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🌏 आज की प्रेरणा 🌏प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण
प्रस्तुति - अमृतवाणी
संप्रसारण - संस्कार चैनल के माध्यम से --
आर्हत वाड्मय में कहा गया है - किए हुए कर्मों को भोगे बिना छुटकारा नहीं मिलता | शुभ व अशुभ दोनों कर्मों को भोगना पड़ता है | तपस्या के द्वारा कर्मों का निर्जरण होने से ही छुटकारा मिल सकता है | आत्मा ही कर्ता आत्मा ही विकर्ता व आत्मा ही सुख और दुःख दोनों को पैदा करने वाली | भारतीय दर्शन में व खासकर जैन दर्शन के पन्नवणा सूत्र में इस का विस्तार से वर्णन मिलता है आठ कर्मों के आधार पर जीवन की व्याख्या की जा सकती हैं | सुख-दुःख, स्वस्थता-अस्वस्थता, विद्वत्ता-अविद्वता, विघ्न-निर्विघ्न इन सबका आधार है - कर्मवाद | पूण्य के योग से पद व प्रतिष्ठा प्राप्त होती है | स्वस्थ रहना सात वेदनीय व बीमार पड़ना असात वेदनीय के कारण होते है | करुणाशील सात वेदनीय व अकरुणाशील असात वेदनीय का बंध कर लेता है | व्यवहार की भाषा में जैसी करणी वैसी भरणी | तो हमें अपने जीवन में किसी का भी बुरा नहीं करना चाहिए | कल्याण का व अच्छे कार्य करने से पुन्य का बंध तो हो सकता है पर पुन्य की भी कामना नहीं करनी चाहिए | हम सदा मोक्ष की कामना करें यह काम्य है |
दिनांक - ११ मार्च २०१६, शुक्रवार
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।। दिल्ली: आध्यात्मिक मिलन ।।
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नेमानंदन पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी के पावन सान्निध्य से पावन झलकियाँ। गुरुदेव का प्रवास आज हासीमारा। 11.03.2016
प्रस्तुति > तेरापंथ मीडिया सेंटर
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★ गुरुवर की अमृत वाणी ★
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