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❖ बताते हैं कि जब मधुबन मे धर्मशाला नहीं थी तब यात्रा यहां से प्रारंभ होती थी.. सम्मेदशिखर से 11 किमी पर पालगंज स्थित भगवान पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर:) #ShikharJi #SammedShikhar #Parasbaba #Madhuvan #Palganj
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जब आदर्शमती माता जी ने Accident से घायल हुए कुत्ते को नमोकार सुनाया.. ❖ #आदर्शमती #LoveAnimal #SaveAnimal #LiveLetLive #Ahinsa
@ इंदौर आचार्य विद्या सागरजी महाराज की शिष्या आर्यिका आदर्शमती माताजी और दूसरी आर्यिका सुबह निहार हेतु जंगल जा रही थी उस समय किसी अज्ञात वाहन ने एक कुत्ते को टक्कर मार दी कुत्ता के पिछले हिस्से को लकवा हो गया और पीछे वाली टाँग ठूठ गयी, कुत्ता अचेत पड़ा हुआ था कोई भी हलचल नहीं हो रही थी माताजी ने और सभी आर्यिका ने अपने मुख से णमोकार मन्त्र सुनाया कुत्ते को, इसका यह असर देखने को मिला की कुत्ते में जान सी आ गयी और वह हलचल करने लगा। अभी कुत्ते का इलाज चल रहा हैं तिलकनगर में। और वह जल्द ही अच्छा हो जायेगा।:)
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जैन धर्म के चारों अनुयोगों को किस प्रकार एक उदाहरण के माध्यम से मुनि श्री क्षमा सागर जी ने बताया है:- #जरूर_पढ़े और #शेयर भी करे
एक माँ अपने छोटे से बच्चे को लेकर बाजार गई, बच्चा रास्ते में गिरा और ज़ोर से रोने लगा | वह माँ उसको चुप करने के लिये क्या उपाय करती है ==
*पहला उपाय* - माँ कहती है की जब दीदी गिरी थी वो तो नहीं रोई, फिर तू क्यों रोता है, चुप हो जाओ - अतार्थ आचार्य भगवंत हमसे कहते हैं कि पूर्व में जो महापुरुष हुए हैं उनको भी उनके कर्म के उदय मैं कैसी कैसी विपत्तियां आईं वह तो अपने धर्म से विचलित नहीं हुए | इसलिए आचार्य भगवंत हमे समझाते हैं तुम क्यों विचलित होते हो, उनकी तरह तुम भी धर्म में लगो और पाप से बचो | *ये प्रथमानुयोग की पद्धत्ति है*|
*दूसरा उपाय* - माँ कहती है कि सुबह दीदी से झगड़ा किया था इसलिए तुम्हे लगी! अतार्थ आचार्य भगवंत हमें समझाते हैं कि जैसे पूर्व में परिणाम किये थे अब उसका फल भी भोगो | ये *करणानियोग की पद्धत्ति है* आचार्य भगवंत हमें बताते हैं कि अपने परिणाम सम्हालो इन्ही के सम्हालने से प्राणी अपना कल्याण कर सकता है |
*तीसरा उपाय* - माँ कहती है देख कर तो चलते नहीं हो अब गिर गये तो रोते हो - अतार्थ आचार्य भगवंत हमें समझाते है कि बाह्य आचरण को सम्हालो अतार्थ व्रत, नियम, संयम, तप आदि एवं अंतरंग में वीतराग भाव धारण करोगे तो तुम्हारा कल्याण होगा ये *चरणानियोग की पद्धत्ति है*
*चौथा उपाय* - माँ बच्चे को गोद में लेती है और कहती है वो तो घोड़ा गिरा था तू तो मेरा राजा बेटा है तुझे थोड़े ही चोट लगती है अतार्थ आचार्य भगवंत हमें समझाते हैं कि कहाँ तुम इस देह में आपा मान रहे हो वो तो पर्याय हैं | इन पर्याय में हर्ष विषाद नहीं करना चाहिए मुझे तो अपना स्व-भाव् देखना चाहिए! *ये द्रव्यानुयोग की पद्धत्ति है*|
इस तरह हम किसी भी अनुयोग के माध्यम से अपने दुःख को दूर करने का एवं अपने जीवन को अच्छा बना सकते हैं!
*== मुनि श्री #क्षमासागर जी महाराज के प्रवचनों से ==*
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