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11 साल पहले आज के दिन ही छोटे बाबा / आचार्य विद्यासागर जी सासंघ सनिध्य में बड़े बाबा नए मंदिर में विराजमान हुए थे ओर इत्तेफाँक से आज ही हमारे इस पेज का जन्मदिन भी हैं.. आज के दिन ही ye पेज बनाया गया था!! #AcharyaVidyaSagar #Kundalpur
17 जनवरी 2006 का वह दिन जब छोटे बाबा की दूरदर्शिता के परिणामस्वरूप बड़े बाबाजी पुराने जिनालय से नवीन भव्य जिनालय में विराजित हुए थे।तब पूरा भारतवर्ष साँसे थामे बैठा था और बड़े बाबा के नाम की जाप दे रहा था,सम्पूर्ण संघ जिसमें 100 से अधिक पिच्छीधारी (बाल ब्रह्मचारिणी मुनि-आर्यिकाएँ) सिद्धभूमि कुंडलपुर में विराजित थे,सभी के मन में शँकाए थी कि क्या बड़े बाबाजी नवीन मंदिर में विराजेंगे या..! उसी क्षण एक चमत्कार हुआ,व बड़े बाबा गगन में विहार करते हुए नवीन मंदिर तक आकर उच्चासन पर विराज गए, जिस प्रकार लाखों वर्षों पूर्व अष्टापद से सिद्धशिला पर विराजे थे।
ॐ 卐ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं बड़े बाबा अर्हं नमः
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जिज्ञासा समाधान / मुनिपुंगव री सुधासागर जी महामुनिराज् #MuniSudhasagar #AcharyaVidyasagar
किसी भी ग्रंथ को पढ़ने से पूर्व कोई ना कोई त्याग का नियम लेना ही चाहिए। बिना त्याग के कोई स्वाध्याय का संकल्प नहीं लेना चाहिए।* साथ ही यदि एक ग्रंथ का स्वाध्याय करना प्रारंभ कर दिया है, तो उसे पूर्ण करके ही दूसरे ग्रन्थ का स्वाध्याय शुरू करना चाहिए।
🔺 *किसी मजबूरी में डोली से बंदना करने का कोई निषेध नहीं है। ढोली में बैठने पर किंचित मात्र भी पाप नहीं है, क्योंकि इससे कहारों की रोजी रोटी चलती है।* अतः डोली में बैठकर हम उन पर एक प्रकार से उपकार ही कर रहे है।
🔺 *थैलियों में कभी कोई खाद्य सामग्री नहीं फेंकनी चाहिए। यह एक बहुत बड़ा पाप है, क्योंकि ये पॉलीथिन गायों की आंतो से चिपक जाती है, जिससे गाय की मौत तक हो जाती है।* जो जैनी पालीथिन में कचरा फेंक रहा है, वह गाय का हत्यारा है उसे हत्या का दोष लगेगा ही लगेगा।
🔺 आज लोग गुरु को तो मानते हैं, परंतु गुरु की नहीं मानते। *गुरु, मां-बाप और जिनवाणी के सामने कभी तर्क नहीं करना चाहिए।*
🔺 *डॉक्टर के हाथों यदि मरीज की मृत्यु भी हो जाए, तो डॉक्टर को कोई दोष नहीं है, क्योंकि उसका अभिप्राय मरीज को बचाने का होता है।* परंतु यदि डॉक्टर मरीज को बचाने में लापरवाही करता है, तो ऐसा डॉक्टर नियम से पापी है और उसे नर्क में ही जाना पड़ेगा।
🔺 *मंदिर में शिखर का बड़ा महत्व होता है। यह पिरामिडाकार होने के साथ उर्जा का स्त्रोत होता है। शिखर के कलश की नोक में इतनी ताकत होती है, कि वह पूरे ब्रह्मांड की पावर को एकत्रित करके गर्भ ग्रह में पहुंचा देती है।* दूसरा शिखर इसलिए भी बनाया जाता है, जिससे दूर से ही मंदिर का पता लग जाए और जैन धर्म की प्रभावना हो।
घरों में चैत्यालय आदि जो बनाए जाते हैं वह निजी उपयोग के लिए होते हैं अतः उनपर पर शिखर नहीं बनाई जाती।
🔺 *तीर्थ क्षेत्रों को उनके नाम से ही पुकारा चाहिए।।क्योंकि इससे एक तो क्षेत्र की प्रसिद्धि होती है दूसरा पवित्र नाम निकलने से जिव्हा भी पवित्र हो जाती है। जैसे ज्ञानोदय, सुदर्शनोदय आदि।*
🔺 *बच्चों को मां बाप के अनुसार ही ढलना चाहिए, क्योंकि मां बाप जो भी करते हैं वह बच्चों की भलाई के लिए ही होता है।* जो बच्चे माँ बाप को अपने अनुसार ढालने का प्रयास करते हैं, उनका भला नही हो सकता।
🔺 *आगम की कसौटी पर जो खरी उतरे वही परंपरा ग्रहण करने योग्य है। और जो परंपरा आगम से मेल न खाए, ऐसी परंपरा को यदि गुरु भी मानने को कहे तो स्वीकार नहीं करनी चाहिए।* वर्तमान में इतनी गलत परंपराएं और रूढ़ियां चलती हैं जिनके कारण हमारा सम्यग्दर्शन नष्ट हो रहा है। ऐसी परंपराओं को मानना गलत है। नहीं माननी चाहिये।
🔺 *मनुष्य ढाई द्वीप के बाहर जा ही नहीं सकता, क्योंकि उसकी योग्यता का अभाव है। अतः नंदीश्वर द्वीप में मनुष्य नहीं जा सकता।*
🔺 *अपने नाम के साथ दान करने में कोई बाधा नहीं है, क्योंकि इससे और लोग भी दान करने के लिए प्रेरित होते हैं।* दान की छपी हुई रसीद से मंदिर के हिसाब-किताब की भी सुरक्षा होती है, एवं घर में पुरानी रसीद आदि मिलने से आने वाली पीढ़ियां भी उत्साहित होती हैं।
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_*नोट*- पूज्य गुरुदेव जिज्ञासाओं को समाधान बहुत डिटेल में देते हैं। हम यहाँ मात्र उसका सार ही देते हैं। किसी को किसी सम्बंध में कोई शंका हो तो कृपया सुधाकलश app या youtube पर आज का वीडियो देख कर अपना समाधान कर सकते हैं। *किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं।*_
_*📺पूज्य गुरुदेव का जिज्ञासा समाधान कार्यक्रम प्रतिदिन लाइव देखिये - जिनवाणी चैनल पर*_
_*👉🏻सायं 6 बजे से, पुनः प्रसारण अगले दिन दोपहर 2 बजे से*_
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संकलन
*🏵दिलीप जैन, शिवपुरी 🏵*
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