े हुए एक संगठन के वार्षिक महोत्सव के 160वें समारोह में संभागी बन रहे हैं। तेरापंथ धर्मसंघ की स्थापना को 264 वर्ष हुए। हमारे धर्मसंघ के संस्थापक व जनक परम पूजनीय आचार्यश्री भिक्षु स्वामी हैं। उन्होंने धर्मसंघ के लिए मर्यादाओं का निर्माण करते हुए एक मर्यादा पत्र वि.सं. 1859 को माघ शुक्ला सप्तमी को लिखा। आचार्यश्री ने उस पत्र को दिखाते हुए कहा कि यह मर्यादा पत्र ही हमारे धर्मसंघ के लिए गणछत्र बना हुआ है। इस प्रकार छत्र वर्षा, धूप आदि से बचाता है, हमारे धर्मसंघ की मर्यादा हमें आश्रय प्रदान करती है। आचार्यश्री ने प्रथम आचार्य से क्रमवार दसों आचार्यों के नामोल्लेख करते हुए कहा कि तेरापंथ के प्रथम दशक इन पूर्वाचार्यों से पूर्ण हो चुका है। वर्तमान में दूसरा दशक प्रारम्भ है। तेरापंथ धर्मसंघ एक आध्यात्मिक संघ जो चतुर्विध धर्मसंघ है। यह संघ हमारे लिए पूजनीय और वंदनीय है। संघ की एकता और प्रभावकता के मुख्य पांच मर्यादाएं हैं। पहली मर्यादा एक आचार है। इसमें एक ही मर्यादा समस्त चारित्रात्माओं के लिए भी तो एक ही मर्यादा समस्त श्रावक-श्राविकाओं के लिए है। दूसरी विचार की एकता की मर्यादा है। पूरे धर्मसंघ में एक मान्यता और एक ही विचार है। तीसरी बात एक ही आचार्य की बात है। पूरे धर्मसंघ में सभी साधु, साध्वियों, समणियां व श्रावक-श्राविकाओं के लिए एक ही आचार्य का विधान है। चौथी मर्यादा एक ही विधान है। पांचवी बात शिष्यों की एकता। इस प्रकार एक आचार, एक विचार, एक आचार्य, एक विधान और एक शिष्यता के कारण धर्मसंघ प्रभावशाली बना हुआ है। साधु-साध्वियों के साथ समणियां भी गृहत्यागी होती हैं। सभी अपनी आत्मा के कल्याण का प्रयास करें। चारित्रात्माएं अपने पंच महाव्रतों की पालना के लिए सजग और जागरूक रहें। अपने साधुपन, संघ और संघपति के प्रति और समर्पण का भाव हो। संघ की एकता और अखण्डता को बनाए रखने में योगभूत बनने का प्रयास करना चाहिए।

आचार्यश्री ने आज के दिन तेरापंथ धर्मसंघ की मर्यादाओं का उल्लेख करते हुए चतुर्विध धर्मसंघ को अनेकानेक प्रेरणाएं प्रदान करते रहे और अभिभूत चतुर्विध धर्मसंघ अपने आराध्य के वचनामृत का पान करता रहा। आचार्यश्री ने चारित्रात्मा अनुशासन संहिता, गुरुकुलवास की मर्यादावली व श्रावक-श्राविकाओं के लिए निर्मित श्रावक संदेशिका के माध्यम से प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि संघीय संस्थाओं आदि के पदाधिकारियों को तो श्रावक संदेशिका अवश्य पढ़ लेने का प्रयास करना चाहिए। संस्थाओं में पैसे के मामले में नैतिकता-निर्मलता और शुचिता को बनाए रखने का प्रयास हो।

आचार्यश्री ने तेरापंथ धर्मसंघ की एक-एक संस्थाओं का नामोल्लेख करते हुए उनके महत्त्व, उनके कार्य व उन्हें अपने कार्य में गतिमत्ता प्रदान करने की प्रेरणा प्रदान की तो उपस्थित लोगों ने अपने आराध्य के वचनों को श्रद्धा के साथ ग्रहण करते रहे।

30 सितम्बर 2024 से प्रेक्षाध्यान वर्ष के आयोजन की घोषणा

आचार्यश्री महाश्रमणजी ने 30 सितम्बर 2024 से 30 सितम्बर 2025 तक प्रेक्षाध्यान वर्ष मनाए जाने की भी घोषणा की।

तदुपरान्त आचार्यश्री ने 160वें मर्यादा महोत्सव के संदर्भ में स्वरचित गीत का संगान किया तो अपने आराध्य के संग चतुर्विध धर्मसंघ ने भी उस गीत का संगान किया। आचार्यश्री ने मर्यादा के आधारभूत पत्र का वाचन किया। तदुपरान्त साधु-साध्वियों के चतुर्मास व विहार क्षेत्रों की घोषणा की तथा समणियों के विदेशी सेंटर्स व भारत के उपकेन्द्रों की भी घोषणा की।

सूरत में दो दीक्षा समारोह आयोजित करने की घोषणा

सूरत में आयोजित वर्ष 2024 के चतुर्मास के दौरान आचार्यश्री ने दो दीक्षा समारोह करने की घोषणा करते हुए कहा कि 12 सितम्बर 2024 को आयोजित दीक्षा समारोह में मुमुक्षु सुरेन्द्र कोचर, मुमुक्षु विकास बाफना, मुमुक्षु दीक्षिता, मुमुक्षु मीनल, मुमुक्षु मीनाक्षी व मुमुक्षु नूपुर को 12 सितम्बर 2024 को दीक्षा देने की घोषणा की। इसके साथ ही शासन गौरव साध्वी राजीमतिजी को मुमुक्षु मानवी को साध्वी दीक्षा प्रदान कर अपने पास ही रखने का इंगित प्रदान किया।

2025 की अक्षय तृतीया डीसा में घोषित

आचार्यश्री ने वर्ष 2025 की अक्षय तृतीया गुजरात के डीसा में करने तथा पालनपुर में वैशाख शुक्ला नवमी व दसमी के कार्यक्रम आयोजित करने की घोषणा की।

अनुशासन की झलक देख जन-जन का मन हुआ आह्लादित

आचार्यश्री की अनुज्ञा से लेखपत्र के उच्चारण के लिए जब विशाल प्रवचन पण्डाल में एक ओर संतों की पंक्ति, दूसरी ओर साध्वियों की पंक्ति तथा बीच में समणियों ने अपनी पंक्ति बनाई तो इस अनुशासन और मर्यादा के नयाभिराम दृश्य को देख जन-जन का मन भावविभोर हो उठा। सभी ने एक स्वर में लेखपत्र का वाचन किया। तदुपरान्त आचार्यश्री की अनुज्ञा के अनुसार श्रावक-श्राविकाओं ने अपने स्थान पर खड़े होकर श्रावक निष्ठापत्र का वाचन किया।

कार्यक्रम के अंत में महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी के साथ चतुर्विध धर्मसंघ ने अपने स्थान पर खड़े होकर संघगान किया। आचार्यश्री ने मंगलपाठ के उपरान्त 160वें मर्यादा महोत्सव के त्रिदिवसीय कार्यक्रम की सम्पन्नता की घोषणा की। इस मर्यादा महोत्सव के कार्यक्रम में आचार्यश्री सहित 55 साधु, 114 साध्वियां व 39 समणियों सहित 208 की संख्या रही। इस दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की विराट उपस्थिति वाशीवासियों को आह्लादित बना रही थी।

यूट्यूब पर Terapanth चैनल को सब्सक्राइब करें
https://www.youtube.com/c/terapanth

यूट्यूब पर आज का वीडियो ऑनलाइन देखने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें
https://www.youtube.com/live/O0VfQBkIZwc?feature=shared

फेसबुक पेज पर प्रतिदिन न्यूज़ पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें और पेज को लाइक करे, फॉलो करें।

तेरापंथ
https://www.facebook.com/jain.terapanth/

🙏 संप्रसारक🙏
जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा

आचार्यश्री महाश्रमण जी एवं तेरापंथ धर्मसंघ आदि के नवीनतम समाचार पाने के लिए--
♦ 7044774444 पर join एवं अपने शहर का नाम लिखकर whatsapp करें।

Photos of Terapanths post


Updated on 16.02.2024 15:51

महाभारत का युद्ध

Watch video on Facebook.com


Posted on 16.02.2024 12:25

गुरुदेव का मायतपना

Watch video on Facebook.com


Sources
Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Jaina Sanghas
    • Shvetambar
      • Terapanth
        • Institutions
          • Jain Swetambar Terapanthi Mahasabha [JSTM]
            • Share this page on:
              Page glossary
              Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
              1. JSTM
              2. Terapanth
              3. अक्षय तृतीया
              4. आचार्य
              5. गुजरात
              6. भाव
              7. महाराष्ट्र
              8. शिखर
              9. सागर
              Page statistics
              This page has been viewed 75 times.
              © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
              Home
              About
              Contact us
              Disclaimer
              Social Networking

              HN4U Deutsche Version
              Today's Counter: