10.06.2024: Jain Swetambar Terapanthi Mahasabha

Published: 10.06.2024

Posted on 10.06.2024 12:33

साधुओं का उपदेश

Watch video on Facebook.com


🌸 अहिंसा, संयम और तप द्वारा मोक्ष की दिशा में करें गति : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण 🌸

-खान्देश की यात्रा में फत्तेपुर में पधारे महातपस्वी महाश्रमण

-सहकार विद्या मंदिर पूज्यचरणों से हुआ पावन, श्रद्धालुओं ने दी भावनाओं की अभिव्यक्ति

10.06.2024, सोमवार, फत्तेपुर, जलगांव (महाराष्ट्र) :

जन-जन का कल्याण करने वाले, लोगों को सन्मार्ग प्रदान करने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, युगप्रधान, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी अब महाराष्ट्र के खान्देश क्षेत्र को पावन बनाने के लिए गतिमान हैं। जलगांव जिले की सीमा में यात्रायित शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने सोमवार को प्रातःकाल की मंगल बेला में देवलगांव गुजरी से गतिमान हुए। रात्रि में तेज हवा के साथ आई बरसात ने मौसम को सुहावना बना दिया था। साथ ही आसमान में अभी भी गतिमान बादल सूर्य की तीव्र किरणों से धरती की तप्त होने से बचा रहे थे। जन-जन को आशीष प्रदान करते हुए आरोह-अवरोहयुक्त मार्ग व घुमावदार मार्ग के दोनों ओर जंगल वृक्ष व उनके आसपास खेतों में किसान आगे की खेती में तैयारी में जुटे हुए दिखाई दे रहे थे। सभी को अपने आशीष से अच्छादित करते हुए लगभग ग्यारह किलोमीटर का विहार कर युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना संग फत्तेपुर गांव में स्थित सहकार विद्या मंदिर परिसर में पधारे। जहां फत्तेपुरवासियों ने मानवता के मसीहा का भावभीना अभिनंदन किया।

प्रवचन पण्डाल में उपस्थित जनता को शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि दुनिया में धर्म भी है तो अधर्म भी है। ऐसा कोई समय नहीं आता, जब पूर्णतया धर्म समाप्त हो जाए अथवा पूर्णतया अधर्म समाप्त हो जाए। हमेशा धर्म और अधर्म दोनों का अस्तित्व बना रहता है। ऐसे में आदमी को यह प्रयास करना चाहिए कि उसके जीवन में अधर्म न्यून हो और धर्म का विकास हो। शास्त्रों में अहिंसा, संयम और तप को धर्म बताया गया है। अहिंसा, संयम और तप से आत्मा की शुद्धि होती है। इससे बड़ा कोई धर्म नहीं है।

गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी आदमी को जितना संभव सके, जीवन में धर्म का विकास करने का प्रयास करना चाहिए। जीवन में अहिंसा की पालना के लिए मासांहार, अण्डा आदि से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए। उससे और अधिक विकास हो तो रात्रि भोजन का त्याग हो। लहसुन, प्याज आदि जमीकंद के प्रयोग से बचने का प्रयास हो। संकल्पबद्ध रूप में अथवा क्रोध, आवेश वश होकर प्राणियों के वध से बचने का प्रयास करना चाहिए। इस प्रकार आदमी को अपने जीवन में अहिंसा की चेतना का विकास करने का प्रयास करना चाहिए।

धर्म का दूसरा रूप संयम को बताया गया है। गृहस्थ जीवन में आदमी को जितना संभव हो सके खानपान में संयम रखने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को अपनी वाणी पर भी संयम रखने का प्रयास करना चाहिए। आदमी अपनी पांचों इन्द्रियों का भी संयम करे तो जीवन में संयम की साधना का विकास हो सकता है। तीसरा धर्म बताया गया है तप को। कितने-कितने जैन लोग वर्षीतप करते हैं। साथ ही बड़ी-बड़ी तपस्या अथवा अनेक रूपों में तपस्या करते हैं। स्वाध्याय, जप, ध्यान को भी तप कहा गया है। विभिन्न तपों आदि के माध्यम से आदमी को अपनी आत्मा को निर्मल बनाने का प्रयास करना चाहिए। बुरे कार्यों के आने का रास्ता बंद हो और पूर्वार्जित कर्मों का क्षय हो जाए तो आदमी की आत्मा निर्मल बन सकती है। इस प्रकार आदमी अपने जीवन में अहिंसा, संयम और तप की आराधन मोक्ष प्राप्ति की दिशा में आगे बढ़ सकता है।

आचार्यश्री ने फत्तेपुरवासियों को आशीष प्रदान करते हुए कहा कि आज यहां आना हुआ है। यहां के लोगों में जितना संभव हो सके, अपने जीवन में अच्छाइयों के विकास का प्रयास करें। फत्तेपुर जैन श्री संघ महिला मण्डल ने स्वागत गीत का संगान किया। जैन श्री संघ की ओर से श्री पराश मडलेचा व श्री ललित गेलड़ा ने अपनी भावाभिव्यक्ति श्रीमती प्रेक्षा भंसाली व श्रीमती पुष्पा छाजेड़ ने संयुक्त रूप से प्रस्तुति दी।

सोशल मीडिया पर तेरापंथ को फॉलो करने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

Youtube
https://www.youtube.com/c/terapanth

Instagram
https://www.instagram.com/terapanth

What's App Channel
https://whatsapp.com/channel/0029Va4yg62IN9iuRSW20x45

Facebook
https://www.facebook.com/jain.terapanth/

🙏 संप्रसारक🙏
जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा

आचार्यश्री महाश्रमण जी एवं तेरापंथ धर्मसंघ आदि के नवीनतम समाचार पाने के लिए--
♦ 7044774444 पर join एवं अपने शहर का नाम लिखकर whatsapp करें।

Photos of Terapanths post


Sources
Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Jaina Sanghas
    • Shvetambar
      • Terapanth
        • Institutions
          • Jain Swetambar Terapanthi Mahasabha [JSTM]
            • Share this page on:
              Page glossary
              Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
              1. JSTM
              2. महाराष्ट्र
              Page statistics
              This page has been viewed 48 times.
              © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
              Home
              About
              Contact us
              Disclaimer
              Social Networking

              HN4U Deutsche Version
              Today's Counter: