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आचार्य श्री विद्यासागर जी के महाकाव्य मूकमाटी से... #AcharyaVidyasagar #Mookmati
सत-युग हो या कलियुग
बाहरी नहीं
भीतरी घटना है वह
सत् की खोज में लगी दृष्टि ही
सत-युग है, बेटा!
और
असत्-विषयों में डूबी
आ-पाद-कंठ
सत् को असत् माननेवाली दृष्टि
स्वयं कलियुग है, बेटा!
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#BhagwanParshvanath कौशाम्बी (उ, प्र.) जिले के पभोषा पहाड़ के पास से बहने वाली यमुना नदी के किनारे भगवान पार्श्वनाथ की सात फनों वाली लगभग 1000 वर्ष अतिप्राचीन प्रतिमा प्राप्त होने से समस्त जैन समाज में हर्ष की लहर.. विश्व जैन संगठन #AntiquityOfJainism #AncientJainism
उपरोक्त प्रतिमा जी को प्रशासन ने प्रभासगिरी जी के पदमप्रभु मंदिर में विराजमान कराया गया है! जैन अजैन लोगो की भीड़ प्रतिमा जी के दर्शन हेतु उमड़ रही है!
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दर्शनं देवदेवस्य, दर्शनं पापनाशनम्|
दर्शनं स्वर्गसोपानं, दर्शनं मोक्षसाधनम्|1|
दर्शनेन जिनेन्द्राणां, साधूनां वंदनेन च|
न चिरं तिष्ठते पापं, छिद्रहस्ते यथोदकम्
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ये वीडियो हर उस साधर्मी को देखना चाहिए जिसे अहिंसा में विश्वास तो है परंतु वह कालान्तर चल पड़ी हिंसा को समझने में या तो असमर्थ है अथवा किसी अन्य कारण से समझाना नहीं चाहता #MuniPramanSagar / #AcharyaVidyasagar / #ShankaSamadhan
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भव-भव भव-वन भ्रमित हो, भ्रमता-भ्रमता आज
शंभव जिन भव शिव मिले, पूर्ण हुआ मम काज
क्षण-क्षण मिटे द्रव्य हैं, पर्यय वश अविराम
चिर से हैं चिर ये रहें, स्वभाव वश अभिराम
परमार्थ का कथन यूँ, मंथन किया स्वयमेव
यतिपन पालें यतन से, नियमित यदि हो देव
तुम पद पंकज से प्रभु, झर-झर झरी पराग
जब तक शिव सुख ना मिले, पीऊँ षट्पद जाग ||
ओम् ह्रीं अर्हं श्री संभवनाथ जिनेंद्राय नमो नम: |
स्वयंभू स्तोत्र स्तुति आचार्य श्री विद्यासागर द्वारा रचित #AcharyaVidyasagar
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