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✿ आओ... धन्य त्रियोदशी से रत्नत्रय को पाकर जिनवाणी का मर्म समझ जाये,
वीतराग-रस पान-कर, त्रियोदशी से अपने जीवन को धन्य कर जाये!
A warm wishes from our team of this page in the occasion of DHANYA-TRIYODASHI! Have a real Dhanya-Tridashi this time for all of us. And don't follow festivals with superficiality and stop behaving like Ignorant. don't let go this worthy enlightenment about Dhanteras!
धन्य त्रियोदशी कहो या धन तेरस या धन्य तेरस >> धन्य तेरस का बहुत महत्व है लेकिन वैसा नहीं जैसा की आज कल अन्धविश्वास के कारन हम लोग मानते है की सांसारिक लक्ष्मी तथा धन का पूजा करो नहीं, उस दिन को धन्य माना गया क्योंकि उस दिन के बाद भगवान ने योग निरोध किया तथा अमावस्या को मोक्ष प्राप्त कर लिया, योग विरोध का मतलब मन, वचन और काय की प्रवृत्ति बंद हो जाना, मतलब उस दिन से महावीर स्वामी ने समवसरन का भी त्याग कर दिया और बस पद्मासन अवस्था में एक पेड़ के निचे विराजमान हो गए और ना मन से प्रवृत्ति करेंगे ना तन से करेंगे और ना ही कुछ बोलेंगे... वीर प्रभु के योगों के निरोध से त्रयोदशी धन्य हो उठी, इसीलिये यह तिथि “ धन्य-तेरस [त्रयोदशी]” के नाम से विख्यात हुई लेकिन समय से प्रभाव से यह धन्य त्रयोदशी का नाम अन्धविश्वास में बदल गया और फिर धनतेरस में फिर सिर्फ धन की पूजा होने लगी! धन-तेरस के दिन हम लोग धन-संपत्ति, रुपये-पैसे को लक्ष्मी मान कर पूजा करते हैं जो सर्वथा अयुक्तियुक्त है। वो वाइज है इन्तेलिगेंट है उनको इस पर विचार करना चाहिए और साधू जानो और ग्यानी जानो से पूछना चाहिए, ग्रंथो को देखना चाहिए!
हजारो साल पहले भगवान् ने अपने जीवन को आज के दिन ही धन्य कर लिया था, जिससे त्रियोदशी भी धन्य कही जाने लगी थी, आओ आज हम भी कुछ संयम नियाम आदि जीवन में आचरण ले ताकि हम भी धन्य हो जाए और धन है या नहीं लेकिन आप आचरण से अपने को धन्य तो कर ही सकते है, आज धन्य तेरस को पवन कर दे अपने जीवन में में भी भगवान् महावीर को धारण कर लें!
SOURCE - Article written by Nipun Jain [Admin]
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धन्य त्रियोदशी कहो या धन तेरस या धन्य तेरस >> धन्य तेरस का बहुत महत्व है लेकिन वैसा नहीं जैसा की आज कल अन्धविश्वास के कारन हम लोग मानते है की सांसारिक लक्ष्मी तथा धन का पूजा करो नहीं, उस दिन को धन्य माना गया क्योंकि उस दिन के बाद भगवान ने योग निरोध किया तथा अमावस्या को मोक्ष प्राप्त कर लिया, योग विरोध का मतलब मन, वचन और काय की प्रवृत्ति बंद हो जाना, मतलब उस दिन से महावीर स्वामी ने समवसरन का भी त्याग कर दिया और बस पद्मासन अवस्था में एक पेड़ के निचे विराजमान हो गए और ना मन से प्रवृत्ति करेंगे ना तन से करेंगे और ना ही कुछ बोलेंगे... वीर प्रभु के योगों के निरोध से त्रयोदशी धन्य हो उठी, इसीलिये यह तिथि “ धन्य-तेरस [त्रयोदशी]” के नाम से विख्यात हुई लेकिन समय से प्रभाव से यह धन्य त्रयोदशी का नाम अन्धविश्वास में बदल गया और फिर धनतेरस में फिर सिर्फ धन की पूजा होने लगी! धन-तेरस के दिन हम लोग धन-संपत्ति, रुपये-पैसे को लक्ष्मी मान कर पूजा करते हैं जो सर्वथा अयुक्तियुक्त है। वो वाइज है इन्तेलिगेंट है उनको इस पर विचार करना चाहिए और साधू जानो और ग्यानी जानो से पूछना चाहिए, ग्रंथो को देखना चाहिए!
हजारो साल पहले भगवान् ने अपने जीवन को आज के दिन ही धन्य कर लिया था, जिससे त्रियोदशी भी धन्य कही जाने लगी थी, आओ आज हम भी कुछ संयम नियाम आदि जीवन में आचरण ले ताकि हम भी धन्य हो जाए और धन है या नहीं लेकिन आप आचरण से अपने को धन्य तो कर ही सकते है, आज धन्य तेरस को पवन कर दे अपने जीवन में में भी भगवान् महावीर को धारण कर लें,
धन का लालच जब तक है तब तक हम धन्य नहीं हो सकते और जब तक धन्य नहीं हो सकते तब तक मोक्ष को नहीं प्राप्त कर सकते, क्यूंकि मोक्ष ही परम सुख है, परम धन है, परम धरम है। तो आइय्ये इस दीपावली से शुरू करें जीवन में एक नया अध्याय और बढ़ चले धन्य जीवन की और।
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Zara Sochiye...
Aakhir hota kyajaa raha hai Hum Jaino ko...
Q hum Dipawali ko sirf paisa sukh or samriddhi se jod rahe hain??
Kya hum bhool gaye Paisa sukh samriddhi sab karmo ka khel hota hai kisi ke lene dene se nahi kuch milta hai...
Mahaveer ke param siddhant jiyo aur jine do ko bhool patakhon me ansankhya jeevon ki hatya kar baithte hain...
Dhanya tera ko Dhan tera bana dala??
Sirf paise ki bhookh or samaj mein dikhawe ke liye humne Mhaveer ki vani or unke siddhant ko maar dala...
Deepawali ki raat Mahaveer ki pooja or unke vaachno ko jinse saccha sukh, saccha dhan, sacchi samriddhi mane moksh prapt hota hai use bhula diya...Ya kahein paise ke lalach ki bali chadha diya...
Mahaveer Bhagwaan ki pooja chhod q humne mithyatav ka daaman pal liya, q aaj humne unke sthan par mithytav ka daamn paal liya...???