Update
👉 टी दासरहल्ली (बैंगलोर) - मंगल-भावना समारोह आयोजित
👉 आक्या (म.प्र.) - साइंस ऑफ लिविंग र्कायशाला का आयोजन
👉 हैदराबाद - संथारा प्रवर्धमान
👉 केसिंगा - आध्यत्मिक मिलन समारोह
👉 रायपुर - ज्ञानशाला ज्ञानार्थियों का पिकनिक आयोजन
👉 सिलीगुड़ी - एयरपोर्ट निर्देशक से नशा मुक्ति संकल्प पत्र भरवाते हुए
👉 नागपुर - शिक्षाविद, साहित्यकार प्रवीण भाटिया मुनि श्री के दर्शनार्थ
प्रस्तुति: 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद*🌻
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Update
👉 वापी - कलेक्ट एंड डोनेट कार्यक्रम आयोजित
👉 विजयनगर (बैंगलोर) - जैन संस्कार विधि से जन्मोत्सव एवं सेवा कार्य
👉 सूरत - प्रेक्षाध्यान कार्यशाला का आयोजन
👉 उत्तर हावड़ा (कोलकत्ता) - दिव्यांगों के सहायतार्थ कार्य
👉 तिरुकोइलुर - विलिपुरम महिला मंडल का गठन व शपथ ग्रहण समारोह
👉 कांदिवली (मुम्बई) - उपासक प्रवेश परीक्षा का आयोजन
प्रस्तुति: 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद*🌻
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
💢⭕💢⭕💢⭕💢⭕💢⭕💢
आचार्य तुलसी की कृति...'श्रावक संबोध'
📕अपर भाग📕
📝श्रृंखला -- 194📝
(लावणी)
*40.*
खाना-पीना सोना-जगना संयत हो,
अणुव्रत-आचार-संहिता जीवन-व्रत हो।
प्रेक्षा-प्रयोग के झूले में नित झूलें,
अनुप्रेक्षा सहिष्णुता की कभी न भूलें।।
*अर्थ--* श्रावक का खान-पान और शयन-जागरण संयत रहे। अणुव्रत की आचार-संहिता उनका जीवन-व्रत बने। वे निरन्तर प्रेक्षाध्यान के झूले में झूलते रहें और सहिष्णुता की अनुप्रेक्षा को कभी भूलें नहीं।
*भाष्य--* *'आयारो'* का एक सूक्त है-- *'अण्णहा णं पासए परिहरेज्जा'*। इसका भावार्थ है-- द्रष्टा का हर व्यवहार आम आदमी से भिन्न हो, विशिष्ट हो। श्रावक एक मनुष्य है, पर अन्य मनुष्यों की तुलना में उसका जीवन कुछ विलक्षण हो, यह आवश्यक है। यह विलक्षणता उसकी आध्यात्मिक चर्या में तो प्रतिबिंबित रहे ही, लौकिक चर्या में भी उसका आभास मिले, यह लक्ष्य रहना चाहिए। खाना-पीना, सोना-जगना, पहनना-ओढ़ना, घूमना-फिरना आदि मनुष्य की दैनिक चर्या के मुख्य अंग हैं। बढ़ती हुई आकांक्षाओं, विलासिताओं और सुविधावादी मनोवृत्ति ने मनुष्य को वस्तु का मुक्त भोग करने का अवसर दिया है। ग्रन्थकार (आचार्य श्री तुलसी) की दृष्टि से स्वस्थ जीवन के लिए उन्मुक्त भोग का मार्ग प्रशस्त नहीं है। व्यक्ति की छोटी-से-छोटी प्रवृत्ति पर संयम का अंकुश हो, यह एक उदात्त दृष्टिकोण है। इसी के आधार पर खान-पान आदि के साथ संयम की बात जोड़ी गई है।
संयम अणुव्रत की बुनियाद है। *'संयमः खलु जीवनम्'* -- यह अणुव्रत का घोष है। *'निज पर शासन: फिर अनुशासन'* -- यह अणुव्रत का तन्त्र है। अणुबम का युग है। अणु का मुकाबला कोई विराट् नहीं कर सकता। अणु ही अणु का विखण्डन कर सकता है। अणुव्रत की आचार संहिता युगीन समस्याओं का अमोघ समाधान है। श्रावक महाव्रती नहीं बन सकता। भगवान महावीर ने उसके लिए अणुव्रत या आगारधर्म की व्यवस्था दी। वह एक माॅडल है। उसके अनुसार जीवन बने, यह श्रावक का निश्चित उद्देश्य हो।
*अणुव्रत की आचार संहिता सामने आ गई। अणुव्रत स्वीकार कर लिए। फिर भी मनुष्य का जीवन नहीं बदला, व्यवहार नहीं बदला। क्यों? अणुव्रती बनने के बाद व्यक्ति का जीवन कैसे बदले?* जानने-समझने के लिए पढ़ें... हमारी अगली पोस्ट... क्रमशः कल।
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
💢⭕💢⭕💢⭕💢⭕💢⭕💢
👉 पूज्य प्रवर का आज का लगभग 14 किमी का विहार
👉 आज का प्रवास - घोस्काडांगा
👉 आज के विहार के दृश्य
दिनांक - 17/01/2017
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
प्रस्तुति - 🌻 तेरापंथ संघ संवाद 🌻
Source: © Facebook
👉 पूज्यवर का प्रेरणा पाथेय
👉 श्रेयस्कर आचरण के माध्यम से आदमी आत्मोथान की दिशा में आगे बढ़ सकता है- आचार्य श्री महाश्रमण
👉 पुंडीबारी से पूज्यवर के आज के प्रवचन के अंश
दिनांक - 16 जनवरी 2017
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
प्रस्तुति - 🌻 तेरापंथ संघ संवाद 🌻
Source: © Facebook
News in Hindi
Source: © Facebook