07.01.2014 ►8th ICPNA ►News in Hindi

Published: 07.01.2014
Updated: 21.07.2015

8th International Conference on Peace and Nonviolent Action (8th ICPNA)

Theme:

Towards a Nonviolent Future:
Seeking Realistic Models for Peaceful Co-existence and Sustainability

organized  by

ANUVRAT GLOBAL  ORGANIZATION (ANUVIBHA), INDIA

in association with

ANUVIBHA JAIPUR KENDRA, JAIPUR


"लोग भूखे सो रहे और रक्षा बजट बढ़ रहा"

जयपुर। दुनियाभर से गुलाबी नगर में जमा शांति समर्थकों ने अहिंसा को बढ़ावा देने की वकालत करते हुए भूख, बढ़ते सैन्य लवाजमे और शिक्षण प्रणाली की खामियों पर चिंता जाहिर की है।

अनेक वक्ताओं ने फांसी की सजा बरकरार रखने की मांग पर सवाल उठाया, वहीं सेना पर बढ़ते खर्च पर कहा कि बड़ी अजीब बात है, एक तरफ बड़ी संख्या में लोग हर रात भूखे सो रहे हैं और सरकारें सेना के लिए बजट बढ़ाती जा रही हैं ।

अणुव्रत विश्व भारती (अणुविभा) की ओर से आयोजित शांति और अहिंसा उपक्रम अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन सोमवार को न्यूक्लियर पॉवर बनने की होड़, पुलिस के एन्काउन्टर, खनन और भूमाफियाओं की बढ़ती ताकत को भी शांति के लिए खतरा बताया गया।

न्याय भी जरूरी
अहिंसक भविष्य के लिए धर्मो में आपसी समझ और सहयोग विष्ाय पर आयोजित सत्र के अध्यक्षीय उद्बोधन में भारत के डॉ. एम.डी. थॉमस ने कहा कि धर्म लोगों के जीवन की बेहतरी के लिए है, इसका भविष्य से सीधा सम्बन्ध है।

यूनाईटेड रिलीजियस इनिशिएटिव के महासचिव रहे द. कोरिया के डॉ. जिनवॉल ने कहा कि सभी धर्मो को मिलकर आगे बढ़ने के प्रयास करने चाहिए।

सीबीआई के पूर्व निदेशक डी.आर. कार्तिकेयन ने कहा कि अहिंसा ही एकमात्र साधन है, जिससे जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है। नीदरलैण्ड के रूडी जांस्मा ने कहा कि धर्म के साथ न्याय भी जरूरी है। बांग्लादेश के फ्रांसिस हलदर ने भी विचार रखें।

फांसी के बजाय बुरे इंसान का मन बदलो
अहिंसक भविष्य की संभावनाओं पर आयोजित सत्र में इंग्लैण्ड के विजय मेहता ने कहा कि दुनिया में सेना पर खर्च बढ़ता जा रहा है। पिछले साल भारत में भी सेना पर 60 मिलीयन डॉलर खर्च हुआ, जबकि जनता की मूलभूत सुविधाओं पर आनुपातिक खर्च काफी कम हो रहा है। हथियारों की दौड़ लग रही है, लेकिन लोग हर रात भूखे सो रहे हैं। जापान की मयुमी मेजाकी ने कहा कि न्यूक्लियर पॉवर बनने की होड़ मानवता के लिए खतरा है, इससे पर्यावरण पर बुरा असर हो रहा है।

बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की बढ़ती ताकत पर कहा कि ये एक तरह से आर्थिक हिंसा को बढ़ावा दे रही हैं। भारत के रवि कुमार स्टीफन ने कहा कि निष्क्रिय शासन, कमजोर आर्थिक नीति, भ्रष्टाचार, मिलावट व मृत्युदण्ड हिंसा के कारण हैं।

उन्होंने कड़ी सजा से अपराध खत्म होने की दलील देने वालों से सवाल किया कि जब इंसान के मन को बदला जा सकता है तो मृत्युदण्ड की क्या आवश्यकता है? इंग्लैण्ड के ग्राहम लेसलाई ने प्रतिस्पर्घात्मक माहौल पर कहा कि प्रतिस्पर्घा भी हिंसा का कारण है, इससे शिक्षा में जहर घुल गया है। सत्र की अध्यक्षता इंग्लैण्ड के डॉ. थॉमस डेफर्न ने की।

Sources
RajasthanPatrika.com
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