If there is morality in procurement of wealth, detachment in protection,
restraint and rationality in use then wealth is meaningful.
Taken From "Roj Ki Ek Salah" - Book by Acharya Mahashraman
अर्थ के अर्जन में नैतिकता, रक्षण में अनाशक्ति और उपयोग में
संयम व विवेक हो तो अर्थ सार्थक हो सकता है.