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Easy Understand what is 8 types Karma with examples:) आठ प्रकार की कर्म प्रकृतियों के आठ दृष्टांत दिये हैं - वस्त्र, द्वारपाल, मधुलिप्त तलवार, मदिरा, बेड़ी, चित्रकार, कुम्भकार और भण्डारी।इन आठों के जैसे अपने अपने कार्य करने के भाव होते हैं उसी तरह क्रमशः कर्म प्रकृतियों के स्वभाव हैं।
१) ज्ञानावरण:- जैसे वस्त्र देवता के मुख को आच्छादित करता है, देवता के मुख का अवलोकन नहीं होता है वैसे ही ज्ञानावरण कर्म आत्मा के ज्ञानगुण का आच्छादन करता है - ज्ञान को प्रकट नहीं होने देता।
२) दर्शनावरण:- जैसे द्वारपाल राजा के समीप नहीं जाने देता उसी प्रकार दर्शनावरण कर्म आत्मा रूपी राजा का दर्शन नहीं करने देता।
३:- वेदनीय:- जैसे मधुलिप्त तलवार की धार चाटने से मधुरता का स्वाद और जिह्वा का कटना दोनों होता है उसी प्रकार वेदनीय सुख(साता) का और दुख(असाता) का अनुभव कराती है।
४) मोहनीय:- जैसे मदिरा पीने वाला अपने स्वरूप को भूल जाता है उसी प्रकार मोहनीय कर्म के उदय से प्राणी अपने स्वरूप को भूल जाता है।
५) आयु:- जैसे बेड़ी कैदी को बाँधकर रखती है उसी प्रकार आयु प्राणी को चारों गतियों में रोककर रखता है।
६) नामकर्म:- जिस प्रकार चित्रकार अनेक प्रकार के चित्रों को बनाता है उसी प्रकार नाम कर्म आत्मा के अनेक प्रकार के आकार बनाता है।जैसे मानव, देव, घोड़ा, लट, केंचुआ आदि
७) गोत्र:- जिस प्रकार कुम्भकार छोटे छोटे बर्तन बनाता है उसी प्रकार गोत्र कर्म ऊँच गोत्र और नीच गोत्र में जीव को उत्पन्न करता है।
८) अन्तराय:- जैसे राजा का भण्डारी भण्डार में से दान देने वाले को देने नहीं देता उसी प्रकार अन्तराय कर्म दान, लाभ, भोग, उपभोग में विघ्न डालता है।
इस प्रकार आठ कर्म प्रकृतियों के स्वभाव का दृष्टांत के द्वारा आचार्यों ने समझाया है.
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