01.08.2013 ►Jain Terapanth News 05

Published: 01.08.2013
Updated: 08.09.2015

News in Hindi

लावासरदारगढ़ जै त स ब्योरो


लावासरदारगढ़ समणी कमलप्रज्ञा ने कहा है कि आध्यात्मिक शक्ति से व्यक्तित्व का विकास होता है। उन्होंने बताया कि शक्ति का शाब्दिक अर्थ धैर्य, मुक्त मन, बुद्धि, आनंद व सकारात्मक सोच से भी है। व्यक्ति अपने बुद्धि कौशल, विनम्र स्वभाव, सकारात्मक सोच व धैर्य से ही सर्वांगीण विकास कर सकता है।

वे बुधवार को राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि व्यक्ति धैर्य के बल पर अनवरत विकास की ओर अग्रसर हो सकता है। समणी सुमनप्रज्ञा ने गीतिका के माध्यम से मानव शक्ति के महत्व को उद्घाटित किया तथा विद्यार्थियों को प्रेक्षाध्यान के प्रयोग बताए। सभाध्यक्ष न्यायविद् डॉ. बसंतीलाल बाबेल ने कहा कि कर्म, विनम्रता, सत्यनिष्ठा एवं मुक्ति प्रदान करने वाली शिक्षा से व्यक्ति विकास के सोपान तय कर सकता है। कार्यवाहक संस्था प्रधान शिवलाल झाला ने आगंतुकों का स्वागत करते हुए समणीवृंद के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। समारोह में शिक्षाविद् गोवर्धनलाल जोशी, हस्तीमल कच्छारा, करणलाल चीपड़, बसंतीलाल बापना, मनोहरलाल बापना, जोधराज तलेसरा, मंजूदेवी कच्छारा, शांता जैन, बादामबाई हिरण सहित अध्यापक उपस्थित थे।

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