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असत्य को जान कर भी उसे छोड़ना यदि अपनी प्रतिष्ठा के विरुद्ध प्रतीत हो, तो समझना चाहिए की हम सत्य के नहीं, स्वार्थ और प्रतिष्ठा के पुजारी हैं। ~ क्षुल्लक ध्यानसागर जी / शिष्य आचार्य विद्यासागर जी #KahullakDhyanSagar #AcharyaVidyasagar
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आचार्य श्री विद्यासागर जी के चरणों में माँगीतुंग़ी से रवींद्रकीर्ति स्वामी जी [ आर्यिका श्री ज्ञानमती माता जी का नमोस्तु लेकर ]:)) #AcharyaVidyaSagar #RavindraKirti #MangiTungi #AryikaGyanMati
आचार्य देव श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के दर्शन करने आज सिद्धक्षेत्र मांगीतुंगी जी से स्वस्ति श्री रवीन्द्र कीर्ति स्वामी जी पधारे, स्वामी जी ने आचार्यश्री ससंघ के दर्शन किए व आर्यिका ज्ञानमति जी ससंघ की तरफ से आचार्यश्री ससंघ को नमोस्तु भी किया* साथ ही आचार्य श्री जी को मांगीतूंगी पधारने का निमंत्रण भी किया।आचार्य भगवन्त ने मुस्कुराते हुए स्वामीजी को आशीर्वाद दिया!!
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कार्य करने से पहले गुण-दोषों काे परखना जरूरी • #आचार्यश्रीविद्यासागर @ #सिलवानी #AcharyaVidyaSagar
पुरुषार्थ और युक्ति को अपनाकर ही कार्य किया जाना चाहिए। योजना बनाकर किया गया कार्य सफलता के सोपान तय करने में सहायक बनता है। बगैर पुरुषार्थ व युक्ति को अपनाकर किए गए कार्य में सफलता मिलना तय नहीं होता है। अतः श्रावक को चाहिए कि वह कार्य शुरू करने से पूर्ण उसके गुण व दोषों को परख ले। यह उपदेश आचार्य विद्यासागर महाराज ने दिए। वह शनिवार को बुधवारा बाजार में आयोजित प्रवचन कार्यक्रम में उपस्थित श्रावकों को संबोधित कर रहे थे। इससे पहले श्रावकों ने संगीत की लय के साथ आचार्य पूजन भक्ति भाव के साथ किया।
आचार्यश्री ने बताया कि रोग में औषधि का सेवन किया जाता है। रोग को देखकर ही चिकित्सक औषधि देता है। कुछ औषधि कड़वी होती है, लेकिन रोग को ठीक करने के लिए सेवन करना आवश्यक होता है। चिकित्सक के बताए अनुसार ही औषधि का सेवन किया गया तो रोग ठीक हो सकता है अन्यथा रोग के ठीक होने की गारंटी चिकित्सक भी नहीं ले पाएगा। आचार्यों, मुनियों के कंठ से श्रद्धा के साथ सुनकर जीवन में अनुशरण करना चाहिए। भगवान की वाणी भी सुनने में कड़वी हो सकती है, लेकिन जीवन रूपी नौका को पार लगाने में सहायक होती है। भोजन करते समय चुप रहना चाहिए
आचार्यश्री ने कहा कि प्राप्त हुई सामग्री को मिल-बांटकर ग्रहण किए जाने की प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, लेकिन आज इसके विपरीत कार्य किया जा रहा है। उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि भोजन करते समय बोलना नहीं चाहिए। मानसिक क्रिया किए जाने के समय भी सावधानी बरतना आवश्यक है। जो श्रावक उपाय को समझकर उपयोग करता है उसका हित सुनिश्चित होता है, लेकिन जो एेसा नहीं करता है, उसका हित सुरक्षित होगा, यह कह पाना या मानना मुश्किल होता है।
उस रास्ते पर चलें, जो मंजिल पर पहुंचाए
आचार्य विद्यासागर महाराज ने कहा कि चौराहे से रास्ता चारों दिशाओं में जाता है, लेकिन उसी रास्ते पर चलना चाहिए जो कि मंजिल तक पहुंचा दे। हालांकि रास्ते अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन मंजिल एक ही होती है। जीवन का रास्ता लंबा-चौड़ा होने के साथ ही ऊबड़-खाबड़ भी होता है। चौराहों पर संकेत लिखे जाते हैं कि कौन सा रास्ता किस तरफ जाएगा, मानव के लिए भी एेसी ही व्यवस्था की गई है। सही रास्ते का चुनाव करने के बाद ही सड़क पर आगे बढ़ना हितकर होता है। मानव को अपने नेक प्रयोजन के लिए नेक रास्ता ही चुनना हितकारी तथा लाभदायक होता है।
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News in Hindi
सावधानी से पकड़ें धर्म का दीपक -मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी #AcharyaVidyaSagar #MuniSudhaSagar
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि सुधासागर जी महाराज ने कहा कि धर्म वह दीपक है जिसे सावधानी से पकड़ो तो प्रकाश ही प्रकाश है और चूक गए तो नाश ही नाश है। वे गुरुवार को यहां संचेती कॉलोनी स्थित महाराजा पैलेस में आयोजित धर्मसभा को सम्बोधित कर रहे थे।उन्होंने कहा कि मेने खूब उपदेश दिए लोगों को खूब समझाया कि जिनवाणी से ही जीवन का उद्धार है। उन्हाेंने पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के अवसर पर चर्चा करते हुए कहा कि जिनवाणी मां की तरफ देखे यह सारी देन उसी की है जो भगवान के पंचकल्याणक का अवसर हाथ में आया है। बिजयनगर के इतिहास में पहली बार ऐसे महान आयोजन का अवसर आया है। उन्होंने कहा कि एक मुनि केवलज्ञान प्राप्त करके मोक्ष प्राप्त करता है तो जिनवाणी मां का रोम-रोम पुलकित हो जाता है। ऐसे समय भी कोई कषाय रख लिया और भगवान का वेलकम नहीं कर पाए तो बाद में पछतावा होगा।
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