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जैन युवाओं द्वारा कुछ ऐसा कार्य जो अकल्पनीय हैं:) जैन संघ पुणे द्वारा आयोजित कलगी (गुलबर्गा) कर्नाटक में अहिंसा विद्या पद यात्रा की जिनवाणी चैनल पर 26 मार्च रात्रि 9:20 बजे आने वाले प्रसारण की कुछ झलकियां!! #must_watch #share_please
लगभग 2 महीने की कड़ी मेहनत और पिछले 15 दिनों की जी-तोड़ मेहनत से वो प्राप्त हुआ, जो असंभव तो नहीं लेकिन मुश्किल जरूर नज़र आ रहा था । जी हाँ प्रसंग है - कालगी(गुलबर्गा,कर्नाटक के पास स्थित क्षेत्र) का, जहाँ ३ जिनालय अत्यंत ही दयनीय अवस्था में हैं । तीसरे जिनालय के तो अब अवशेष मात्र मिलते हैं । दुसरे जिनालय में चार खम्बे, छत, अत्यंत सुन्दर सिंहासन, भगवान और इतनी ज्यादा गंदगी, मिट्टी, कांच, पत्थर इतने ज्यादा थे कि, अंदर जाना संभव नहीं था और तीसरा जिनालय, गुलबर्गा जिले के अत्यंत सुन्दर जिनालयों में से एक है, लेकिन गंदगी का आलम वही था २६ फरवरी के पहले तक । दोनों मंदिरों में चूंकि दरवाज़े तक नहीं थे, तो सूअर आदि जानवर आ जाते थे । यहाँ तक कि कई लोगों को ये जैन मंदिर हैं, ये भी पता नहीं था ।
२६ फरवरी को अहिंसा-विद्या यात्रा के माध्यम से गाँव में शाकाहार, व्यसन-मुक्ति का प्रचार-प्रसार किया । युवा लोगों ने लगातार दो दिन श्रमदान दिया, जिसके माध्यम से मंदिर जी का फर्श दिखाई देने लगा और मंदिर जी कुछ हद तक मंदिर जैसा दिखने लगा । मंदिर जी में दशकों बाद जो जिन-धर्म प्रभावना की यात्रा निकाली गई और अभिषेक-पूजन, शांति-धारा की गयी, उससे कई लोग भाव-विभोर हो गए । मंदिर जी की छठा अलग ही हो गई है ।
जीर्णोद्धार के तहत २६ को ही मंदिर जी में दरवाज़े लगवाये गए, जो प्रतिमा जी इधर-उधर पड़ी थी, उनको वहाँ स्थित सिंहासन पर विराजमान कर दिया गया । तीसरे जिनालय जो कि त्रिकूट जिनालय था, उसी में भक्ति की गई । मंदिर जी के भविष्य के लिए, मंदिर जी की चाबियाँ, गाँव के ही एक व्यक्ति को सौंप दी गई है और उसको हर महीने थोड़ा वेतन देकर साफ़-सफाई की व्यवस्था दे दी गई है ।
योजना - अभी मंदिर जी में भगवान की प्रतिमा और मंदिर को कुछ जीर्णोद्धार की जरुरत है, यहाँ मंदिर जी के चारों तरह सुरक्षा दीवार भी बनवानी है साथ ही साथ गुलबर्गा के आसपास २७ जिनालय की ऐसी ही स्थिति है, अगर आप में से हर कोई थोड़ा भी सहयोग देगा तो निश्चित ही राष्ट्रकूट राजाओं के द्वारा बनाये गए और आचार्य जिनसेन और आचार्य अमोघवर्ष के समय के इन सारे जिनालयों का बहुत कल्याण हो जायेगा ।
अगर आप भी इन जिनालयों के सुधार में सहयोग देना चाहते हों तो हमसे हमारी मेल id - [email protected] पर संपर्क करें । अथवा हमारे व्हाट्सएप्प नंबर - ९९८९३९४५१०/९०२८७४६९९३ पर हमसे संपर्क करें
***हम में से हर कोई अपने आसपास स्थित जिनालयों में अगर दरवाज़े नहीं तो कृपया लगवा दें, बहुत काम खर्च में लग जाते हैं और पूरे जिनालय की सुरक्षा हो जाती है ।
जो लोग मदद करना चाह रहे हैं, वो हमारे ट्रस्ट के खाते में पैसे जमा कर सकते हैं | कृपया जमा करने के बाद सूचित जरूर करें
Name of Account holder: Jain Sangh Pune (JSP)
Acc No.37940100001454
Bank:Bank of Baroda
IFSC code: BARB0MANIKB (Fifth Letter - Zero)
Subject: Jeernodahr Daan
धन्यवाद,
जैन संघ पुणे
This program will be telecasted on jinvani channel on 26th march 9.20-9.40 PM.
- - - - - - - www.jinvaani.org @ Jainism' e-Storehouse.
#Jainism #Jain #Digambara #Nirgrantha #Tirthankara #Adinatha #LordMahavira #MahavirBhagwan #RishabhaDev #Ahinsa
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महावीर जयंती के लिए स्लोगन
1
पशुधन की रक्षा जो करेगा,
वही देश पर राज करेगा,
2
जो धर्म अहिंसा राह चलेगा,
जनता के ह्रदय वही बसेगा,
3
जो विद्या वाणी चर्या में धरेगा,
वो भारत का उद्धार करेगा,
🙏🏻नमोस्तु भगवन🙏🏻
🙏🏻जय जिनेन्द्र जैन
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#Salute लगभग 2 महीने की कड़ी मेहनत और पिछले 15 दिनों की जी-तोड़ मेहनत से वो प्राप्त हुआ, जो असंभव तो नहीं लेकिन मुश्किल जरूर नज़र आ रहा था । जी हाँ प्रसंग है - कालगी(गुलबर्गा,कर्नाटक के पास स्थित क्षेत्र) का, जहाँ ३ जिनालय अत्यंत ही दयनीय अवस्था में हैं । तीसरे जिनालय के तो अब अवशेष मात्र मिलते हैं । दुसरे जिनालय में चार खम्बे, छत, अत्यंत सुन्दर सिंहासन, भगवान और इतनी ज्यादा गंदगी, मिट्टी, कांच, पत्थर इतने ज्यादा थे कि, अंदर जाना संभव नहीं था और तीसरा जिनालय, गुलबर्गा जिले के अत्यंत सुन्दर जिनालयों में से एक है, लेकिन गंदगी का आलम वही था २६ फरवरी के पहले तक । दोनों मंदिरों में चूंकि दरवाज़े तक नहीं थे, तो सूअर आदि जानवर आ जाते थे । यहाँ तक कि कई लोगों को ये जैन मंदिर हैं, ये भी पता नहीं था ।
२६ फरवरी को अहिंसा-विद्या यात्रा के माध्यम से गाँव में शाकाहार, व्यसन-मुक्ति का प्रचार-प्रसार किया । युवा लोगों ने लगातार दो दिन श्रमदान दिया, जिसके माध्यम से मंदिर जी का फर्श दिखाई देने लगा और मंदिर जी कुछ हद तक मंदिर जैसा दिखने लगा । मंदिर जी में दशकों बाद जो जिन-धर्म प्रभावना की यात्रा निकाली गई और अभिषेक-पूजन, शांति-धारा की गयी, उससे कई लोग भाव-विभोर हो गए । मंदिर जी की छठा अलग ही हो गई है ।
जीर्णोद्धार के तहत २६ को ही मंदिर जी में दरवाज़े लगवाये गए, जो प्रतिमा जी इधर-उधर पड़ी थी, उनको वहाँ स्थित सिंहासन पर विराजमान कर दिया गया । तीसरे जिनालय जो कि त्रिकूट जिनालय था, उसी में भक्ति की गई । मंदिर जी के भविष्य के लिए, मंदिर जी की चाबियाँ, गाँव के ही एक व्यक्ति को सौंप दी गई है और उसको हर महीने थोड़ा वेतन देकर साफ़-सफाई की व्यवस्था दे दी गई है ।
योजना - अभी मंदिर जी में भगवान की प्रतिमा और मंदिर को कुछ जीर्णोद्धार की जरुरत है, यहाँ मंदिर जी के चारों तरह सुरक्षा दीवार भी बनवानी है साथ ही साथ गुलबर्गा के आसपास २७ जिनालय की ऐसी ही स्थिति है, अगर आप में से हर कोई थोड़ा भी सहयोग देगा तो निश्चित ही राष्ट्रकूट राजाओं के द्वारा बनाये गए और आचार्य जिनसेन और आचार्य अमोघवर्ष के समय के इन सारे जिनालयों का बहुत कल्याण हो जायेगा ।
अगर आप भी इन जिनालयों के सुधार में सहयोग देना चाहते हों तो हमसे हमारी मेल id - [email protected] पर संपर्क करें । अथवा हमारे व्हाट्सएप्प नंबर - ९९८९३९४५१०/९०२८७४६९९३ पर हमसे संपर्क करें
***हम में से हर कोई अपने आसपास स्थित जिनालयों में अगर दरवाज़े नहीं तो कृपया लगवा दें, बहुत काम खर्च में लग जाते हैं और पूरे जिनालय की सुरक्षा हो जाती है ।
जो लोग मदद करना चाह रहे हैं, वो हमारे ट्रस्ट के खाते में पैसे जमा कर सकते हैं | कृपया जमा करने के बाद सूचित जरूर करें
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This program will be telecasted on jinvani channel on 26th march 9.20-9.40 PM.
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#Jainism #Jain #Digambara #Nirgrantha #Tirthankara #Adinatha #LordMahavira #MahavirBhagwan #RishabhaDev #Ahinsa
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News in Hindi
ये देवता जीवंत रहे... हमारे ह्रदय में जयंत रहे..
हमारे ये आराध्ये रहे.. निर्ग्रंथ दिगम्बर रहे..
इनकी मुस्कान सदा खिली रहे.. मोक्ष मार्गी ये सदा अमर रहे.. 🎧😍
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भारत की राजधानी दिल्ली में प्रवेश चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज #AcharyaShantisagar
मैं पूज्य आचार्यश्री शान्तिसागरजी महराज के जीवन चरित्र का लगातार अध्ययन कर रहा हूँ, फलस्वरूप मेरी दृष्टि में पूज्यश्री का दिल्ली का चातुर्मास एक महत्वपूर्ण चातुर्मास था। इस चातुर्मास के माध्यम से दिगम्बरत्व का प्रचार भली प्रकार से हुआ। सर्वत्र दिगम्बर मुनिराज के दर्शन व जन-जन तक उनके स्वरूप की जानकारी पहुँचना पूज्य शान्तिसागरजी महराज के उत्कृष्ट तपश्चरण का ही प्रभाव था।
पूज्य शान्तिसागरजी महराज ने ससंघ ललितपुर चातुर्मास के उपरांत बूंदेलखड की सभी तीर्थ, ग्वालियर, आगरा, मथुरा विभिन्न स्थानों को अपनी पदरज से धन्य करते हुए राजधानी दिल्ली में प्रवेश किया। खुरजा के अपने अमृत-उपदेश से उपकृत करते हुए संघ ने प्रस्थान कर सिकन्दराबाद में निवास किया। इसके अनंतर गजियाबाद तथा शहादरा होते हुए पौष सुदी दशमी को संघ ने भारत की राजधानी दिल्ली में प्रवेश किया। कहते हैं, अब पचास हजार से भी अधिक संख्या हो गई है। वहाँ धार्मिक प्रकृति के लोग बहुत हैं, इसलिए संघ के आने पर दिल्ली समाज के रोम-रोम में आनंद व्याप्त होता था।
राजधानी के योग्य गौरवपूर्ण जुलूस द्वारा आचार्य शान्तिसागर महराज के प्रति भक्ति व्यक्त की गई। बडे-बड़े प्रतिष्ठान तथा विचारशील नागरिक तथा उच्च अधिकारी लोग आचार्यश्री के दर्शनार्थ आते थे, अनेक महत्वपूर्ण प्रश्न करते थे तथा समाधान प्राप्त कर हर्षित होते थे।
🌿 स्वाध्याय चा.चक्रवर्ती ग्रंथ का 🌿
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