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This man was burning all his money and then Watch what happened... #Diwali
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आज आचार्य श्री जी के साथ संघ के सभी मुनिराजों का उपवास है। #AcharyaShri #AcharyaVidyasagar
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जय जिनेन्द्र!
दीपावली पर्व के पावन अवसर पर हम 108 मुनिवर क्षमासागरजी महाराज द्वारा दिए गए प्रवचनों का सारांश रूप प्रस्तुत कर रहे है.
कार्तिक कृष्णा अमावस्या तिथि को दीपावली वाले दिन दो महत्वपूर्ण घटनाएं हुई थीं:
1. प्रातः काल की बेला में भगवान महावीर का निर्वाण हुआ और
2. सायंकाल में गणधर भगवान को केवलज्ञान की प्राप्ति हुई ।
अतः दीपावली आत्म कल्याण और लोक कल्याण का भी पर्व है। साथ साथ ये पर्व रोशनी और अन्तरंग और बहिरंग दोनों की स्वच्छता का भी प्रतीक है।
इस दिन महावीर संवत की शुरुआत हुई थी, जो कि वीर संवत या जैन नया वर्ष के नाम से भी जाना जाता है जो कार्तिक सुदी एकम को प्रारंभ हुआ था। आगामी वर्ष वीर संवत 2543 के नाम से जाना जाएगाजो नवम्बर 2016 में शुरू होगा। अतः जैन कैलेंडर पाश्चात्य कैलेंडर से 527 वर्ष पहले ही शुरू हो गया था । हमें इस बात का गर्व होना चाहिए कि 599 BC में, महावीर भगवान् का जन्म भारतीय इतिहासकी प्रथम अभिलिखित घटना है।
प्रातः काल में भगवान महावीर के निर्वाण होने के कारण पूजन करके निर्वाण लाडू चढ़ाते हैं, और शाम को गौतम गणधर स्वामी को केवलज्ञान प्राप्ति के उल्लास में दिये जलाते हैं। इस दिन हम सभी अपनेघर में रंगोली बनाते हैं, सफाई करके विभिन्न तरीकों से घर सजाते हैं और मिठाई बनाते है। इस प्रकार सभी अपने अपने तरीके से दीपावली का महापर्व ख़ुशी से मनाते हैं।
परन्तु हमारे आसपास ही कई लोग ऐसे भी हैं जिन्हें इस दिन भी भोजन नहीं मिल पाता, वे जहाँ रहते हैं वहां रोशनी की भी व्यवस्था नहीं हो पाती, पहनने के लिए तन पर कपड़े भी नहीं होते। हमें उन लोगोंके भी बारे में सोचकर उनके लिए भी ये दिन रोशनी से भर देना चाहिए। इस वर्ष हम दीपावली कुछ नए तरीके से मनाने का सोच सकते हैं, जहाँ हम दूसरों के जीवन को भी उत्सव बना दें ।
· हम उनके लिए इस दिन मिठाई लेके जा सकते हैं, और
· उनकी झोपड़ी का अँधेरा दूर करने लिए वहां दीपक जलाकर रख सकते हैं।
· दीवाली पर सर्दी की रात में ठण्ड में ठिठुरते लोगों पर कम्बल ढक सकते हैं।
· अनाथ बच्चों को मिठाई, कपडे और खिलोने उपहार में दे सकते हैं ।
· उनके साथ थोड़ा समय व्यतीत करके उन्हें आत्मीयता और ख़ुशी का अनमोल अहसास दे सकते हैं।
हमें इस पावन दिन पर अपने और सबके जीवन को प्रेम से भरकर उज्जवल बनाने का सोचना चाहिए ।
आधुनिकता और आडम्बर के इस दौर में कई लोग दीपावली पर पटाखे भी चलाते हैं । दीपावली, चूंकि भगवान महावीर का निर्वाण दिवस है, इसीलिए हमें उनके द्वारा प्रतिपादित अहिंसा के सिद्धांत कोध्यान में रखकर ही दीवाली मनानी चाहिए । आतिशबाजी और पटाखे चलाना अहिंसा के विरुद्ध है क्यूंकि इससे अत्यधिक जीव हिंसा होती है । ये प्रक्रिया अपरिग्रह के सिद्धांत के भी विरूद्ध है, क्यूँकि इसमेंक्षणिक आनंद के लिए पटाखों पर कितना ही पैसा बर्बाद कर दिया जाता है, जो किसी जरूरतमंद व्यक्ति के जीवन में रोशनी ला सकता है। हमें स्वयं ऐसी परंपरा का त्याग करना चाहिए और अपने आगेकी पीढ़ी को भी इस हिंसात्मक कृत्य से बचाना चाहिए।
अगर हम स्वस्थ और पर्यावरण के प्रति एक संवेदनशील उत्सव मनाना चाहते हैं तो हमें निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए:
1. पटाखों द्वारा प्रदूषण: पटाखों के विषैले धुएँ से वातावरण प्रदूषित होता है और अनेक जीवों की हिंसा होती है। ध्वनि प्रदूषण से कितने ही कीड़े मकोड़े और छोटी चिड़िया आदि प्रभावित होते हैं।
2. अत्यधिक उपभोक्तावाद: ज्यादातर लोग दिवाली पर खरीदारी करने में विश्वास रखते हैं, जिससे प्रकृति पर अप्रत्यक्ष रूप से, लेकिन गहरा प्रभाव पड़ता है। जो भी चीजें हम इस्तेमाल करते हैं वेप्रकृति के अनवीकरणीय संसाधन (non renewable resource) से प्राप्त होती हैं, जिससे प्रकृति के इन अमूल्य संसाधनों का ह्रास हो रहा है। फिर जो प्लास्टिक आदि बेकार कचरा बच जाता है और इधरउधर फेक दिया जाता है, वह भी बहुत नुकसानदायक है।
3. बिजली की बर्बादी: इन दिनों लोग सजावट आदि करते हैं, व्यापारी अपनी दुकानों में बहुत रौशनी इत्यादि करते हैं, जिससे बिजली की मांग बहुत बढ़ जाती है और बिजली की बर्बादी भी होती है पुरानेसमय की दिए जलने की परंपरा इस आडम्बर से भिन्न एवं स्वस्थ परंपरा है जिसे हम अपना सकते हैं।
दीपावली के दिन हमें अपने अन्तरंग की बुराईओं को मिटाकर प्राणी मात्र के प्रति करुणा का भाव रखना चाहिए। इस दिन हम दीपक जलाते हैं तो विश्वास के दीपक जलाएं, पूजा करते हैं तो आस्था की पूजाकरें, अपने घर की सजावट करते हैं तो सदभावना की सजावट करें, गुणधानी अगर बाँटते हैं तो स्नेह की गुणधानी बाँटें, अनार चलाते हैं तो आशाओं के चलाएं, बंदनवार बाँधें, तो ज्ञान की बंदनवार बाँधें,द्वार अगर सजाएं तो विनय से सजाएं, पटाखे प्रसन्नता के फोड़े, फुलझड़ी प्रेम की चलायें, कलश रखें तो परम्पराओं के रखें जिनपर श्रीफल संकल्प का हो और उस पर नैतिकता का स्वस्तिक बनाएं तोवास्तव में हम मुक्ति की आराधना कर सकते हैं और अपनी दीपावली सार्थक कर सकते हैं।
A Special THANK to our 2005 awardee from Noida for drafting these pravchans!
Warm Regards,
MAITREE SAMOOH
Post Box No. 15,
Vidisha, Madhya Pradesh-464001, India
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News in Hindi
*गुरुवर के प्रवचन धनतेरस के अवसर पर #AcharyaShri #AcharyaVidyasagar
धन्य तेरस पर्व पर आयोजित विशेष प्रवचन में पूज्य आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज ने कहा कि आज जो त्यौहार है वो दान की प्रेरणा देने वाला है। दान श्रावक का प्रमुख धर्म कहा गया है, दान देने और दान की अनुमोदना से ही कर्मों की निर्जरा होती है परंतु दान वो ही सार्थक होता है जो बोलने के बाद समय से पहले दे दिया जाय। दान के मामले में ग्रामीण अंचल के श्रावक हमेशा आगे रहते हैं और कालान्तर में शहर में रहने के बाद भी उनमें ये प्रवत्ति बनी रहती है।
उन्होंने कहा कि मैं जब भोपाल में पंचकल्याणक के लिए आया था तो सबने मिलकर खूब धर्म प्रभाबना की थी और दान भी बढ़ चढ़कर किया था। दान तो दान होता है जो जीवन को सार्थक बनाता है पुण्योदय में कारण बनता है। धर्म कर्म सब करने के बाद भी यदि मोह नहीं छूटता है तो सब व्यर्थ है। मोह को त्यागकर ही दान के भाव निर्मित हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि बड़े बड़े तालाब और नेहर आपकी प्यास नहीं बुझा पाते परंतु कुँए की छोटी सी झिर आपको पर्याप्त जल उपलब्ध करा देती है इसी प्रकार धर्म के प्रति छोटी सी भावना भी आपको भव्यता प्रदान करने में कारगर सिद्ध होती है। राजधानी बालों की झिर भी छोटी है परंतु भावनाएं प्रबल हैं। आपकी परीक्षा शुरू हो चुकी है अब तो संकल्प के साथ निर्माण में जुट जाएँ एक दिन निर्वाण की प्राप्ति का पुण्य भी जाग्रत होगा। अज्ञान दशा से बाहर निकलना चाहते हो तो ज्ञान का आवरण पहनलो।
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Diwali manate kyo hain akhir hum?? #Diwali
गुरुदेव की Smile:) हथकरघा के कार्यकर्ताओं को विशेष सम्बोधन गुरुवर द्वारा.. #Acharyashri #AcharyaVidyasagar
आप सभी ने जो प्रशिक्षण लिया है अब आप दूसरों को सिखाएं। कुछ लोग स्वतंत्र भी इसे चलाएं तो दूसरों को भी जोड़ें। स्व के साथ पर का विकास भी दृष्टिगत रखना है। इसी प्रकार धाराप्रवाह आप काम करते रहें। अनेक प्रान्त, भाषा और विचारों में हम अपने दायित्व का निर्वाहन ठीक ढंग से अहिंसा धर्म का पालन करते हुए करें। अहिंसक तरीके से बस्त्रों का निर्माण हो सकता है ये आप दुनिया को बता सकते हो। कभी भी नर्वस नहीं होना एक दुसरे के सहयोग से इसे आगे बढ़ाना है। राष्ट्र के प्रति दायित्व भी आप अच्छे से पालन इस माध्यम से कर रहे हो। इस बीच कार्यकर्त्ता ने पुछा की कई बार मायूसी आती है तब गुरुवर ने कहा की अभ्यास करते करते ही अभ्यस्त हो सकते हैं। शुरुआत में ये काम भले ही सीमित लगे परंतु बिना अहिंसा के पालन के इस काम को बिराट रूप देने से कोई फायदा नहीं है। व्यसनों के कारण दुरूपयोग होता है परंतु आपको सदुपयोग करना है। समूह का अच्छा प्रभाव पड़ता है। जीवन में पराश्रित होकर आनंद नहीं लिया जा सकता स्वाश्रित होकर ही दुर्लभ बस्तु की प्राप्ति हो जाती है। यदि ग्रामों में सामान उपलब्ध कराएँगे तो एक नयी क्रांति आएगी लोग इस काम के प्रति आकर्षित होंगे। इस कार्य के साथ आप परिवार का कार्य भी देखें। पहले प्रशिक्षण को मजवूत बनाओ फिर कार्य को विस्तार दो।
एक कार्यकर्ता ने कहा कि मैं इसे स्वयं प्रारम्भ करना चाहता हूँ तब गुरुवर ने कहा कि पहले कुछ लोग तैयार करो फिर कार्य प्रारम्भ करो सफलता निश्चित मिलेगी। सामूहिक खोलें या व्यक्तिगत खोलें लेकिन दृढ निश्चय करना होगा। तीर्थों पर केंद्र खोलने में आसानी होती है शहर में यदि स्थान सुलभ है तो खोलने का कार्य करना चाहिए। आप कहीं भी इसे स्थापित करें धर्म के अनुसार सिद्धांतों के अनुसार करें। समस्याएं आएँगी परंतु दृढ आत्मशक्ति रखेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी। मुनाफा अनुपात में रखेंगे तो आपुर्ति भी अधिक होगी। आज राष्ट्र को आप सभी युवाओं की जरूरत है इसलिए राष्ट्र के लिए हुनर बाले काम सीखना जरूरी है।
एक कार्यकर्त्ता ने कहा कि मेने उच्च शिक्षा प्राप्त की है लोग कहते हैं ये क्या काम कर रहे हो। गुरुवर ने कहा की कई शिक्षित लोग ऋणी हो गए हैं परंतु आप इस कार्य से अपने हुनर को सिद्ध करके दिखाओ कहने बाले आपको फिर शाबाशी और साधुबाद देंगे। हथकरघा प्रशिक्षण केंद्र के प्रमुख कार्यकर्त्ता इंजीनियर अमित जैन अशोक नगर ने बताया कि देश में अभी गुरुवर की प्रेरणा से 11 केंद्र कायर्रत हैं जिनमें लगभग 450 कार्यकर्ता प्रक्षिक्षण ले रहे हैं जिनमें अधिकतर उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं या कर चुके हैं और शीर्घ ही और केंद्रों का विस्तार भी किया जायेगा।
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