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जहाज मंदिर कार्यालय प्रेस विज्ञप्ति
नवप्रभात
0 उपाध्याय मणिप्रभसागरजी म.
भविष्य की योजनाऐं बनाते समय हम अपनी स्थिति को केवल वर्तमान से ही तोलते हैं। आज मैं युवा हूँ... जो ऊर्जा और शक्ति आज मेरे पास है, वह संभवत: कल नहीं रहेगी।
बीतते हर पल और हर दिन के साथ मेरी शक्ति में परिवर्तन हो रहा है।
अपनी मध्य उम्र प्राप्त करने तक तो मैं अपने में ऊर्जा, शक्ति, क्षमता की निरन्तर ऊँचाईयाँ प्राप्त करता हूँ। पर उसके बाद मैं ढलान की ओर अग्रसर होता हूँ।
यदि मैं अपनी कुल उम्र सौ साल मानता हूँ तो पचास तक बढूंगा और उसके बाद ढ़लता जाऊँगा।
पर यह दशा तो शरीर की है। मन तो कभी बूढा होता नहीं। उसे शरीर की उम्र से कोई लेना देना नहीं होता।
मन शरीर की परिवर्तित हो रही दशा के साथ सामंजस्य नहीं बिठाता। वह सदा आज की स्थिति को अपने केन्द्र में रखता है और योजनाऐं बनाता जाता है।
वह यह नहीं सोच पाता कि आज मेरे पास जो ऊर्जा है... क्षमता है... वह कल नहीं रहेगी। क्षीण होगी।
और मन कितनी ही योजना बना ले, क्रियान्वित तो शरीर से जुड़ कर ही होगी। अकेला मन क्या कर लेगा! पर मन है कि वह कभी रिटायरमेंट लेने का नहीं सोचता। जबकि तन एक सीमा के बाद थकान का अनुभव करने लगता है। तब मन की सारी योजनाऐं धरी रह जाती है।
मन के विचारों और तन की क्षमता के साथ सामंजस्य बिठाना अपने आप में बहुत बडी साधना है। यह वही कर सकता है, जो लगातार अपने वर्तमान का दर्शन करता हो! जो केवल भविष्य की कल्पनाओं में नहीं या अतीत की घटनाओं में नहीं, अपितु अपनी वर्तमान स्थिति का साक्षात्कार तटस्थ दृष्टि से करता हो!
वो साधक ढलते तन को देखकर अप्रसन्न नहीं होता। बल्कि अपने प्रति और ज्यादा सजग हो जाता है। चढते तन के साथ उसकी दृष्टि भविष्य पर होती है। पर ढलते तन को देख कर वह वर्तमान-मुखी हो जाता है। और ऐसा होते ही साधना का सूत्रपात हो जाता है।
जटाशंकर
0 उपाध्याय मणिप्रभसागरजी म.
जटाशंकर मुंबई से जयपुर जा रहा था। वह ऊपर की बर्थ पर सो रहा था। उसने देखा- घटाशंकर अपनी धर्मपत्नी के साथ नीचे गपशप कर रहा था। उसकी नींद खराब हो रही थी, पर कुछ भी कर नहीं पा रहा था।
नीचे घटाशंकर अपनी पत्नी से बात कर रहा था। उसकी पत्नी पहली बार रेल से यात्रा कर रही थी। इस कारण वह जिज्ञासा से भरी हुई थी। वह रेल से संबंधित हर वस्तु के बारे में पूछ रही थी। घटाशंकर थोडा झल्ला गया था फिर भी समाधान कर रहा था।
उसकी पत्नी ने जंजीर के बारे में पूछा। घटाशंकर ने बताया- ये जंजीर है। खींचने पर रेल रूक जाती है। वह अत्यन्त हर्षित होती हुई जंजीर खींचने के लिये आगे बढी- जरा देखुं तो सही कैसे रेल रूक जाती है!
घटाशंकर ने कहा- मूर्खता मत कर! यह जंजीर तो किसी आपात काल में ही खींची जा सकती है। कारण बताना पडता है। यदि उपयुक्त कारण नहीं होने पर भी कोई जंजीर खींच लेता है, तो उसे एक हजार रूपये का जुर्माना भरना पडता है।
उसका चेहरा उतर गया। वह उदास हो गई। उसके हाथ जंजीर खींचने के लिये बेताब हो रहे थे। उसने कहा- जो भी होगा, देखा जायेगा। पर जंजीर तो हर हाल में खींचना ही है।
घटाशंकर विचार में पड गया। उसने कहा- जुर्माना भरना पडेगा तो इतने रूपये कहाँ से लायेंगे। मेरे पास तो केवल 500 रूपये ही है। यह कह कर उसने जेब में से 100-100 के पांच नोट दिखाये।
तभी उसकी पत्नी ने मुस्कुराकर बटुआ निकाला और 500 रूपये का एक नोट दिखाते हुए कहा- मेरे पास भी 500 रूपये हैं। किसी मुश्किल वक्त में काम आयेंगे, यह सोच कर तुमसे छिपा कर रखे थे। पर जुर्माना क्यों भरना पडेगा! जब रेल रूकेगी और पूछताछ होगी कि जंजीर किसने खींची तो ऊपर सो रहे इस आदमी की ओर इशारा कर देंगे। जुर्माना वो भरेगा।
यह कह कर उसने जल्दी से जंजीर खींच ली। रेल रूकी। गार्ड आया। पूछा- जंजीर किसने और क्यों खींची!
घटाशंकर ने जटाशंकर की ओर इशारा करते हुए कहा- उसने खींची।
जटाशंकर जाग रहा था। वो सारी बात सुन भी रहा था।
गार्ड ने पूछा तो उसने कहा- हाँ! मैंने ही खींची है।
-क्यों!
-क्योंकि इस व्यक्ति ने मेरे एक हजार रूपये छीन लिये।
घटाशंकर तुरंत बोला- झूठ बोल रहा है यह! मैंने कोई रूपये नहीं छीने। क्या प्रमाण है तुम्हारे पास!
-प्रमाण यही है कि मेरे पास 500 का एक और 100 के पांच नोट थे। 100-100 के पांच नोट तो इसने अपनी जेब में डाले और 500 रूपये का एक नोट इसकी पत्नी के बटुवे में है।
घटाशंकर को एक हजार रूपये देने पडे।
जीवन बहुत मूल्यवान् है। यह व्यर्थ के विचार व आचार में गंवाने के लिये नहीं है। व्यर्थ में जंजीर खींचने जैसी प्रवृत्ति नुकसान पहुँचाती है।
आगोलाई की प्रतिष्ठा संपन्न
परम पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. पूज्य मुनि श्री मेहुलप्रभसागरजी म.सा. की पावन निश्रा एवं पूजनीया बहिन म. डाँ. श्री विद्युत्प्रभाश्रीजी म.सा. पूजनीया साध्वी श्री प्रज्ञांजनाश्रीजी म.सा. पूजनीया साध्वी श्री नीतिप्रज्ञाश्रीजी म.सा. की पावन सानिध्यता में जोधपुर जिले के आगोलाई गांव में मूलनायक श्री वासुपूज्य परमात्मा के मंदिर की प्रतिष्ठा ता. 16 अप्रेल 2014 वैशाख वदि 1 को शुभ मुहूर्त्त में अत्यन्त आनंद व उल्लास के साथ संपन्न हुई।
प्रतिष्ठा महोत्सव का प्रारंभ 12 अप्रेल को पूज्य गुरु भगवंतों के मंगल प्रवेश के साथ हुआ। ता. 13 अप्रेल को परमात्मा महावीर का जन्म कल्याणक मनाया गया। प्रभात फेरी, गुणानुवाद सभा का आयोजन किया गया। पूज्य उपाध्यायश्री एवं पूजनीया बहिन म. के प्रभावक प्रवचन हुए। दोपहर में कुंभ स्थापना, दीपस्थापना जवारारोपण आदि के बाद परमात्मा महावीर षट् कल्याणक पूजा पढाई गई।
ता. 15 अप्रेल को भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया गया। शोभायात्रा में बालेसर, कोरना, सेतरावा, जोधपुर, फलोदी, बाडमेर, बालोतरा आदि आसपास के क्षेत्रों के श्रद्धालु बडी संख्या में सम्मिलित हुए। वरघोडे के बाद प्रतिष्ठा संबंधी ध्वजा, स्वर्णकलश, बिराजमान आदि के चढावे बोले गये। प्रतिष्ठा के चढावे आशा के कई गुणा अधिक हुए।
ता. 16 अप्रेल को प्रतिष्ठा का मंगल उल्लास अद्भुत था। प्रतिष्ठा के समय जैसे कोई चमत्कार हुआ- कडी धूप के मध्य अचानक बादल छा गये। बादलों का छत्र पाकर समस्त श्रद्धालु लोग जय जयकार करने लगे।
समारोह में आगोलाई निवासी एवं प्रवासी बडी संख्या में उपस्थित रहे। छत्तीसगढ, जोधपुर, बालोतरा, पाली, जलगांव आदि क्षेत्रों से अपने गांव में हो रही प्रतिष्ठा में भाग लेने के लिये पधारे। ता. 17 अप्रेल को द्वारोद्घाटन किया गया।
आगोलाई गांव का इतिहास
जंबूद्वीप के भरत क्षेत्र में स्थित भारत देश के राजस्थान राज्य के पश्चिम किनारे पर मारवाड प्रदेश के जोधपुर जिले में जोधपुर-जैसलमेर मुख्य मार्ग पर जोधपुर से 45 कि.मी. पर आगोलाई गांव स्थित है।
आगालोई ग्राम प्राचीन काल से समृद्धि और सांस्कृतिक वैभव से परिपूर्ण रहा है। इतिहास और परापूर्व परम्परा से चली आ रही कथाऐं यह सिद्ध करती है कि आगोलाई ग्राम की बसावट एक हजार वर्ष से भी अधिक पुरानी है।
लगभग 800 वर्ष पहले यहाँ जिन मंदिर का निर्माण हुआ। 200 से अधिक वर्ष पूर्व आचार्य श्री जिन हर्ष सूरीश्वरजी म.सा. के कर कमलों से यहाँ श्री जिनदत्तसूरि एवं श्री जिनकुशलसूरि के चरण युगल स्थापित कर दादावाडी का निर्माण श्री संघ द्वारा कराया गया।
खरतरगच्छ बृहद् गुर्वावली के अनुसार पूज्य आचार्य श्री जिनभक्तिसूरि की पावन निश्रा में वि. सं. 1793 में यहाँ सौभाग्य नंदी की रचना करते हुए मुनि दीक्षाऐं संपन्न हुई थी। इतिहास के अनुसार आगोलाई खरतरगच्छ का प्रभावशाली केन्द्र रहा है। जैसलमेर यात्रा का मुख्य मार्ग होने से यहाँ साधु संतों का निरन्तर आवागमन रहा है।
यहाँ के उपासरे में श्री भैरवजी बिराजमान है, जो हाजरा हजूर है। इन भैरव देव की प्रतिष्ठा पूज्य खरतरगच्छ के कोहिनूर उन्हीं आचार्य भगवंत श्री जिन कीर्तिरत्नसूरीश्वरजी म.सा. के करकमलों द्वारा हुई, जिन्होंने नाकोडाजी में भैरवजी की प्रतिष्ठा की थी। यहाँ के भैरव देव बडे ही चमत्कारी है।
यहाँ जैन मंदिर, दादावाडी, उपासरे में भैरव मंदिर व स्थानक के अलावा ठाकुरजी का प्राचीन मंदिर है। साथ ही श्री सेनजी महाराज, हनुमानजी व राणी भटियाणीजी का मंदिर भी विख्यात है जहाँ लगातार भक्तों का आवागमन बना रहता है।
एक समय यहाँ ओसवाल समाज के 200 से भी अधिक परिवार निवास करते थे। बडा हाट था। दुकानों के खण्डहर आज भी अपने प्राचीन वैभव की कथा सुनाते हैं।
आगोलाई के निवासी भारत के विभिन्न प्रान्तों में फैले हुए हैं। अधिकतर परिवार राजस्थान के जोधपुर, पाली, बालोतरा, जसोल, छत्तीसगढ, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश आदि प्रान्तों व शहरों में बसे हुए हैं। यहाँ खरतरगच्छ परम्परा की गादी थी, जहाँ प्रभावशाली यति बिराजते थे। उनमें गुरांसा तगतमलजी व हजारीमलजी बडे ही चमत्कारी यति थे। उनकी स्मृति में श्री संघ द्वारा बस स्टेण्ड पर धर्मशाला व प्याउ का निर्माण करवाया गया हैं।
आगोलाई की प्रतिष्ठा लाभार्थी
ध्वजा- शा. भीकमचंदजी पृथ्वीराजजी अमृतलालजी पारसमलजी गुलेच्छा मूल आगोलाई हाल जोधपुर
मुख्य स्वर्ण कलश- शा. गौतमचंदजी छोटमलजी सोहनचंदजी प्रकाशचंदजी लालचंदजी रेखचंदजी विमलचंदजी भोपालचंदजी चेनकरणजी लालचंदजी गोगड, निवासी आगोलाई हाल- पाली, जयपुर, हुबली
मूलनायक वासुपूज्य बिराजमान- शा. मिश्रीमलजी भोमराजजी प्रेमराजजी मनसुखलालजी नवरत्नजी पंकजकुमारजी बेटा पोता धींगडमलजी संचेती, कोनरा हाल- जोधपुर
आदिनाथ बिराजमान- शा. भंवरलालजी नेमीचंदजी देवराजजी झूमरलालजी गोगड, आगोलाई-जोधपुर
मुनिसुव्रत बिराजमान- शा. लीलमचंदजी मीठालालजी किरोडीमलजी शेखरचंदजी गोगड आगोलाई- जोधपुर
पाश्र्वनाथ बिराजमान- शा. कमलेशचंदजी प्रकाशचंदजी पारसमलजी कोठारी मजल- ईरोड
महावीर स्वामी- शा. मांगीलालजी मूलचंदजी प्रकाशचंदजी जीरावला समदडी-जोधपुर
दादा जिनकुशलसूरि- शा. भंवरलालजी लाभचंदजी मोतीलालजी प्रेमचंदजी गजेन्द्रकुमारजी अशोककुमारजी दौलतकुमारजी राजेन्द्र महेन्द्र सांखला, बालेसर
नाकोडा भैरव- शा. देवराजजी पृथ्वीराजजी संतोषकुमारजी रमेश महावीर विनोद कोठारी बागावास-सूरत
पद्मावती देवी- शा. पारसमलजी मदनलालजी गौतमचंदजी भंवरलालजी केवलचंदजी संचेती कोनरा- शिमोगा
सच्चिया देवी- शा. खेमराजजी पारसमलजी लालचंदजी भंवरलालजी मीठालालजी सोहनलालजी मनसुखलालजी अशोककुमार महावीरचंद शांतिलाल विनोद पदम गोगड, आगोलाई जोधपुर गंगावती
गुरुपूजन एवं कामली- शा. राणीदानजी जसराजजी मोतीलालजी लोढा, सेतरावा
तोरण- शा. मांगीलालजी पारसमलजी मदनलालजी सोहनलालजी रमेशकुमारजी सुमेरमलजी पदम पारस लूणी जंक्शन हाँस्पेट
पूज्यश्री का कार्यक्रम
पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. पूज्य मुनि श्री मेहुलप्रभसागरजी म. ने आगोलाई प्रतिष्ठा की संपन्नता के पश्चात् बालेसर पधारे। वहाँ से विहार कर आगोलाई होते हुए ता. 19 अप्रेल को जोधपुर पधारे। त्रिदिवसीय प्रवास के पश्चात् 21 अप्रेल को शाम को विहार कर ता. 23 अप्रेल को भोपालगढ पधारे। वहाँ से 24 को शाम को विहार कर पीपाडसिटी होते हुए ता. 26 अप्रेल को बिलाडा पधारे।
बिलाडा में ता. 26 को श्री रतनलालजी व्यापारीलालजी बोहरा हाला वालों का यात्रा संघ पहुँचा। पूज्यश्री का प्रवचन हुआ। वहाँ से 26 शाम को विहार कर रायपुर, बगडी, सोजत रोड, मारवाड जंक्शन, भिमालिया, सोमेसर होते हुए ता. 2 मई को डुठारिया में प्रवेश किया।
वहाँ ता. 11 मई को अंजनशलाका प्रतिष्ठा करवाकर उदयपुर, केशरियाजी होते हुए मई के चतुर्थ सप्ताह के प्रारंभ में अहमदाबाद पधारेंगे।
पत्र व्यवहार-
द्वारा बाबुलाल लूणिया,
5, श्रेयास इन्ड. एस्टेट, सोनारिया ब्लाँक के सामने,
जनरल हाँस्पिटल रोड़,
बापु नगर, अहमदाबाद-380021;
अहमदाबाद
नवसारी में चातुर्मास
पूज्य गुरुदेव प्रज्ञापुरूष आचार्य देव श्री जिनकान्तिसागरसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य पूज्य ब्रह्मसर तीर्थोद्धारक, वशीमालाणी रत्न शिरोमणि, बकेला तीर्थोद्धारक मुनिराज श्री मनोज्ञसागरजी म.सा. पूज्य मुनि श्री नयज्ञसागरजी म.सा. ठाणा 2 का आगामी चातुर्मास गुजरात के नवसारी शहर में निश्चित किया गया है।
बाडमेर जैन श्री संघ, नवसारी की भावभरी विनंती स्वीकार कर चौमासे की जय बुलाई गई। उनकी पावन निश्रा में छत्तीसगढ के महासमुन्द से श्री सम्मेतशिखरजी के लिये छह री पालित संघ का ऐतिहासिक आयोजन हुआ था। जिसमें पूज्यश्री के साथ श्रमण संघ के वरिष्ठ संत पूज्य मुनिराज श्री रतनमुनिजी म.सा. भी अपने शिष्य मंडल एवं सतीवृन्द के साथ सम्मिलित हुए थे। तत्पश्चात् कल्याणक भूमियों के पावन दर्शन स्पर्शन करते हुए पुन: छत्तीसगढ पधारे। अभी वे छत्तीसगढ बिराज रहे हैं। वहाँ से गुजरात की ओर विहार करेंगे।
साधु साध्वी समाचार
0 पूज्य ब्रह्मसर तीर्थोद्धारक मुनिराज श्री मनोज्ञसागरजी म.सा. पूज्य मुनि श्री नयज्ञसागरजी म.सा. छत्तीसगढ में बिराज रहे हैं। वहाँ से पूज्यश्री नवसारी की ओर विहार करेंगे।
0 पूज्य मुनि श्री पीयूषसागरजी म.सा. छत्तीसगढ की प्रतिष्ठाओं की संपन्नता के पश्चात् ट्टजुबालिका की ओर विहार कर रहे हैं। जहाँ उनकी निश्रा में ता. 25 जून को प्रतिष्ठा संपन्न होगी।
0 पूज्य मुनिराज श्री मुक्तिप्रभसागरजी म.सा. पूज्य मुनि श्री मनीषप्रभसागरजी म.सा. बाडमेर में नवपद ओली की आराधना संपन्न करवाकर सिणधरी होते हुए जहाज मंदिर पधारे। वहाँ से विहार कर फालना पधारे। जहाँ उनकी पावन निश्रा में ता. 2 मई 2014 को आराधना भवन का उद्घाटन संपन्न हुआ। वहाँ से पूज्यश्री डुठारिया पधार गये हैं।
0 पूज्य मुनि श्री मयंकप्रभसागरजी म.सा. पूज्य मुनि श्री मनितप्रभप्रभसागरजी म.सा. पूज्य मुनि श्री समयप्रभसागरजी म.सा. पूज्य मुनि श्री विरक्तप्रभसागरजी म.सा. पूज्य मुनि श्री श्रेयांसप्रभसागरजी म.सा. ठाणा 5 विहार कर बडौदा पधारे। वहाँ से विहार कर राजपीपला होते हुए सेलंबा, खापर, अक्कलकुआ, वाण्याविहिर होते हुए तलोदा पधारे हैं। वहाँ मूलनायक परमात्मा के परिकर की प्रतिष्ठा संपन्न करवाकर शहादा पधार गये हैं। वहाँ उनकी पावन निश्रा में त्रिदिवसीय शिविर का आयोजन होने जा रहा है। वहाँ से विहार कर मन्दाना पधारेंगे, जहाँ उनकी निश्रा में ता. 14 मई 2014 को वासुपूज्य मंदिर की प्रतिष्ठा संपन्न होगी। वहाँ से वे धूलिया, पूना होते हुए इचलकरंजी की ओर विहार करेंगे।
0 पूज्य मुनि श्री महेन्द्रसागरजी म. आदि ठाणा 10 एवं पूजनीया साध्वी श्री हेमप्रज्ञाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा 9 विहार करते हुए झारखण्ड के चतरा जिले में भोंदल गांव में नवनिर्मित भदि्दलपुर तीर्थ पधारे हैं। जहाँ उनकी पावन निश्रा में 12 मई 2014 को अंजनशलाका प्रतिष्ठा संपन्न होगी। उसके बाद ट्टजुबालिका की ओर विहार करेंगे।
0 पूज्य मुनि श्री मौनप्रभसागरजी म.सा. मननप्रभसागरजी म. ने जोधपुर से नाकोडाजी की ओर विहार किया है। वहाँ से जहाज मंदिर, जीरावला आदि तीर्थों की यात्रा करते हुए पालीताना पधारेंगे।
0 पूजनीया प्रवर्तिनी श्री कीर्तिप्रभाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा 4 इन्दौर से विहार कर 30 अप्रेल को नाशिक पधारे हैं। वे लगभग महिने भर स्वाध्याय आदि के लिये मानस मंदिर में रूकेंगे। बाद में चातुर्मास हेतु मुंबई पायधुनी की ओर विहार करेंगे।
0 पूजनीया साध्वी श्री मणिप्रभाश्रीजी म.सा. ट्टजुबालिका तीर्थ में बिराज रहे हैं। जहाँ उनकी प्रेरणा से तीर्थ का जीर्णोद्धार तीव्र गति से चल रहा है। इस तीर्थ की प्रतिष्ठा ता. 25 जून को संपन्न होगी।
0 पूजनीया साध्वी श्री शशिप्रभाश्रीजी म.सा. की पावन निश्रा में ता. 18 अप्रेल को शाजापुर दादावाडी की प्रतिष्ठा अत्यन्त आनंद के साथ संपन्न हुई। वे वहाँ से मालपुरा होते हुए जयपुर की ओर विहार कर रहे हैं।
0 पूजनीया पाश्र्वमणि तीर्थ प्रेरिका साध्वी श्री सुलोचनाश्रीजी म.सा. सुलक्षणाश्रीजी म.सा. लखनऊ से विहार कर कानपुर पधारे, जहाँ उनकी पावन निश्रा में 23 अप्रेल को दादावाडी की ध्वजा विशाल समारोह के साथ चढाई गई। वहाँ से वे विहार करते हुए हस्तिनापुर पधरेंगे।
0 पूजनीया साध्वी श्री विमलप्रभाश्रीजी म. सा. चेन्नई के उपनगरों में विहार कर रहे हैं। अक्षय तृतीया के बाद लगभग 5 मई के आसपास बैंगलोर की ओर विहार करेंगे।
0 पूजनीया साध्वी श्री विरागज्योतिश्रीजी म.सा., पूजनीया साध्वी श्री विश्वज्योतिश्रीजी म.सा., पूजनीया साध्वी श्री जिनज्योतिश्रीजी म.सा. नाशिक बिराज रहे हैं। वे नाशिक के उपनगरों में विहार कर रहे हैं। उनकी प्रेरणा से निर्मित विशाल कच्छप आकार में श्री मुनिसुव्रतस्वामी जिन मंदिर एवं दादावाडी का निर्माण हो रहा है। जिसकी प्रतिष्ठा 18 जून 2014 को संपन्न होगी।
0 पूजनीया साध्वी श्री सूर्यप्रभाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा बल्लारी से 30 अप्रेल को विहार कर हाँस्पेट पधारे हैं। लगभग 10 दिनों की स्थिरता के पश्चात् कोप्पल पधारेंगे, जहाँ उनकी निश्रा में जिन मंदिर की वर्षगांठ महोत्सव का भव्य आयोजन होगा।
0 पूजनीया साध्वी श्री हर्षपूर्णाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा 3 हुबली बिराज रहे हैं।
0 पूजनीया माताजी म. श्री रतनमालाश्रीजी म.सा., पू. साध्वी श्री नीतिप्रज्ञाश्रीजी म., पू. साध्वी श्री निष्ठांजनाश्रीजी म.ठाणा 3 ता. 3 मई को नाकोडाजी से विहार करेंगे। वे ता. 20 मई तक अहमदाबाद पधारेंगे।
0 पूजनीया बहिन म. डाँ. श्री विद्युत्प्रभाश्रीजी म.सा., पू. साध्वी श्री प्रज्ञांजनाश्रीजी म.सा., पू. साध्वी श्री विभांजनाश्रीजी म.सा. आगोलाई प्रतिष्ठा की पूर्णता के पश्चात् विहार कर थोभ, पचपदरा, बालोतरा होते हुए जसोल पधारे। वहाँ जीवित महोत्सव की संपन्नता के पश्चात् ता. 26 अप्रेल को अम्बे वेली पधारे। जहाँ परमात्मा वासुपूज्य प्रभु की चल प्रतिष्ठा की गई। वहाँ से विहार कर नाकोडाजी पधारे, जहाँ श्री रतनलालजी व्यापारीलालजी बोहरा हाला वालों की ओर से आयोजित यात्रा संघ पहुँचा। संघ की ओर से पूजनीया गुरुवर्याश्री का अभिनंदन किया गया। गुरुवर्याश्री का मार्मिक प्रवचन हुआ। ता. 27 अप्रेल को विहार कर करमावास, मजल, जेतपुर होते हुए ता. 2 मई 2014 को डुठारिया नगर में पूज्य गुरुदेव के साथ मंगल प्रवेश हुआ। प्रतिष्ठा की संपन्नता के पश्चात् ता. 11 मई को अहमदाबाद की ओर विहार होगा।
0 पूजनीया साध्वी श्री सम्यक्दर्शनाश्रीजी म. आदि ठाणा 4 वैशाख शुक्ल पूर्णिमा तक कुलपाकजी पहुँचेंगे। वे चेन्नई की ओर विहार कर रहे हैं।
0 पूजनीया साध्वी श्री सौम्यगुणाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा 4 अक्षय तृतीया को अहमदाबाद पधारे हैं। कुछ दिनों की स्थिरता के पश्चात् बाडमेर की ओर विहार करेंगे।
0 पूजनीया साध्वी श्री हेमरत्नाश्रीजी म. पू. साध्वी श्री जयरत्नाश्रीजी म. नूतनप्रियाश्रीजी म. ठाणा 3 ने ता. 4 मई को हुबली में प्रवेश किया है। चार पांच दिनों की स्थिरता के पश्चात् बैंगलोर की ओर विहार करेंगे।
0 पूजनीया साध्वी श्री प्रियसौम्यांजनाश्रीजी म. आदि ठाणा 4 पालीताना श्री जिन हरि विहार में बिराज रहे हैं। पू. साध्वी श्री प्रियसौम्यांजनाश्रीजी म. एवं पूजनीया साध्वी श्री प्रियदक्षांजनाश्रीजी म. के दूसरे वर्षीतप का पारणा अत्यन्त आनंद के साथ संपन्न हुआ।
ऐसे थे मेरे गुरुदेव
-उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म.सा.
पूज्य गुरुदेवश्री पालीताना में बिराजमान थे। वे मद्र्रास, बैंगलोर, मैसूर, हैदराबाद आदि क्षेत्रों में शासन प्रभावना करते हुए पालीताना पहुँचे थे।
पूज्यश्री के परम भक्त उदयपुर निवासी श्री मनोहरलालजी चतुर संघ लेकर पालीताना पधारने वाले थे। श्री चतुर सा. की भावना वर्षों से थी कि एक संघ लेकर यात्रियों को सिद्धाचलजी के दर्शन कराऊँ!
वे पूज्यश्री की प्रतीक्षा कर रहे थे। पूज्यश्री पालीताना पहुँचे और उसी समय संघ का आयोजन हो।
श्री मनोहरलालजी चतुर कांग्रेस के नेता थे। जिस समय श्री चतुरसा. शहर कांग्रेस के अध्यक्ष थे, उस समय श्री मोहनलालजी सुखाडिया शहर कांग्रेस के मंत्री थे। चतुरजी के प्रति सुखाडियाजी का अनन्य प्रेम व आत्मीयता थी।
संघ के आयोजन के समय सुखाडियाजी राजस्थान के मुख्यमंत्री थे। जब चतुरजी ने संघ का आयोजन किया तो उन्होंने सुखाडियाजी को आमंत्रण भेजा कि आपको संघ में पधारना है।
एक दिवसीय कार्यक्रम में सुबह गिरिराज की यात्रा, दोपहर को धर्म चर्चा और रात्रि में सार्वजनिक अभिनंदन समारोह निश्चित किया था।
श्री सुखाडियाजी के साथ कई मंत्री व अन्य नेतागण थे। प्राय: सभी के लिये डोलियों की व्यवस्था की थी। पर सुखाडियाजी ने पूज्यश्री से मांगलिक सुनकर जब प्रस्थान किया तो निश्चय किया कि ऐसे महान् तीर्थ की यात्रा पैदल ही करूँगा। जब सुखाडियाजी पैदल चढने लगे, तो शेष अन्य नेताओं ने भी डोली के उपयोग का विचार छोड दिया। पूरा काफिला पैदल चढने लगा। सभी थक कर चूर हो गये।
जब यात्रा कर नीचे आये तो गुरुदेवश्री से सुखाडियाजी ने कहा- गुरुदेव! हम आज तो पूरे थक गये। बडी मुश्किल से दादा के दरबार में पहुँचे। पर ज्योंहि दादा के दरबार में पहुँच कर परमात्मा के दर्शन किये, हमारी सारी थकान गायब हो गई। अभी हम तरोताजा महसूस कर रहे हैं।
गुरुदेवश्री ने कहा- सुखाडियाजी! आपकी केवल आज की थकान दूर नहीं हुई... केवल एक जन्म की थकान दूर नहीं हुई.. बल्कि परमात्मा के भाव-पूरित दर्शन से आपके जन्मों जन्मों की थकान दूर हो गई है।
पूज्यश्री के वचनों को श्रवण कर सुखाडियाजी अत्यन्त प्रभावित हुए थे। पालीताना का वह पहला परिचय लम्बे समय तक चला। प्राय: श्री सुखाडियाजी का आगमन गुरुदेवश्री के दर्शन करने हेतु होता रहता था।
बड़ौदा में स्वाध्याय मण्डल की स्थापना
पूज्य उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. के शिष्य पूज्य मुनिप्रवर श्री मनितप्रभसागरजी म.सा. की पावन प्रेरणा से श्री जिनकुशलकान्ति स्वाध्याय मण्डल की स्थापना की गयी। 10.4.2014 को पूज्य मुनिश्री ने स्वाध्याय की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा- ज्ञान स्वाध्याय के निरन्तरता से प्राप्त होता है। ज्ञान से दर्शन शुद्धि एवं चारित्र की विशुद्धि होती है। जैसे सूर्योदय के साथ अंधकार दूर हो जाता है वैसे ही सम्यग्ज्ञान की रश्मियों के प्रकट होते ही मिथ्यात्व एवं बुराईयों का तमस गायब हो जाता है।
नवपद के चतुर्थ दिवस उपाध्याय पद की महत्ता बताते हुए कहा कि उपाध्याय ज्ञान प्रदान करते है। जो ज्ञान चारित्र में परिणत हो, वह ज्ञान मुक्ति प्रदायक होता है।
इस मण्डल के कार्य की सारी जिम्मेदारी नरेशजी पारख और अल्पेश झाबक पर डाली गयी। प्रति रविवार को पुरुष वर्ग इतिहास, तत्त्वज्ञान, प्रतिक्रमण आदि के द्वारा निजात्म शुद्धि का यत्न करे, यही इस मण्डल की स्थापना का उद्देश्य है।
पुस्तकें उपलब्ध
1. सुवास वाटिका- बालकों को संस्कारों की सुवास देने वाली सुवास वाटिका में 20 स्मेेवद दिये गये है जिसमें कथा, तत्त्वज्ञान, पहेली आदि दिये गये हैं। सरल, सुन्दर और सरस पद्धति में इस पुस्तक का आलेखन पूज्य मुनि श्री मनितप्रभसागरजी म. ने किया है। हर लेशन के अन्त में म्गमतबपेम का नूतन प्रयोग है जिससे बालकों में ज्ञान के प्रति रूचि जागृत होगी।
सुवास वाटिका प्रथम खण्ड रंगीन चित्रों के साथ रंगीन प्रकाशित हो रही है।। इस पुस्तिका का मूल्य मात्र 30 रुपये रखा गया है। वर्तमान की भौतिक चकाचौंध में सही दिशा और दिशा का निर्देशन देने वाली ‘सुवास वाटिका’ जीवन का अमूल्य उपहार है।
2. माइन्ड मेनेजमेन्ट- मन का प्रबंधन सर्वाधिक जरूरी है। मन के समुचित प्रबंधन के अभाव में जीवन चिन्ता के जाले, तनाव की दुर्गन्ध, ईष्र्या की उष्णता से भर जाता है। और जीवन को नीरस, शुष्क और बोझिल बना देता है।
मेनेजमेन्ट सीरिज के दूसरे भाग के रूप में 64 पृष्ठ वाली संपूर्ण रंगीन, आर्ट पेपर पर सजी सुन्दर सामग्री का आलेखन मुनि श्री मनितप्रभसागरजी म.सा. ने किया है।। पूज्य उपाध्याय श्री के आशीर्वाद एवं साध्वी डाँ. नीलांजना श्री जी म.सा. के सम्पादन ने इसे नया निखार दिया है। इसका मूल्य मात्र 20 रु. रखा गया है। पूर्व में मुनि श्री द्वारा आलेखित लाइफ मेनेजमेन्ट अत्यन्त प्रसिद्ध हुई थी।
3. प्यासा कंठ मीठा पानी- जैन तत्त्वज्ञान, दर्शन, इतिहास आदि अनेक विषयों को प्रश्नोत्तर की शैली में प्रस्तुत प्यासा कण्ठ मीठा पानी का तृतीय संस्करण नयी स्टाईल में प्रकाशित हो रहा है। 660 पृष्ठों वाले तथा 17000 प्रश्नोत्तर वाले इस विशाल प्रश्नोत्तर ग्रंथ का लेखन संकलन-संयोजन पूज्य मुनि श्री मनितप्रभसागरजी म. ने किया है। मात्र 200 रुपये में पुस्तक उपलब्ध है।
पुस्तकों हेतु जहाज मंदिर कार्यालय पर सम्पर्क करें। 02973-256107 मो. 0964 964 0451
जसोल में जीवित महोत्सव संपन्न
पू. माताजी म. श्री रतनमालाश्रीजी म. एवं पू. बहिन म.डाँ. साध्वी श्री विद्युत्प्रभाश्रीजी म. आदि ठाणा की निश्रा में मातुश्री गंगादेवी नाहटा धर्मपत्नी श्री हस्तीमलजी नाहटा का तीन दिवसीय 23.4.2014 से 25.4.2014 तक जीवित महोत्सव का श्री प्रकाशचंदजी प्रेणितकुमारजी नाहटा परिवार द्वारा आयोजन किया गया।
महोत्सव को संबोधित करते हुए बहिन म.श्री विद्युतप्रभा श्री जी म.सा. ने कहा- मातुश्री गंगादेवी ने कठिन परिस्थिति में भी कभी साहस नहीं खोया। उन्होंने अपने परिवार में भी धर्म, विनय एवं प्रेम के संस्कार दिये हैं आज उसी का परिणाम है कि प्रकाशजी का परिवार जसोल में आदर्श परिवार माना जाता है।
साध्वीश्री ने गंगादेवी नाहटा को उनके जीवन में लगे दोषों का मिच्छामिदुक्कडं भी करवाया।
जीवित महोत्सव के उपलक्ष्य में नाहटा परिवार द्वारा अपने नवनिर्मित आवास में उवसग्गहरं महापूजन एवं वास्तुपूजन पढ़ाया गया। वास्तुपूजन पढ़ाने के लिये श्री कुशलवाटिका महिला परिषद् एवं बालिका परिषद् बाड़मेर से पधारे थे। नाहटा परिवार द्वारा सभी का बहुमान किया गया।
कार्यक्रम के अन्तर्गत साध्वीजी भगवंत के साथ परमात्मा के दर्शन का भव्य कार्यक्रम रखा गया। गर्मी होते हुए भी भीड जोरदार थी। बैण्ड की धुन पर नाचते झूमते सकल संघ परमात्मा के दरबार में पहुंचा।
नाहटा परिवार द्वारा मातृ-पितृ वंदना का कार्यक्रम सुप्रसिद्ध संगीतकार श्री भावना आचार्य द्वारा रखा गया। इस कार्यक्रम की प्रस्तुति की देखकर एक भी आंख ऐसी न होगी, जो रोयी न हो।
इस अवसर पर श्री प्रकाशचंद जी नाहटा ने गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा- मेरी विनंती स्वीकार कर उन्होंने बहिन म. श्री विद्युत्प्रभाश्रीजी म. के तय कार्यक्रम को बदलते हुए जसोल भेजकर मुझे अनुग्रहित किया है, मैं उनका अत्यंत आभारी हूँ। इस कार्यक्रम में जसोल संघ सहित बाहर दिल्ली, बैंगलोर, बालोतरा, बाड़मेर आदि अनेक गांवों से लोग पधारे थे। सभी ने कार्यक्रम एवं नाहटा परिवार की उदारता की भूरि-भूरि अनुमोदना की।
खरतरगच्छ पेढी की मीटींग संपन्न
श्री जिनदत्त-कुशलसूरि खरतरगच्छ पेढी की कार्यकारिणी की बैठक जोधपुर सरदारपुरा दादावाडी में ता. 19 अप्रेल 2014 को पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. की पावन निश्रा में अध्यक्ष श्री मोहनचंदजी ढड्ढा की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में महामंत्री पद पर संघवी श्री वंशराजजी भंसाली अहमदाबाद एवं कोषाध्यक्ष पद पर श्री बाबुलालजी लूणिया अहमदाबाद को नियुक्त किया गया। संघवी अशोकजी भंसाली को गुजरात उपाध्यक्ष पद अर्पण किया गया।
बैठक में नाशिक दादावाडी हेतु 5 लाख रूपये का अनुदान स्वीकृत किया गया। मेड़ता सिटी की ऐतिहासिक दादावाडी के जीर्णोद्धार हेतु विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में मेडता सिटी संघ के अध्यक्ष श्री शांतिलालजी सिंघवी आदि प्रतिनिधि उपस्थित थे। वहाँ जिन मंदिर, दादावाडी, हाँल व कमरों के निर्माण का निर्णय लिया गया। इस दादावाडी का निर्माण परम भक्त सेठ श्री फतहचंदजी भडगतिया की ओर से कराया गया था।
बैठक में जीर्णोद्धार कमिटि बनाई गई। संघवी अशोकजी भंसाली-अहमदाबाद को संयोजक बनाया गया। कमेटी में संघवी श्री विजयराजजी डोसी बैंगलोर, उदयराजजी गांधी जोधपुर, दीपचंदजी कोठारी ब्यावर, यशवर्धनजी गोलेच्छा फलोदी, जयकुमारजी बैद रायपुर एवं राकेशजी बोहरा उज्जैन को सम्मिलित किया गया।
जीर्णोद्धार योग्य दादावाडियों का निरीक्षण करके जीर्णोद्धार के संबंध में अपने सुझाव पेढी की कार्यकारिणी में रखने का दायित्व सौंपा गया। साबला दादावाडी के चल रहे जीर्णोद्धार पर विचार विमर्श किया गया।
श्री मोतीलालजी गौतमचंदजी झाबक, रायपुर वाले ट्रस्टी एवं श्री उदयराजजी गांधी-धोरीमन्ना-जोधपुर वाले आजीवन सदस्य बने। पेढी की ओर से उन्हें धन्यवाद अर्पण किया गया।
पाली में दीक्षा संपन्न
पाली नगर में ऐतिहासिक दीक्षा समारोह ता. 1 मई को अत्यन्त आनंद व उल्लास के साथ संपन्न हुआ। श्री गौतमराजजी डाकलिया के पुत्र, पुत्रवधु, पौत्र व पौत्री ने दीक्षा ग्रहण कर एक अभिनव इतिहास की रचना की।
पूज्य मुनिराज श्री जयानंदजी म.सा. के शिष्य पूज्य मुनिराज श्री कुशलमुनिजी म. नंदीषेणमुनिजी म. की पावन निश्रा में यह समारोह हुआ।
ता. 29 अप्रेल को श्री जगदीशचंदजी भंसाली परिवार की ओर से भव्यातिभव्य वरघोडा निकाला गया एवं स्वामिवात्सल्य का आयोजन किया गया। ता. 30 अप्रेल को वर्षीदान का वरघोडा निकला। ता. 1 को 15 हजार लोगों की विशाल उपस्थिति में दीक्षा महाविधान संपन्न हुआ। श्री मनोजकुमारजी का नाम विरागमुनि, कुमार भव्य का नाम भव्य मुनि, सौ. मोनिका देवी का नाम विरतियशाश्रीजी एवं कुमारी खुश्बू का नाम विनम्रयशाश्रीजी रखा गया।
भोपालगढ दादावाडी की प्रथम वर्षगांठ
चतुर्थ दादा गुरुदेव श्री जिनचन्द्रसूरि की दीक्षा स्थली भोपालगढ की दादावाडी की प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ ता. 30 अप्रेल को अत्यन्त आनंद के साथ मनाई गई।
इस दादावाडी का संपूर्ण जीर्णोद्धार श्री जिनदत्त-कुशलसूरि खरतरगच्छ पेढी द्वारा कराया गया है।
इस दादावाडी में श्री सीमंधर स्वामी जिनमंदिर एवं जिनचन्द्रसूरि दादा गुरुदेव की प्रतिष्ठा गतवर्ष पूज्य उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. की निश्रा में संपन्न हुई थी।
श्री सीमंधर स्वामी परमात्मा की ध्वजा लाभार्थी श्री ज्ञानचंदजी मुणोत परिवार द्वारा एवं दादावाडी की ध्वजा लाभार्थी श्री दलीचंदजी वगतावरमलजी कांकरिया परिवार द्वारा चढाई गई। इस अवसर पर अठारह अभिषेक किये गये एवं सतरह भेदी पूजा पढाई गई।
तलोदा में प्रतिष्ठा सम्पन्न
पू. उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म.सा के शिष्य पू. मुनि श्री मयंकप्रभसागरजी म., पू. मनितप्रभसागरजी म., पू. समयप्रभसागरजी म., पू. विरक्तप्रभसागरजी म., पू. श्रेयांसप्रभसागरजी म. की निश्रा में तलोदा नगर में परिकर एवं मंगल मूर्तियों की प्रतिष्ठा 28 अप्रेल 2014 को विजय मुहूर्त्त में सानंद संपन्न हुई।
सबसे पहले अठारह अभिषेक का विधान सम्पन्न हुआ। तदुपरान्त ऊँ पुण्याहं आदि मंत्रोच्चारणों के साथ परिकर आदि की प्रतिष्ठा की गयी। सकल संघ ने इस कार्य में पूर्ण मनोयोग से प्रभु भक्ति का आनंद उठाया।
जीव राशि क्षमापना कार्यक्रम सम्पन्न
तलोदा में पू. मुनिवर श्री मयंकप्रभसागरजी म. पू. मुनि श्री मनितप्रभसागरजी म. आदि ठाणा पांच एवं पू. प्रवर्त्तिनी श्री सज्जनश्रीजी म.सा. की शिष्या साध्वी श्री शुभदर्शनाश्रीजी म. आदि ठाणा-2 की पावन निश्रा में 1 मई 2014 को श्री गुमानमल जी कोचर की धर्मपत्नी श्रीमती केसर बाई कोचर एवं श्री जसराजजी पारख की धर्मपत्नी श्रीमती बालुबाई पारख के जीव राशि क्षमापना का कार्यक्रम सानंद सम्पन्न हुआ।
पू. मुनि श्री मनितप्रभसागरजी म. ने जीव राशि क्षमापना का उद्देश्य बताते हुए कहा- हर जीव अपने जीवन में सतत पापों का सेवन करता है। उसका यदि कनेक्शन काटा न जाये तो वह भवभ्रमण का विस्तार करता है। जीव राशि क्षमापना का सार्थक अर्थ यह है कि पुरानी कहानी का समापन और नयी जिन्दगी की शुरूआत। चाहे-अनचाहे, जाने-अनजाने जो पाप होते है, जीवों की विराधना होती है, उनका मिच्छामि दुक्कडं देकर शुद्ध, निर्मल और हल्का होना है। अब संसार के कर्त्तव्यों से ऊपर उठकर आत्मार्थ का जीवन जीना है। पूज्य मुनिश्री ने पद्मावती आलोचणा का भावार्थ प्रस्तुत करते हुए हिंसा आदि अठारह पापस्थान को, चौरासी लाख जीव योनियों की विराधना के पापों का त्रिविध त्रिविध मिच्छामि दुक्कडं दिलवाया। दोनों परिवारों ने कामली बोहराई तथा यथा शक्ति सातों ही क्षेत्रों में अपनी राशि का सदुपयोग किया। इस अवसर पर अनेक श्रद्धालु बाहर गांव से पधारे थे।
मंदाना में प्रतिष्ठा 14 मई को
नंदुरबार जिले के मन्दाना गांव में नवनिर्मित श्री वासुपूज्य परमात्मा के शिखरबद्ध जिन मंदिर की भव्य प्रतिष्ठा पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म. सा. के शिष्य पूज्य मुनिराज श्री मयंकप्रभसागरजी म.सा. पूज्य मुनिराज श्री मनितप्रभसागरजी म.सा. पूज्य मुनिराज श्री समयप्रभसागरजी म.सा. पूज्य मुनिराज श्री विरक्तप्रभसागरजी म.सा. पूज्य मुनिराज श्री श्रेयांसप्रभसागरजी म.सा. आदि 5 एवं पूजनीया संघरत्ना श्री शशिप्रभाश्रीजी म.सा. की शिष्या पूजनीया साध्वी श्री शुभदर्शनाश्रीजी म.सा. ठाणा 2 व पूजनीया खान्देश शिरोमणि साध्वी श्री दिव्यप्रभाश्रीजी म.सा. की शिष्या पूजनीया साध्वी श्री चारित्रनिधि श्रीजी म. आदि की पावन निश्रा में वैशाख सुदि 15 को ता. 14 मई को संपन्न होगी।
त्रिदिवसीय कार्यक्रम के तहत ता. 12 मई को पूज्यवरों के प्रवेश के साथ ही कुंभस्थापनादि विधि विधान होंगे। ता. 13 को शोभायात्रा एवं ता. 14 को प्रतिष्ठा होगी। सकल श्री संघ मन्दाना में इस प्रतिष्ठा के लक्ष्य से भारी उत्साह छाया हुआ है। कार्यकत्र्ता इस प्रतिष्ठा को सफल बनाने हेतु पूरी तरह से जुट गये हैं।
पादरू में दादावाडी की वर्षगांठ
बाडमेर जिले के पादरू नगर में श्री शीतलनाथ जिन मंदिर एवं श्री जिनकुशलसूरि दादावाडी की प्रतिष्ठा की 26 वीं वर्षगांठ ता. 8 जून को त्रिदिवसीय कार्यक्रम के साथ मनाई जायेगी।
26 वर्ष पूर्व इस जिनमंदिर दादावाडी की अंजनशलाका प्रतिष्ठा पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. की पावन निश्रा मेें संपन्न हुई थी। ता. 6 जून को अठारह अभिषेक के साथ पंचकल्याणक पूजा पढाई जायेगी।
ता. 7 जून को भैरव पूजन पढाया जायेगा। साथ ही समिति की बैठक में प्रगति रिपोर्ट पर विचार विमर्श किया जायेगा। आम सभा का आयोजन भी होगा। तथा रात्रि में भक्ति के दौरान अष्टप्रकारी पूजा के वार्षिक चढावे बोले जायेंगे।
ता. 8 जून को सतरह भेदी पूजा के साथ ध्वजा चढाई जायेगी। जिनमंदिर की ध्वजा लाभार्थी शा. रूपचंदजी घेवरचंदजी वंसराजजी संकलेचा परिवार, दादावाडी की ध्वजा शा. सांवलचंदजी हरकचंदजी संकलेचा परिवार द्वारा चढाई जायेगी। दोपहर में दादा गुरुदेव की पूजा पढाई जायेगी। तीनों दिन स्वामिवात्सल्य का आयोजन किया जायेगा।
-प्रेषक
जहाज मंदिर कार्यालय