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🚩🚩🚩आचार्य देशना🚩🚩🚩
🇮🇳"राष्ट्रहितचिंतक"जैन आचार्य 🇮🇳
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
तिथि: माघ शुक्ल द्वितीया, २५४२
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खाली बन जा
घट डूबता भरा
खाली तैरता
भावार्थ: इस हाईको के माध्यम से आचार्य श्री कहते हैं कि संसार सागर से तैरने के लिए हमे खाली होना पड़ेगा क्यूंकि खाली घड़ा ही तैर सकता है । भरे हुए घड़े तो डूब जाते हैं । अपने अंदर हमने जितनी भी कषायों की और राग द्वेष की गन्दगी और परिग्रह भरा हुआ है उसे खाली करना पड़ेगा । गुरूजी के पास भी जब हम जाएँ तो खाली होकर जाएँ तभी गुरूजी हमे कुछ दे पाएंगे । अपने आग्रह, हठाग्रह, दुराग्रह आदि लेकर यदि गुरूजी के पास जायेंगे तो मुश्किल है कि हम वहां से कुछ ले पाएं । किन्तु हम अपने को बुद्धिमान समझकर पहले ही अपने द्वारा बनायीं हुई योजनाओं के साथ जाते हैं और उस पर गुरूजी की सहमति चाहते हैं । गुरूजी से कुछ पाने के लिए हमे खाली होकर जाना होगा । इसलिए जब आचार्य श्री के पास भीड़ बहुत बड़ जाती है तो आचार्य श्री कहते हैं "खाली करो"। उस "खाली करो" कहने से आचार्य श्री वहां उपस्थित सभी लोगों को एक सूत्र दे देते हैं - अपने अंदर की कषाय को अंदर से खाली करो ।
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"राष्ट्र हित चिंतक"आचार्य श्री के सूत्र
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News in Hindi
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✿ तुम विद्या के सागर, हो आगम के आगर! तुम्ही से सुशोभित, हो जीवन का सागर!!:)
जब तुमको देखा समझ ये आया, महावीर स्वामी को साक्षात् पाया!
तेरी शांत मुद्रा में मैं खो गया हूँ, अनुपम छवि का दीवाना हो गया हूँ!1!
जिनवाणी को अंतस में बसाया, अंतर चक्षु मैं खुलते पाया!
तेरे मुख से जिनवाणी का मर्म, नयन पथगामी मैं बनू तुझ सम!2!
अध्यात्म सरोवर के राजहंस, निहारा तुझे जैसे आत्मा में बसंत,
तुझे देख इतना जान गया हूँ, मोक्ष मार्ग अब पहचान गया हूँ!3!
जब से देखा इस वीतराग दशा को, मान रहा हूँ धन्य स्वयं को!
कर्म बंधन कब को मैं भी तोडू, संसार सागर से नाता तोडू!4!
तुम विद्या के सागर, हो आगम के आगर! तुम्ही से सुशोभित, हो जीवन का सागर!!
Composition written By: Nipun Jain, I must call it 'भावो की अभिव्यक्ति - the expression of inner feelings' –Nipun:)
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✿ महावीर स्वामी बसों नयन मेरे, तेरा वंदन काटे भव-बंधन मेरे ✿ PICTURE @ Bhagwan Mahavira Swami, Ahinsa Sthal, New Delhi [ Kshullak Sri Dhyansagar JI darshan karte hue -Shishay Ach. Sri Vidyasagar Ji ]
तू त्रिशला की गोद से जन्म था स्वामी, जियो और जीने दो, सबको बताने!
तू अहिंसा का पुजारी, वात्सल्य जगाता, सब जीवो को एक सामान बताता!
तेरी वाणी से कितने तर गए हे स्वामी, तेरे दिव्यवाणी है मोक्ष नसैनी!
मोक्ष मार्ग नेता महावीर स्वामी, आपको ह्रदय में रख मैं नमामि!
तेरस से तेरा जीवन धन्य हुआ है, चतुर्दशी को ब्रम्ह में लीन भया है!
अमावस्या की प्रातः बेला में स्वामी, तू हो गया सिद्ध-शिला का निवासी!
संध्याकाल में गौतम गणधर ने पाया, केवलज्ञान से अंतर को जगाया!
वीतरागता का मैं कायल हुआ हूँ, तेरी इस छवि का दीवाना हुआ हूँ!
जियो और जीने दो सबको बताया, प्रकट में गाय-सिंह एक घाट पर आया!
रत्ना-त्रय को मोक्ष मार्ग बताया, अनेकान्तवाद से वैष्म्यता का अंत कराया!
तेरे गुण जन्मान्तर मैं गाता रहूँगा, मोक्ष-मार्ग शिल्पी का मार्ग अपनाता रहूँगा!
मोक्ष परम पद पाने को महावीर स्वामी, तेरे चरणों में शीश झुकता रहूँगा...
....आचरण प्रतिक चरण नमाता रहूँगा...नमाता रहूँगा...नमाता रहूँगा!
*Composition written by: Nipun Jain:)
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