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#what_is_Dharma? #Perfect_Explanation 💡It is absolutely necessary that we should have a thorough knowledge of the word Dharma or religion because for thousands of years, innumerable wrong notions about dharma has been nourished and held by people. Dharma or religion is neither a cult nor a creed; nor it is a reserved system of any community. Dharma is not entirely related either to an individual or to a society; nor it is confined to any area. Dharma is the essential nature of an individual or an object. 🙂😍
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Jainism' de facto folower' Exclusive Photograph special wording dedicated to him @ #AcharyaVidyaSagar ⚠️💡
जैसे राजा के सिर पर मुकुट, रहता उसकी शान है!
जिनशासन के हीरा वो, हमको यह अभिमान है!
रूप दिगम्बर धारे वो,जो सबसे महान है!
अरे कामदेव भी शर्माता, ऐसे रूपवान है!
जिनके दर्शन को पाकर, हम हुए जो पुण्यवान हैं!
सारे जग में फैली जिनकी, अजब निराली शान हैं!
मेरे गुरुवर मेरे भगवन, विद्यासागर उनका नाम हैं!
मेरे गुरुदेव मेरे भगवन,विद्यासागर उनका नाम हैं!
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#Jainism #Jain #Digambara #Nirgrantha #Tirthankara #Adinatha #LordMahavira #MahavirBhagwan #RishabhaDev #Ahinsa #Nonviolence
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#Just_Wao_Explanation ⚠️ Mahavira explained that from eternity, every living being/Soul is in bondage of karmic atoms, that are accumulated by its own good or bad deeds. Under the influence of karma, the soul is habituated to seek pleasures in materialistic belongings and possessions. Which are the deep rooted causes of self-centered violent thoughts, deeds, anger, hatred, greed, and such other vices. These result in accumulating more karma. 💡 For solution he preached that Rational Perception/True Insight, Rational knowledge, and Rational/Right conduct, the united will help attain the liberation of one's self 💡
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#must_read_Incident आर्यिका पूर्णमति माता जी ससंघ की बंधा जी यात्रा, प्रसंग मोहनगढ़ #AcharyaVidyasagar #AryikaPurnmati
रात्री विश्राम ग्राम रमपुरा में कर प्रातःकाल आर्यिका माँ पूर्णमती माताजी ससंघ भक्तो के संग चल पड़ी मोहनगढ़ को ओर | आर्यिका माँ के साथ चल रहे सेकड़ो भक्तो मे, में भी हूँ | सूर्य अपने आभा मंडल के साथ उदित हो रहा है और भक्तो की टोली को माता जी सम्मेदशिखर जी की वंदना करवा रही है | उदित होते सूर्य की लालिमा ऐसी लग रही है जैसे वह भी आर्यिका माँ के स्वागत को पलक पांवड़े विछाये हुए है | बीच में जहाँ२ भी छोटे२ गाँव है वहां के जैनेत्तर लोगो ने अपने घरो के आंगे सफाई कर रखी है और महिलाये पत्तो से ढके मंगल कलश ले आर्यिका माँ का स्वागत कर रही है | उनके लिए कोई ईश्वर रूप देवी पधार रही है | थोड़ी देर बाद में अपने मित्र सचिन के साथ पीछे रुक आर्यिका माँ मधुरमति माता जी के साथ चल रहा हूँ जिनका कल अन्तराय हो गया था | कुछ समय बाद देखता हूँ की पीछे से २ नम्बर माताजी आ रही है जिनके साथ में हो चला हूँ | कुछ समय बाद हम आर्यिका माँ पूर्णमति जी के समीप पहुँच गए है जो अन्य माताजियो के साथ रुक विश्राम कर रही है | अब मोहनगढ़ की दूरी लगभग १.५ किमी रह गयी है और हम मधुरमति माता जी के साथ कुछ युवा आंगे बढ़ते जा रहे है |
मोहनगढ़ की सीमा में प्रवेश करने पर पा रहा हूँ की वहां के निवासियों ने बड़ी तैयारिया कर रखी है |वह असीम आनन्द से भरे हुए है | सभी जगह सडको पर साफ़ सफाई की गयी है | हर जगह स्वागत के बेनर लगे हुए है | घरो के बहार महिलाए रंगोली बना पाद-प्रक्षालन एवं आरती की तैयारी कर रही है | मोहनगढ़ का तालाब भी आज सागर की धारा को पा अपने को रोमांचित पा रहा है तो यहाँ का किला भी आर्यिका माँ के स्वागत में में सजाई नगरी को देख अपने गौरवशाली अतीत को याद कर चला है और मौन रूप में कह रहा है की माताजी यहाँ आकर कही न जाए |
कुछ अपने लोगो ने मुझे भी एक श्रावक के घर व्यवस्थित होने के लिए बुला लिया है | बाद में पता चला की यह चौधरी जी का घर है | सभी लोग चोके की तैयारी में व्यस्त दिखाई दे रहे है | हो भी क्यों न! आज उनके नगर में आचार्यश्री १०८ विद्यासागर जी की परम प्रभावक शिष्या आर्यिका रत्न पूर्णमति माता जी ससंघ जो पधार रही है | बड़े शहरो में रहने बाले इस नगर के सभी युवक-युवतिया आज नगर वापिस आ रहे है | उन्हें भी तो आर्यिका माँ की आगवानी जो करनी है | उनके चेहरो पर एक अलग ही चमक दिखाई पड़ रही है | आर्यिका माँ पूर्णमति माताजी के बारे में बहुत कुछ सुन रखा है इन युवाओं ने और आज पहली बार अपने नगर में साक्षात दर्शन होने जा रहे है |
मुझे भी सोभाग्य मिला है इस परिवार के साथ आहार-पडगाहन का | और आर्यिका माँ साधुमती जी का पडगाहन कर अब हम उनके निरंताराय आहार करा कर वापिस जा रहे है मंदिर की ओर | इस बीच एक महिला के मुख से सुना की वह पूरे परिवार के साथ ग्वालियर बसने जा रही है | इसका कारण वही, आस-पास शिक्षा के अच्छे साधन नहीं है एवं बेटे की शादी न होना है | उनकी बात सुन मन करुणा से भर गया | क्या वह माँ वह अपनी बेटी की शादी भी छोटे नगर में करेगी? पूज्य एलक सिधांतसागर जी ने बताया था की कुछ माँ-बाप अपनी बेटियों के लिए ऐसे घर देखते है जिनमे बेटे के अलावा और कोई न रहता हो तो क्या ऐसे माँ-बाप अपने बेटे की शादी करने पर घर छोड़ देते होंगे? जिससे बहु को भी वही सुविधा मिले जो उन्होंने अपनी बेटी को चाही थी | पहला कारण जरूर चिंतनीय है इसका एक ही हल है की वह युवा जो बहार पढ़ाई कर रहे है, पढाई के बाद या कुछ समय जाँब करने के बाद अपने गृहनगर में अच्छे स्कूल एवं कॉलेज खोले या इस सम्बन्ध में ध्यान दे अन्यथा छोटे२ नगर तेजी से जैन श्रावको से खाली होते जायेंगे | पर इसके लिए जरुरी है इन युवाओं में अपनी मातृभूमि के लिए स्वाभिमान होना, अपनी माँ की बोली पर अभिमान होना |
Image taken nd article Writen by ashokgourav jain lalitpur
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News in Hindi
अमेरिका की मोहिनी जैन ने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी को जैन धर्म शिक्षा / अध्ययन हेतु 10.50 करोड़ का अनुदान दिया! Mohini Jain in the US has made a grant of USD 1.5 million to a prestigious American University (University of California) to advance studies in Jainism. #MohiniJainUC #UniversityOfCaliforniaJainism
मोहिनी जैन द्वारा दिये गये अनुदान से निश्चित रूप से विदेशों में जैन धर्म के सिद्धांतों का प्रचार - प्रसार होगा! मोहिनी जैन बहुत - बहुत धन्यबाद, साधुबाद...
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