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✿ महावीर स्वामी बसों नयन मेरे, तेरा वंदन काटे भव-बंधन मेरे ✿ PICTURE @ Bhagwan Mahavira Swami, Ahinsa Sthal, New Delhi [ Kshullak Sri Dhyansagar JI darshan karte hue -Shishay Ach. Sri Vidyasagar Ji ]
तू त्रिशला की गोद से जन्म था स्वामी, जियो और जीने दो, सबको बताने!
तू अहिंसा का पुजारी, वात्सल्य जगाता, सब जीवो को एक सामान बताता!
तेरी वाणी से कितने तर गए हे स्वामी, तेरे दिव्यवाणी है मोक्ष नसैनी!
मोक्ष मार्ग नेता महावीर स्वामी, आपको ह्रदय में रख मैं नमामि!
तेरस से तेरा जीवन धन्य हुआ है, चतुर्दशी को ब्रम्ह में लीन भया है!
अमावस्या की प्रातः बेला में स्वामी, तू हो गया सिद्ध-शिला का निवासी!
संध्याकाल में गौतम गणधर ने पाया, केवलज्ञान से अंतर को जगाया!
वीतरागता का मैं कायल हुआ हूँ, तेरी इस छवि का दीवाना हुआ हूँ!
जियो और जीने दो सबको बताया, प्रकट में गाय-सिंह एक घाट पर आया!
रत्ना-त्रय को मोक्ष मार्ग बताया, अनेकान्तवाद से वैष्म्यता का अंत कराया!
तेरे गुण जन्मान्तर मैं गाता रहूँगा, मोक्ष-मार्ग शिल्पी का मार्ग अपनाता रहूँगा!
मोक्ष परम पद पाने को महावीर स्वामी, तेरे चरणों में शीश झुकता रहूँगा...
....आचरण प्रतिक चरण नमाता रहूँगा...नमाता रहूँगा...नमाता रहूँगा!
*Composition written by: Nipun Jain:)
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News in Hindi
Be an Anekäntvädi*: 1) Do not insist on your own approach, 2) Accept partial truth as expressed by others, 3) Accept the truth even if it is expressed by adversaries, 4) Accept that the truth can consist of seemingly opposing views, 5) Develop a strong urge to seek truth, 6) Believe in possibilities and 7) Exercise equanimity towards all. *Anekantavadi: The Person who follows the concept of Anekantavada is called Anekantavadi.
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