Update
👉 विशाखापट्टनम - बजट पर चर्चा व मेधावी छात्र सम्मान समारोह
👉 केसिंगा - विद्यार्थियों को नशा मुक्ति संकल्प
👉 मोमासर - मंगल भावना समारोह
👉 गंगाशहर - मनीष बाफना बने "यूथ आइकॉन"
👉 नागपुर - मंगल भावना समारोह
प्रस्तुति -🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
News in Hindi
💢⭕💢⭕💢⭕💢⭕💢⭕💢
आचार्य तुलसी की कृति...'श्रावक संबोध'
📕अपर भाग📕
📝श्रृंखला -- 222📝
*तेरापंथी श्रावक*
*दुलीचंदजी दुगड़*
गतांक से आगे...
लंबे विचार विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया कि कदाचित् घुड़सवार आकस्मिक रुप से आकर जयाचार्य को परेशान करें, इसलिए सबसे पहले जयाचार्य का स्थान-परिवर्तन करा देना चाहिए। इसके बाद ही श्रावकों ने अपने बलिदान की मानसिकता बना ली। उनका चिंतन था कि दुर्भाग्य से घुड़सवार यहां पहुंच जाएं तो भी वे जयाचार्य के हाथ नहीं लगा पाएं। दुलीचंदजी दुगड़ इस काम में अग्रणी थे। उन्होंने जयाचार्य से निवेदन किया-- 'इस खुले मकान में रहना उचित नहीं है। सुरक्षा की दृष्टि से आप मेरी हवेली में पधारें।
जयाचार्य स्थान बदलना नहीं चाहते थे। किंतु श्रावकों ने प्रार्थना की-- 'गुरुदेव आप सुरक्षित स्थान में रहेंगे तो हम निश्चिंत होकर आने वालों को समझा सकेंगे। संभव है, हमारी पूरी बात समझकर वे नरेश के आदेश की क्रियान्विति में कुछ समय लगा दें। तब तक जोधपुर से भंडारीजी के प्रयास से कोई दूसरा आदेश आ जाए।' श्रावकों की इस प्रार्थना पर जयाचार्य दुगड़जी की हवेली में पधार गए। वहां उन्होंने पूरी व्यवस्था कर ली। पहली व्यवस्था आदेश लेकर आने वालों को समझाने की थी। दूसरी व्यवस्था में श्रावकों द्वारा सशक्त मानव-दीवार बनाने की थी। दुगड़जी किसी भी मूल्य पर जयाचार्य पर आंच नहीं आने देना चाहते थे। वे अपना सब कुछ दांव पर लगा कर भी जयाचार्य की सुरक्षा करना चाहते थे। इस दृष्टि से उन्होंने तीसरी व्यवस्था में कुछ चुने हुए स्थानीय 'मोहिल' राजपूतों को तैयार किया, जो मरने और मारने में माहिर थे। धार्मिक दृष्टि से इस तैयारी का औचित्य नहीं था। किंतु समय पर जो कुछ किया गया, उनकी दृष्टि से आवश्यक और अंतिम प्रतिकार था।
सुरक्षा की पूर्ण व्यवस्था के बाद वे संभावित खतरे का मुकाबला करने के लिए कटिबद्ध होकर घुड़सवारों के आगमन की प्रतीक्षा करने लगे। किंतु उधर जोधपुर में भंडारीजी की सूझबूझ से नरेश ने अपने पूर्व आदेश को निरस्त कर नया आदेश-पत्र लिखकर दे दिया। भंडारीजी के पुत्र किशनमलजी वह आदेश-पत्र लेकर कुछ घुड़सवारों के साथ लाडनू आए। उन्होंने अपना परिचय देकर श्रावकों को आश्वस्त किया और जयाचार्य के दर्शन कर सारी घटना सुनाई। उस प्रसंग में बहादुरमलजी भंडारी का कर्तृत्व तो था ही, पर संभावित विकट स्थिति का मुकाबला करने के लिए लाडनूं के श्रावकों ने जो तैयारी की उससे दुलीचंदजी की संघनिष्ठा और गुरुभक्ति को भी उजागर होने का मौका मिला।
*तत्वज्ञ श्रावक चैनरुपजी श्रीमाल* के बारे में पढ़ेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः।
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
💢⭕💢⭕💢⭕💢⭕💢⭕💢
*विशेषसूचना.....*
*परमपूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी द्वारा बहादुरगंज (बिहार) में फरमाये गये चातुर्मास*
साध्वी श्री कुंदनरेखा जी - जाखालमंडी
साध्वी श्री सरोजकुमारी जी- सिरसा
साध्वी श्री रविप्रभा जी - शाहदरा, दिल्ली
साध्वी श्री मधुरेखा जी - भीनासर
दिनाक: 21.2.2017
प्रस्तुति: 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद*🌻
Source: © Facebook
👉 पूज्यवर का प्रेरणा पाथेय..
👉 धुलाबाड़ी (नेपाल) से पूज्यवर के प्रवचन के अंश
👉 राष्ट्र व विश्व में रामराज्य हो - आचार्य महाश्रमण
👉 श्रद्धा परम दुर्लभ होती है
दिनांक - 14 फरवरी 2017
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
प्रस्तुति - 🌻 तेरापंथ संघ संवाद 🌻
Source: © Facebook
Source: © Facebook
👉 पूज्य प्रवर का आज का लगभग 9 किमी का विहार..
👉 आज का प्रवास - विशनपुर
👉 आज के विहार के दृश्य..
दिनांक - 22/02/2017
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
प्रस्तुति - 🌻 तेरापंथ संघ संवाद 🌻
Source: © Facebook
Source: © Facebook
22 फरवरी का संकल्प
तिथि:- फाल्गुन कृष्णा एकादशी
सूर्य के प्रभाव से ही रहता पाचनतंत्र सक्रिय।
जब छा जाती रात्रि, हो जाता वह निष्क्रिय।।
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
Source: © Facebook