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मांगीतुगीं दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र... Interesting History of this 108 feet Idol! it is quite surprising too..
अल्प संख्यक दिगम्बर जैन समाज के लिए यह बहुत ही गौरव की बात है कि विश्व की सबसे बडी भगवान 1008 आदिनाथ की प्रतिमा का निर्माण सैंकड़ों वर्ष प्राचीन मांगी तुगीं दिगम्बर सिद्ध क्षेत्र जो कि राम, हनुमान, सुग्रीव, सुडील सहित 99 करोड़ मुनि महराजों कि मोक्ष भुमि है, पर निर्विघ्न सम्पन्न हुआ औऱ अभी 11-18 फरवरी,2016 मे प्रतिमा जी का पंच कल्याणक आंनद के साथ सम्पन्न हो रहा है।
यह तो हम सभी जानते है कि सिक्के के दो पेहलू होते है। एक पहलू तो सभी जानते हैं कि यह कार्य गणीनि आर्यिका 105 ज्ञानमति माताजी की प्रेरणा से हुआ लेकिन पर्दे के पिछे कि बात पंचम पट्टाचार्य 108 आचार्य श्रेयांस सागर जी महाराज जी के समय से शुरू हुआ। ब्र. गणेशलाल जी जैन के अथक प्रयास से मांगी तुंगी एक विरान क्षेत्र से विकसित क्षेत्र मे परिवर्तित हुआ।
शास्त्रों के अनुसार रामायण औऱ महाभारत जैसी घटनाये मांगी तुंगी जैसी पावन क्षेत्र पर भगवान 1008 मुनिसुव्रत के शासन काल मे घटित हुई इसीलिए आचार्य श्री श्रेयांस सागर जी औऱ ब्र. गणेश लाल जी का सपना था कि पहाड़ पर मुनि सुव्रत नाथ जी कि 108 फीट कि प्रतिमा बने, जिसका शिलान्यास P.U. Jain एवं निर्मल कुमार जी के हाथो से हुआ था। लेकिन किन्ही कारणों से उनका वो सपना मूर्त रूप नही ले पाया और 1992 मे महाराज श्री कि समाधि हो गई। फिर 1996 मे पंच कल्याणक के समय 108 आचार्य रयण सागर जी महाराज एवं आर्यिका रत्न श्रेयांस मति माताजी के सानिध्य मे ज्ञानमति माताजी को प्रस्ताव रखा गया। ज्ञानमति माताजी ने सलाह दी कि भगवान बाहुबली कि सबसे बडी प्रतिमा श्रवणबेलगोला मे है तो उनके पिताजी कि उससे बडी प्रतिमा बने। सभी कि सहमति से मूर्ति निर्माण कि बाघडोर माताजी ने अपने हाथ मे ली ले कि न श्रेयांस सागर महाराज जी का सपना सपना ही रह गया।