09.12.2015 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 10.12.2015
Updated: 05.01.2017

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✔ आगम धारा ✔ क्षुल्लक ध्यान सागर जी के विचार ❖ “बहुत सारा पढने पर बहुत ज्ञान नहीं होता बहुत कम पढने पर भी बहुत ज्ञान हो सकता है यदि बहुत गहराई में चले जाएँ तो!” ❖ Read and Share intensive & extensive words through his words..

“जो समझ कर अन्य मत से जिनशासन की शरण में आता वह अंधश्रद्धालु नहीं होता है और वह एक एक कदम फूँक कर रखने वाला होता है, वो परीक्षा प्रधानी होता है और परीक्षा कर के जब आगम को सत्य प्रतिपादित स्वीकार कर लेता है तब आगम पर कभी संदेह नहीं करता” “तप और विशुद्धि से प्रकट होने वाली शक्ति को ऋद्धि कहते हैं”

“बहुत सारा पढने पर बहुत ज्ञान नहीं होता बहुत कम पढने पर भी बहुत ज्ञान हो सकता है यदि बहुत गहराई में चले जाएँ तो!”

“भगवान, गुरु और जिनशासन के बारे में कोई भी निर्णय उतावली में मत करना”

आचार्य शुभचंद्र स्वामी ने ज्ञानार्णव् ग्रन्थ के मंगलाचरण में आचार्य पूज्यपाद स्वामी के लिए क्या लिखा है? श्रवण बेलगोल में शिलालेख पर आचार्य पूज्यपाद स्वामी के विषय में क्या लिखा हुआ है?

पूज्यपाद स्वामी के अन्य नाम क्या हैं?

वर्तमान में उपलब्ध तत्वार्थ सूत्र की सबसे प्राचीन टीका कौन सी है?

प्रक्षालन शब्द का क्या अर्थ है? क्या जिनबिम्ब का प्रक्षालन होता है?
ब्राह्मण परिवार में जन्मे ५ वीं शताब्दी के महान दिगम्बर आचार्य पूज्यपाद स्वामी का संक्षिप्त परिचय और इन सभी प्रश्नों के उत्तर सुनिए

नीचे दिए गए लिंक से भी यही प्रवचन download किया जा सकते है |
https://drive.google.com/file/d/0BwgPuMlBrGsITHNlNHgyOVBuMmM/view?usp=sharing07-07-2015

--- ♫ www.jinvaani.org @ Jainism' e-Storehouse ---

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✔ आगम धारा ✔ क्षुल्लक ध्यान सागर जी के विचार ❖ “बहुत सारा पढने पर बहुत ज्ञान नहीं होता बहुत कम पढने पर भी बहुत ज्ञान हो सकता है यदि बहुत गहराई में चले जाएँ तो!” ❖ Read and Share intensive & extensive words through his words..

“जो समझ कर अन्य मत से जिनशासन की शरण में आता वह अंधश्रद्धालु नहीं होता है और वह एक एक कदम फूँक कर रखने वाला होता है, वो परीक्षा प्रधानी होता है और परीक्षा कर के जब आगम को सत्य प्रतिपादित स्वीकार कर लेता है तब आगम पर कभी संदेह नहीं करता” “तप और विशुद्धि से प्रकट होने वाली शक्ति को ऋद्धि कहते हैं”

“बहुत सारा पढने पर बहुत ज्ञान नहीं होता बहुत कम पढने पर भी बहुत ज्ञान हो सकता है यदि बहुत गहराई में चले जाएँ तो!”

“भगवान, गुरु और जिनशासन के बारे में कोई भी निर्णय उतावली में मत करना”

आचार्य शुभचंद्र स्वामी ने ज्ञानार्णव् ग्रन्थ के मंगलाचरण में आचार्य पूज्यपाद स्वामी के लिए क्या लिखा है? श्रवण बेलगोल में शिलालेख पर आचार्य पूज्यपाद स्वामी के विषय में क्या लिखा हुआ है?

पूज्यपाद स्वामी के अन्य नाम क्या हैं?

वर्तमान में उपलब्ध तत्वार्थ सूत्र की सबसे प्राचीन टीका कौन सी है?

प्रक्षालन शब्द का क्या अर्थ है? क्या जिनबिम्ब का प्रक्षालन होता है?
ब्राह्मण परिवार में जन्मे ५ वीं शताब्दी के महान दिगम्बर आचार्य पूज्यपाद स्वामी का संक्षिप्त परिचय और इन सभी प्रश्नों के उत्तर सुनिए

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