20.03.2025: Jain Terapanth News

Published: 20.03.2025

Posted on 20.03.2025 12:17

आचार्य श्री महाश्रमण जी के मंगल प्रवचन की छाया चित्र झलकियाँ : २०-०३-२०२५

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35th Foundation Day - Jain Vishva Bharati Institute (Deemed-to-be University), Ladnun, Rajasthan

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🌞 *नवप्रभात के प्रथम दर्शन* 🌞

20 मार्च, 2025

*प्रस्तुति : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़*


*20 मार्च*
*कब क्या हुआ!*
- जाने तेरापंथ के इतिहास को

सन् 1966 हिसार मर्यादा महोत्सव के अवसर पर आचार्य श्री तुलसी ने निकाय व्यवस्था का सूत्रपात किया।

*निकाय व्यवस्था*

तेरापंथ आचार्य द्वारा शासित धर्मसंघ है। यह विभिन्न क्षेत्रों में चहुंमुखी प्रगति कर रहा है। वह प्रगति और विकास व्यवस्थित ढंग से हो, इस अपेक्षा को ध्यान में रखकर सन् 1966 (वि. सं. 2022) हिसार मर्यादा महोत्सव में आचार्य श्री तुलसी ने एक निकाय व्यवस्था कायम की। उसमें चार विभाग बनाये गये। साधना निकाय, शिक्षा निकाय, साहित्य निकाय, प्रबन्ध निकाय। इस निकाय व्यवस्था का प्रवर्तन करते हुए आचार्यश्री ने फरमाया- 'चारों निकायों का मूलतः मेरे से संबंध रहेगा। मेरे कार्य में विशेष सुगमता आ सके इस दृष्टि से मैं यह कार्य कर रहा हूँ। संघीय विकास और विस्तार के साथ व्यवस्था का विस्तार भी अपेक्षित होता है। मुझे विश्वास है कि इससे हमारी साधना और तंत्र दोनों पक्ष और अधिक सक्षम होंगे। चारों निकायों को संयोजित करने के लिए एक व्यक्ति को सचिव के रूप में नियुक्त किया जायेगा। वह निकाय सचिव कहलायेगा। यह व्यवस्था स्थायी नहीं है। जब तक इसका प्रयोजन और औचित्य रहेगा, आचार्य आवश्यक समझेंगे, तब तक इसका प्रवर्तन करें। जब आवश्यक न समझें तो इसका निवर्तन कर सकते हैं।' इस व्यवस्था का प्रथम प्रयोग 29 जनवरी, 1966 (वि. सं. 2022 माघ शुक्ला सप्तमी) हिसार में हुआ।

उसके बाद सन् 1970 (वि. सं. 2026) हैदराबाद में यह व्यवस्था निरस्त कर दी गयी। वि. सं. 2038 माघ शुक्ला सप्तमी गंगाशहर मर्यादा महोत्सव के अवसर पर दूसरी बार उसको पुनः प्रभावी बनाया गया।

इस व्यवस्था से पूर्व सन् 1964 (वि. सं. 2020) में साध्वियों की व्यवस्था में साध्वीप्रमुखा के दायित्व को प्रवर्तन विभाग, व्यवस्था विभाग, साधना विभाग-इन तीन भागों में विभक्त करने की व्यवस्था की थी।

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*समण संस्कृति संकाय*
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📲 प्रस्तुति : *समण संस्कृति संकाय, जैन विश्व भारती*
📲 संप्रसारक : *अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़*


*_20 मार्च_*

हम समता का कवच धारण कर लें।
फिर बाहर की परिस्थितियां हमें प्रभावित नहीं कर सकेंगी, दु:खी नहीं बना सकेंगी।
- आचार्य महाश्रमण

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