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खेती बाड़ी है
भारत की मर्यादा
शिक्षा साडी है
---- आचार्य श्री
आचार्य श्री मात्र नाम से राष्ट्र संत नहीं अपितु भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए बहुत गंभीर विचार रखते हैं जो उनके प्रवचनों में स्पष्ट झलकता है ।
भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है और खेती बाड़ी हमारी अर्थ व्यवस्था का प्रमुख आधार है इसलिए कहा भारत की आत्मा गाँवों में निवास करती है इसलिए कृषि को भारत की मर्यादा कहा है और आचार्यों ने तो यहाँ तक कहा की "ऋषि बनो अथवा कृषि करो " । किन्तु आज सारा युवा वर्ग नौकरी करना चाहता है और खेती करना कोइ नहीं चाहता ये बहुत चिंता का विषय है ।
भारत की मर्यादा यहाँ के परिधानों में भी स्पष्ट झलकती है । नारी को साडी शोभा देती है ।
भारत में गुरुकुल परंपरा में गुरु शिष्यों को शिक्षा के रूप में मर्यादा, नीति और विद्या की शिक्षा देते थे इसलिए शिक्षा को साडी कहा । सही संस्कारों के साथ शिक्षा और खेती बाड़ी की प्रमुखता के कारण ही भारत विश्व गुरु था और यही भारत को शोभा देता है ।
आज की शिक्षा पद्धति नौकर पैदा कर रही है । स्वावलम्बी, स्वाभिमानी, मार्यादा सहित, संस्कारवान और देशभक्ति युक्त, समाज को कुछ योगदान देने वाले युवा आज की शिक्षण पद्धति से उत्पन्न नहीं हो रहे हैं । विचार करें ।
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आचार्य भगवन कहते हैं कि किसी पापी के पाप को देखकर हमे पापी से नहीं अथवा पाप से दूर रहना चाहिए । यदि हम पाप से घृणा करते हैं तो भविष्य में हम वैसा पाप न करें ऐसा भाव हमारे अंदर आएगा और हम पावन बनने की और बड़ जाएंगे इसी के साथ उस पाप करने वाले व्यक्ति विशेष से हमारा कोई राग द्वेष नहीं रहेगा और हो सकता है वह व्यक्ति भी कालांतर में सुधर जाए । पाप से घृणा हो, पापी से नहीं ।