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❖ बड़ौत के पास सरूरपुर में भगवन पारसनाथ की प्रतिमा भूगर्भ से प्राप्त हुई है अभी अभी... क्षुल्लक श्री ध्यानसगर जी के सानिध्य में [ शिष्य आचार्य श्री विद्यासागर जी ] @ Live Picture... ❖ शेयर करे... आज दिन में दो बजे से मंदिर में खुदाई शुरू की गयी थी..:)
काशी का यह राजकुवर, यही देव सम्मेदशिखर गिरी वाला,
ये अहिक्षेत्र का सूर्य प्रबुद्ध, हृदय में करे जो विशुद्ध उजाला!
है यही पार्श्व जिसे 'सुरुरपुर' में, भक्तो ने धरती खोद निकला,
चिंता छीन छु मंतर हो, जप चिंतामणि पार्श्व की माला!!:)
♫ www.jinvaani.org @ Jainism' e-Storehouse, Have DharmaLabh!
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काशी का यह राजकुवर, यही देव सम्मेदशिखर गिरी वाला,
ये अहिक्षेत्र का सूर्य प्रबुद्ध, हृदय में करे जो विशुद्ध उजाला!
है यही पार्श्व जिसे 'सुरुरपुर' में, भक्तो ने धरती खोद निकला,
चिंता छीन छु मंतर हो, जप चिंतामणि पार्श्व की माला!!:)
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News in Hindi
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❖ ✿ An irony by us -D followers/devotee /believer of Jainism:) maximum share please... to spread this message.
ये पटाको संग दिवाली नहीं दिवाला है,
मज़े मजे में कर्मो को ही बाँध डाला है!
पैसे/आत्मा का निकला दिवाला पर कहे हम दिवाली,
जबकि हरकते हमारी पागलो वाली, फिर भी चिल्लाए!
हम अहिंसा के पुजारी! हम अहिंसा के पुजारी!.
Composition/written by *Nipun Jain -Admin
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❖ किसने फैलाई है ये झूठी खबर, कि रावण गया है मर..
जो दस सिरों में था मौजूद, कितने सिरों में घुस गया है।
सोने की लंका का वासी, अब घर-घर पहुंच गया है।
भगवान ने किया था वध, इसलिए, हो गया अमर,
किसने फैलाई है ये झूठी खबर, कि रावण गया है मर..
हर बरस देखो रावण का कद, कितना बढ़ता जाता है,
जो खाता था लाख-करोड़, वो लाखों करोड़ खा जाता है।
मीडिया में छा जाता, चौराहों पर उसके, लगते हैं पोस्टर,
किसने फैलाई है ये झूठी खबर, कि रावण गया है मर..
वन में विचरनेवाले खर-दूषण, वनों को ही मिटा रहे हैं,
वृक्षों को काट-काट वहां, अट्टालिकाएं बना रहे हैं।
वन्य-प्राणी जान बचाते, भाग रहे हैं, इधर-उधर ।
किसने फैलाई है ये झूठी खबर, कि रावण गया है मर..।
कलयुग के रावण की सेना, कल से शक्तिशाली है।
लंका से लद्दाख तक, उसने अपनी पैठ बना ली है।
बेबस और लाचार जन, आखिर जाए तो जाए किधर,
किसने फैलाई है ये झूठी खबर, कि रावण गया है मर..।
विभीषण भी भीतर ही भीतर, रावण-दल के साथ है,
घोटालों-षड्यंत्रों में, रहता अक्सर उसका हाथ है,
रामराज मिटाने को, वो जालिम कस रहा है कमर,
किसने फैलाई है ये झूठी खबर, कि रावण गया है मर..।
धर्म के ठिकानों पर भी, अब असुरों का ही डेरा है,
बसता था जहाँ धर्म कभी, वहाँ सर्वाधिक पाप का फेरा है,
वेष बदल कर साधू चोले में, दुष्कर्म रहे हैं कर,
किसने फैलाई है ये झूठी खबर, कि रावण गया है मर..।
पता लग रहा कुंभकरण ने, कितना चारा–कोयला खाया है,
बाँधों का पानी पी गया पापी, धरा को बंजर बनाया है.
कितने विचर रहे हैं अब भी, चहुं ओर निशाचर,
किसने फैलाई है ये झूठी खबर, कि रावण गया है मर..।
कट्टरता मेघनाथ सी, और अहिरावण सी माया,
आई.एस.आई.एस. से दानव –दल ने कहर है बरपाया,
रावण की आतंकी सेना ने दुनिया में, मचा रखा है गदर,
किसने फैलाई है ये झूठी खबर, कि रावण गया है मर..।
देखा अपने भीतर तो वहाँ भी, छिपकर रावण-दल बैठा था,
कर्तव्य-स्वाभिमान को मेरे, दुष्ट अभिमान बना कर ऐंठा था,
कैसे राह भटका रहा था, मुझको ही हुई न खबर.
किसने फैलाई है ये झूठी खबर, कि रावण गया है मर..।
किसने फैलाई है ये झूठी खबर.. -डॉ. एम. एल. गुप्ता ‘आदित्य’
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