Update
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*श्रावक सन्देशिका*
👉 पूज्यवर के इंगितानुसार श्रावक सन्देशिका पुस्तक का सिलसिलेवार प्रसारण
👉 श्रृंखला - 9 - चुनाव
*संविधान संशोधन* क्रमशः हमारे अगले पोस्ट में....।
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🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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👉 पूज्यवर का प्रेरणा पाथेय..
👉 बागडोगरा से पूज्यवर के प्रवचन के अंश
👉 भाषा के दोषों और गुणों को जानकर दोषों का परिवर्जन करना चाहिए - आचार्य महाश्रमण
दिनांक - 12 फरवरी 2017
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👉 लाडनूं: साध्वी वृन्द का "स्वागत समारोह" एवं चाकरी-"दायित्व हस्तांतरण" का कार्यक्रम आयोजित
👉 सेलम - अभातेमम अध्यक्षा की टीम के साथ संगठन यात्रा
👉 सेलम - स्कूल में सुविधागृह का उद्घाटन
👉 बारडोली - जैन संस्कार विधि के बढ़ते चरण
👉 नीमच - कनावटी,ज्ञानोदय नर्सिंग इंस्टिट्यूट में साइंस ऑफ़ लीविंग वर्कशॉप
👉 बोरीवली - चोगले स्कूल में जीवन विज्ञान कार्यशाला का आयोजन
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Update
👉 पूज्य प्रवर का प्रवास स्थल - धुलाबारी में..
👉 गुरुदेव मंगल उद्बोधन प्रदान करते हुए..
👉 आज के मुख्य प्रवचन के कुछ विशेष दृश्य..
दिनांक - 16/02/2017
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News in Hindi
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आचार्य तुलसी की कृति...'श्रावक संबोध'
📕अपर भाग📕
📝श्रृंखला -- 217📝
*तेरापंथी श्रावक*
लय... वन्दना आनन्द...
*65.*
संघ ऐक्य अखंडता के परम पोषक जो रहे,
संघ-सेवा-वाहिनी में प्राणपण से जो बहे।
केसरी-सा वीर *'केसर'* सर्वदा स्मरणीय है,
दक्षता *'बादर' 'दुलह'* की सतत अनुकरणीय है।।
*अर्थ--* तेरापंथ में ऐसे श्रावक हुए हैं, जिन्होंने संघ की एकता और अखंडता को उत्कृष्ट पोषण दिया, जो अपने प्राणों की कीमत पर संघसेवा की सरिता में बहते रहे। उनमें केशरी सिंह जैसे वीर *केसरजी भंडारी* का नाम सदा स्मरणीय है। *बादरमलजी भंडारी* और *दूलीचंदजी दुगड़* का कौशल भी सबके लिए सतत अनुकरणीय है।
*भाष्य*
*केसरसिंहजी भंडारी*
प्रसिद्ध श्रावक केसरजी का जन्म कपासन निवासी देवराजजी भंडारी के घर में हुआ। वे 'कपासन' को छोड़ उदयपुर जाकर बस गए। वे तात्कालीन महाराणा भीमसिंह के विशेष कृपापात्र तथा विश्वसनीय व्यक्तियों में एक थे। महाराणा ने उन को समय-समय पर अनेक कार्यों में नियुक्त किया। अनेक वर्षों तक उन्होंने राज्य के कर-अधिकारी के रुप में काम किया। उनकी प्रामाणिकता और श्रमशीलता से प्रसन्न होकर महाराणा ने उनको जागीर के रूप में जवासिया, आकल्या, अलसीपुरा और लोधडियाना - ये चार गांव दे दिए। उसके बाद वे वर्षों तक अंतःपुर के कार्याधिकारी बन कर रहे। कालांतर में उनको राज्य के सर्वोच्च न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। इन सब कार्यों में उन्हें महाराणा की निकटता प्राप्त हुई। वे उनको अपने पारिवारिकजनों की तरह मानने लगे।
केसर जी आचार्य भिक्षु के समय में ही तेरापंथ के अनुयायी बन गए थे। उनको इस पथ पर लाने का श्रेय शोभजी श्रावक को है। श्रद्धा और आचार की हर बात को गहराई से समझ कर उन्होंने *'गुरुधारणा'* की थी। फिर भी वे बहुत वर्षों तक प्रच्छन्न श्रावक रहे। उस समय तेरापंथी बनने वाले को अनेक सामाजिक कठिनाइयों से गुजरना पड़ता था। वे उन झंझटों से दूर रहना चाहते थे। इसिलिए अपने श्रावकत्व की बात उन्होंने प्रकट नहीं की।
*केसरजी भंडारी ने अपने तेरापंथी श्रावक होने की बात प्रकट की या नहीं। और अगर की तो कब की?* इन सब जिज्ञासाओं को समाहित करेंगे... हमारे अगले पोस्ट में... क्रमशः।
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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👉 पूज्यवर का प्रेरणा पाथेय..
👉 सिद्धि विनायक बैंकेट हाल, सिलीगुड़ी में पूज्यवर के प्रवचन के अंश
👉 *गुरु की कृपा सम्पति है और अकृपा विपत्ति है। - आचार्य महाश्रमण*
दिनांक - 11 फरवरी 2017
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16 फरवरी का संकल्प
तिथि:- फाल्गुन कृष्णा पंचमी (द्वितीय)
निर्विकार हो विद्या किरणों से करना दूजों की प्रज्ञा प्रकाशित।
है ज्ञानावर्णनीय कर्म के क्षयोपशम का अनुपम निमित्त।।
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