Update
📢 *गुवाहाटी: राष्ट्रिय संस्कार निर्माण शिविर*
शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी के पावन सान्निध्य से आज की नयनाभिराम झलकियां।
10.10.2016
प्रस्तुति > *तेरापंथ मीडिया सेंटर*
Downloadⓣⓜⓒapp ➡"https:/play.google.com/store/apps/details?id=com.tmc.news"
Source: © Facebook
🔯 गुरुवचनों को अपनाये - जीवन सफल बनायें 🔯
#Acharyamahashraman #quotes #Tmc #suvichar #Thoughtoftheday
Source: © Facebook
News in Hindi
🔯 गुरुवचनों को अपनाये - जीवन सफल बनायें 🔯
#Acharyamahashraman #quotes #Tmc #suvichar #Thoughtoftheday
Source: © Facebook
🌏 आज की प्रेरणा 🌎
प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण
प्रस्तुति - अमृतवाणी 📺
संप्रसारण - संस्कार चैनल के माध्यम से:-
आर्हत वाड्मय में कहा गया है - अनुशासन एक उपाय है | आत्मा पर भी अनुशासन अपेक्षित है व दूसरों पर भी| पहले आत्मानुशासन फिर परानुशासन | जो अच्छा शिष्य नहीं वह अच्छा गुरु भी नहीं बन सकता | अनुशासन हर क्षेत्र के लिए जरूरी है चाहे वह राजनीति का क्षेत्र हो, चाहे संस्था,समाज या परिवार का या फिर आत्मा का | संस्कृत में कहा गया है - जिस राष्ट्र में सारे नेता बन जायें व जो पंडित नहीं हैं वे भी स्वयं को पंडित समझने लगे वह राष्ट्र दुखी हो जाता है | चाहे राजतंत्र हो चाहे लोकतंत्र अनुशासन सबमें जरूरी है | न्यायपालिका और कार्यपालिका दोनों का महत्व होता है | दंड व्यवस्था अनुशासन को सुदृढ़ बनाने वाली होती है | दोषी को दंड न देना भी अनुशासन का भंग है व निर्दोष को दंडित करना भी पाप | धर्म संघ में भी अनुशासन निर्मल और सुदृढ़ होना चाहिए व सामुदायिक जीवन में भी चिंतनपूर्वक निर्णय व उसकी क्रियान्विति होनी चाहिए |
दिनांक - १० अक्टूबर २०१६,सोमवार
🌏 आज की प्रेरणा 🌎
प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण
प्रस्तुति - अमृतवाणी 📺
संप्रसारण - संस्कार चैनल के माध्यम से:-
आर्हत वाड्मय में कहा गया है - अनुशासन एक उपाय है | आत्मा पर भी अनुशासन अपेक्षित है व दूसरों पर भी| पहले आत्मानुशासन फिर परानुशासन | जो अच्छा शिष्य नहीं वह अच्छा गुरु भी नहीं बन सकता | अनुशासन हर क्षेत्र के लिए जरूरी है चाहे वह राजनीति का क्षेत्र हो, चाहे संस्था,समाज या परिवार का या फिर आत्मा का | संस्कृत में कहा गया है - जिस राष्ट्र में सारे नेता बन जायें व जो पंडित नहीं हैं वे भी स्वयं को पंडित समझने लगे वह राष्ट्र दुखी हो जाता है | चाहे राजतंत्र हो चाहे लोकतंत्र अनुशासन सबमें जरूरी है | न्यायपालिका और कार्यपालिका दोनों का महत्व होता है | दंड व्यवस्था अनुशासन को सुदृढ़ बनाने वाली होती है | दोषी को दंड न देना भी अनुशासन का भंग है व निर्दोष को दंडित करना भी पाप | धर्म संघ में भी अनुशासन निर्मल और सुदृढ़ होना चाहिए व सामुदायिक जीवन में भी चिंतनपूर्वक निर्णय व उसकी क्रियान्विति होनी चाहिए |
दिनांक - १० अक्टूबर २०१६,सोमवार
🙏 जय जिनेन्द्र सा 🙏
दिनांक- 10-10-2016
तिथि: -आसोज सुदी नवमी(९)
सोमवार का त्याग/पचखाण
1>आज मंचूरियन खाने का त्याग।
जय जिनेन्द्र
प्रतिदिन जो त्याग करवाया जाता हैं सभी से निवेदन है की आप स्वेच्छा से त्याग आवश्य करे। छोटे छोटे त्याग करके भी हम मोक्ष मार्ग की आराधना कर सकते हैं। त्याग अपने आप में आध्यात्म का मार्ग हैं।
•••••••••••••••••••••••••
🙏तेरापंथ मीडिया सेंटर🙏
तेरापंथ धर्म संघ के समाचारों को देखने के लिए नीचे दिए लिंक पर लाइक करे 👇👇👇👇
https://m.facebook.com/TerapanthCenter
••••••••••••••••••••••••••