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क्षुल्लक ध्यानसागर जी महाराज की आवाज में शुद्ध उच्चारण भक्तामर स्तोत्र, आचार्य श्री की पूजा, कीर्तन, हमारे कष्ट मिट जाये, जब काली रात अमावस की, भक्तामर स्तोत्र की किताब, आर्यिका पूर्णमति माता जी की आवाज में मूकमाती, भक्तामर स्तोत्र, सहस्त्रनाम स्तोत्र, मंगलाष्टक, अभिषेक पथ, बृहद शांतिधारा, एकीभाव स्तोत्र, आत्मबोध शतक, तत्वार्थ सूत्र, मुनि श्री क्षमासागर जी महाराज की आवाज में अरिहंत नाम सत्य है, अग्निपथ, मैत्री भाव!
प्रवचन: मुनि श्री नियमसागर जी के "सम्यकज्ञान""दस लक्षण धर्म", आचार्य विद्यासागर जी महाराज के दुर्लभ प्रवचन "ढाई आखर प्रेम के, धर्म बोलता नहीं, धर्म क्या है, मरता क्या न करता, मोक्ष मार्ग की शुरुआत, नारियल की तीन ऑंखें, वीतरागता की उपासना", मुनि श्री क्षमासागर जी महाराज के प्रवचन"पूजा कैसे करे", जिनेन्द्र वर्णी जी के दुर्लभ प्रवचन समयसार!
दुर्लभ प्रवचन संग्रह - आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज, मुनि श्री नियमसागर जी, मुनि श्री सुधासागर जी, मुनि श्री क्षमासागर जी, मुनि प्रमाणसागर जी, मुनि तरुणसागर जी, पूज्य जिनेन्द्र वर्णी जी, क्षुल्लक श्री ध्यानसागर जी के प्रवचन विभिन्न विषयो पर जैसे छः ढाला, तत्वार्थ सूत्र, भक्तामर, णमोकार मंत्र, म्रत्यु महोत्सव, पूजा कैसे करे, कर्म सिद्धांत, दस लक्षण धर्मं, सोलह कारण भावना, बारह भावना, समयसार, सर्वार्थ सिद्धि, कहानिया तथा जीवन चरित्र, गोमटसार, इष्टोपदेश, रत्नकरंड श्रावकाचार इत्यादि विषयो पूरा संग्रह - चिंतन/मनन करे!
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ईश दूर पर मैं सुखी,आस्था लिये अभंग |
ससूत्र बालक खुश रहे,नभ में उड़े पतंग ||
- पूर्णोदय शतक - पंक्ति क्रमांक ९८(आचार्य श्री विद्यासागर जी महा मुनिराज)
भावार्थ:- अटूट श्रद्धा रखने वाला भक्त भगवान के उससे दूर होते हुए भी सुखी रहता है । जिस प्रकार सुदूर आकाश में उड़ने वाली पतंग का धागा मात्र पकड़ा हुआ बालक खुश रहता है । यदि गुरु के द्वारा दिए हुए सूत्रों को हम अटूट श्रद्धा से पालन करते हैं तो भले ही गुरूजी हमसे दूर हों किन्तु आस्था रुपी डोर से हम उनसे सर्वदा जुड़े रहते हैं ।
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✿ आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की विभिन्न रचनाओं एवं सूत्रों (हाईको, शतक, मूकमाटी) आदि को सरल रूप में नित्य उपलब्ध कराने के लिए एक प्रयास कर रहे हैं । इन कृतियों को व्हाट्सप्प के माध्यम से जो भी प्राप्त करने के इच्छुक हैं वे कृपया निम्नलिखित नंबर को अपने फोनबुक में जोड़ें एवं सन्देश भेजें । यह कोई समूह नहीं होगा अपितु ब्रॉडकास्ट सन्देश होगा और तभी आपके पास आ पायेगा जब आप इस नंबर को किसी नाम (जैसे: आचार्य श्री के लेख) से अपने फ़ोन में सेव करेंगे । सन्देश में अपना नाम, उम्र एवं नगर / ग्राम ज़रूर बताएं । जिनके पास व्हाट्सप्प नहीं है किन्तु टेक्स्ट सन्देश से प्राप्त करना चाहते हैं वे भी टेक्स्ट सन्देश भेज सकते हैं । सन्देश भेजने के उपरान्त आपको एक उत्तर मिलेगा जो आपके लिए सेवा प्रारम्भ होने का सूचक होगा । सन्देश इस नंबर पर भेजें: 7721081007 ---1 फरवरी से यह सेवा सुचारु रूप से प्रारम्भ की जायेगी । तब तक कृपया इस नंबर पर स्वयं को रजिस्टर करना न भूलें - 7721081007, धन्यवाद
✿ हाईको एक जापानी छंद है । जैसे भारत में दोहा, सोरठा आदि छंद में रचना होती हैं वैसे ही हाईको नामक इस छंद की जापान में उतपत्ति हुई । इस छंद में ३ पंक्तियाँ होती है । प्रथम पंक्ति में 5 अक्षर, द्वितीय पंक्ति में 7 अक्षर एवं तृतीय पंक्ति में भी 5 अक्षर होते हैं । यह छंद काम शब्दों में कोई भी सूत्र देने के लिए बहुत उपयुक्त है इसीलिए हमारे आचार्य भगवन ने इस छंद का उपयोग कर कई सूत्र दिए हैं । इन्ही सूत्रों को इस पृष्ठ [ @ Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ] के माध्यम से एवं व्हाट्सप्प ब्रॉडकास्ट के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा । जिसे भी सन्देश फ़ोन पर प्राप्त करने हो वे कृपया रजिस्टर करने के लिए इस नंबर पर सन्देश भेजें: 7721081007 | यह सेवा सुचारू रूप से १ फरवरी से प्रारम्भ होगी ।
एक उदहारण:
शब्द पंगु हैं,
जवाब न देना भी,
लाजवाब है ।
[ words are lame, Not reacting sometime is best practice ]
आचार्य श्री के एक सूत्र के कई अर्थ होते हैं:
१) शब्दों की अपनी एक सीमा है । शब्दों के माध्यम से जिस समस्या का समाधान नहीं होता वह कभी कभी मौन रहने से हो जाता है ।
२) यह आवश्यक नहीं कि प्रत्येक मुनिराज उपदेश दें किन्तु मुनिराज मौन रहते हुए भी अपने स्वरुप एवं अपने चारित्र के माध्यम से लाजवाब उपदेश हर समय देते रहते हैं ।
३) वाद विवाद जहां बड़ जाता है वहां यदि एक पक्ष शांत हो जाए तो विद्रोही अपने मौन से ही हार जाता है!
If want English translation too, or you feel this Hindi words are hard to understand and want simplify it more... please raise your voice in comment box. thank you! smile emoticon -Admin
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