Immediate praise and immediate disapproval is not the report card of your work.
Think about the stable and long-term consequences.
Taken From "Roj Ki Ek Salah" - Book by Acharya Mahashraman
तात्कालिक प्रशंसा और तात्कालिक निन्दा तुम्हारे कार्य का परिणाम पत्र नहीं है.
यह सोचो स्थायी अथवा दीर्घकालिक परिणाम क्या आने वाला है?