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उतरलाई में आचार्य तुलसी का दीक्षा दिवस मनाया
कवास. जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
आचार्य महाश्रमण के जसदेरधाम पहुंचने पर महंत प्रतापपुरी ने उनका आदर सत्कार किया। साथ ही दोनों ने भारतीय संस्कृति व गौ रक्षा के बारे में चर्चा की। इसके बाद सोलंकी परिवार की ओर से गणाधिपति गुरुदेव तुलसी के दीक्षा दिवस पर कहा कि आचार्य तुलसी ने अपने जीवन के 12वें वर्ष में संयम जीवन स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि सन्तता का प्राप्त होना ही जीवन की बड़ी उपलब्धि है जो सौभाग्य से मिलती है। आचार्य महाश्रमण ने कहा कि कई मनुष्य ऐसे होते हैं जो गृहस्थ जीवन का परित्याग कर संत जीवन को स्वीकार करते हैं। संत बनते समय विशेष श्रद्धा का भाव होना चाहिए। विशेष उद्देश्य व आत्मकल्याण के लिए संत बनना बड़ी बात है।
आचार्य तुलसी छोटी अवस्था में ही साधु बन गए। उन्हें कालूगणी जैसे महान संत मिले थे। महाश्रमण ने बताया कि तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन का प्रवर्तन किया। महाश्रमण ने आचार्य तुलसी द्वारा रचित हमारे भाग्य बड़े बलवान, मिला यह तेरापंथ महान गीत का संगान किया। इस दौरान आगोर पूर्व सरपंच भाखर सिंह महेचा, जेठाराम गौड़, कुम्भाराम चौधरी, लूणाराम सोलंकी, जसवंत सिंह मायला, रतनाराम सोलंकी, चम्पालाल सोलंकी, उतमाराम माली, देराजराम, मगाराम सेंवर, निंबाराम सोलंकी, मदनसिंह, छगनलाल, भंवराराम चौहान, गुलाराम, दिनेश कुमार माली व गणपत माली उपस्थित रहे।